रेलवे स्टेशनों पर एक बार फिर लौटेगा 'कुल्हड़'

By: Pinki Wed, 28 Aug 2019 07:48:44

रेलवे स्टेशनों पर एक बार फिर लौटेगा 'कुल्हड़'

रेलवे स्टेशनों (Railway Stations) पर एक बार फिर आप कुल्हड़ (Kulhad) वाली चाय (Tea) का आनंद ले सकेंगे। बता दे, आज से 15 साल पहले तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने रेलवे स्टेशनों पर ‘कुल्हड़’ में चाय बेचने का ऐलान किया था। लालू का तर्क था कि इससे स्टेशनों पर गंदगी नहीं फैलेगी और कुल्हड़ बनाने वालों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। लेकिन कुल्हड़ का वज़न ज़्यादा होने की वजह से ट्रेनों में कुल्हड़ की योजना धीरे-धीरे असफल हो गई। वहीं कम कीमत और हल्के वज़न वाले प्लास्टिक और पेपर कपों ने कुल्हड़ को स्टेशनों से भी गायब कर दिया। लेकिन एक बार फिर सरकार देशभर के कुम्हारों को बेहतर रोजगार के साधन मुहैया कराने और प्लास्टिक के उपयोग में कमी लाने के लिए देशभर के 100 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों पर कुल्हड़ वाली चाय का स्वाद दिलाने की योजना बना रही है। मध्यम लघु और सूक्ष्म उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने रेल मंत्री पीयूष गोयल को चिट्ठी लिख कर देशभर के 100 स्टेशनों पर कुल्हड़ में चाय बेचने की अपील की है।

गडकरी ने कहा, 'मैंने पीयूष गोयल को एक पत्र लिखकर 100 रेल स्टेशनों पर कुल्हड़ को अनिवार्य करने के लिए कहा है। मैंने हवाईअड्डों और बस डिपो की चाय दुकानों पर भी इसे अनिवार्य करने का सुझाव दिया है। हम कुल्हड़ के इस्तेमाल के लिए मॉल को भी प्रोत्साहित करेंगे।' गडकरी ने कहा कि इससे स्थानीय कुम्हारों को बाजार मिलेगा। इसके साथ ही कागज और प्लास्टिक से बने गिलासों का इस्तेमाल बंद होने से पर्यावरण को हो रहा नुकसान कम होगा।

नितिन गडकरी ने खादी ग्रामोद्योग आयोग की मांग बढ़ने की स्थिति में व्यापक स्तर पर कुल्हड़ के उत्पादन के लिये आवश्यक उपकरण उपलब्ध कराने को भी कहा है। खादी ग्रामोद्योग के जरिये सरकार ने पिछले साल कुम्हारों को कुल्हड़ बनाने के लिये 10,000 इलेक्ट्रिक चाक दिये। जबकि इस साल 25 हजार इलेक्ट्रिक चाक बांटने का लक्ष्य तय किया है।

रेलवे स्टेशन से लेकर बस अड्डों की दुकानों पर चाय, छाछ और लस्सी की खूब बिक्री होती है। इन्हें मिट्टी के कुल्हड़ और गिलास में बेचने से देशभर के कुम्हारों की दशा में सुधार हो सकता है और प्लास्टिक के इस्तेमाल में भारी कमी आ सकती है। इससे नया रोजगार भी पैदा होगा और लोग अपनी पुरानी परंपरा को जीवित रखेंगे।

MSME मंत्रालय ने कुम्हार सशक्तिकरण योजना के तहत बिजली से चलने वाले चाक भी बांटे हैं। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में करीब 1000 चाक बांटे गए हैं। जिससे कुम्हार बड़े स्केल पर आसानी से मिट्टी के बर्तन बना सकेंगे। इस योजना से रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों के आसपास प्लास्टिक से पैदा होने वाले प्रदूषण और कूड़े पर भी रोक लगेगी। अकेले भारतीय रेल में हर रोज़ करीब 2.5 करोड़ मुसाफ़िर सफर करते हैं। ऐसे में भारतीय रेल में कुल्हड़ वाली चाय बेचने से चाय का सौंधापन भी वापस आएगा, स्थायी रोज़गार पैदा होगा और प्रदूषण फैलाने वाले प्लास्टिक के इस्तेमाल में भारी कटौती होगी।

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