केरल में हर तरफ़ तबाही, मौत का आंकड़ा 350 के पार, 8 लाख से ज़्यादा लोग राहत शिविरों में - 12 बातें

By: Priyanka Maheshwari Mon, 20 Aug 2018 08:21:35

केरल में हर तरफ़ तबाही, मौत का आंकड़ा 350 के पार, 8 लाख से ज़्यादा लोग राहत शिविरों में - 12 बातें

केरल 94 साल की सबसे भयानक बाढ़ की तबाही से इस वक्त जूझ रहा है। 350 से ज़्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। 8 लाख से ज़्यादा लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। राज्य के 14 में से 11 ज़िलों में रेड अलर्ट जारी किया गया था जिसे अब वापस ले लिया गया है। राज्य की पुलिस और प्रशासनिक अमले के साथ ही सामाजिक संस्थाएं लोगों के बचाव और राहत में जीजान से लगे हुए हैं। इडुक्की और एर्नाकुलम राज्य के बाक़ी हिस्सों से पूरी तरह कट गए हैं। पानी भरने की वजह से कोच्चि एयरपोर्ट 26 अगस्त तक बंद कर दिया गया है। लेकिन उसकी जगह कोच्ची नेवल एयरबेस सोमवार से कमरशियल फ्लाइट के लिए इसेतमाल किया जा सकेगा। विभिन्न राज्य सरकारों के साथ ही अमीर, गरीब, नेता, अभिनेता यहां तक छोटे-छोटे बच्चे अपनी-अपनी तरह से मदद को आगे आ रहे हैं। दुनिया के कई देशों खासकर खाड़ी देशों ने भी आर्थिक सहायता के लिए हाथ बढ़ाया है।

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- केरल में भारी वर्षा और बाढ़ के कारण प्रभावित इलाके से अब तक 15,000 से ज्यादा लोगों को निकाला गया है और बेहद खराब हालात वाले इलाकों में बचाव अभियान तेज कर दिया गया है।
- राज्य में अगले पांच दिन तक बारिश नहीं होने की संभावना से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली है, लेकिन बीमारियां फैलने का खतरा बढ़ गया है। रविवार को राज्य के सभी 14 जिलों से रेड अलर्ट हटा लिया गया। हालांकि, अब भी 11 जिलों को ऑरेंज अलर्ट पर रखा गया है।

- राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) ने कहा है कि दक्षिणी राज्य में एक सदी में सबसे भीषण बाढ़ के बीच मुश्किल परिस्थितियों में कुल 58 टीमें काम कर रही हैं और हर टीम में करीब 30-35 कर्मी हैं। एनडीआरएफ के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘‘पानी घटने से कुछ जगहों पर स्थिति ठीक हो रही है लेकिन तिरूवल्ला और चेंगान्नुर (अलपुझा), अलेवा (एर्नाकुलम) और इडुक्की तट जैसे अभी भी प्रभावित इलाके में अभियान तेज कर दिया गया है।’’

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- प्रवक्‍ता के अनुसार कठिन हालात के बीच ऐन वक्त पर एनडीआरफ टीमों ने 348 लोगों और 50 पशुओं को बचा लिया।

- आठ अगस्त के बाद केरल में सदी की सबसे भीषण जलप्रलय से 350 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इडुक्की जिले में सबसे अधिक मौत हुई है। यहां 43 लोगों की जान जा चुकी है। 8 लाख लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। हजारों लोग बिना खाना-पानी के अपने घरों में फंसे हुए हैं। रनवे और हवाई अड्डे के अन्य हिस्से में बाढ़ का पानी घुसने के कारण कोच्चि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 26 अगस्त तक बंद है।

- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे। पी। नड्डा ने रविवार को कहा कि उनका मंत्रालय बाढ़ से त्रस्त केरल में राहत कार्यों में हरसंभव मदद कर रहा है, जहां 3757 चिकित्सा राहत शिविर बनाए गए हैं। केरल में आठ अगस्त से हो रही मूसलाधार बारिश से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है और पिछले दस दिनों में 350 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो चुकी है।

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- नड्डा ने कहा, ‘‘हम नियमित रूप से केरल में बाढ़ की स्थिति पर नजर रख रहे हैं। स्वास्थ्य सचिव राज्य में स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं और रोग निगरानी नेटवर्क के माध्यम से रोजाना स्थिति पर नजर रख रहे हैं।’’ केंद्रीय मंत्री ने कहा कि उन्होंने केरल के स्वास्थ्य मंत्री के। के। शैलजा से बात की है और व्यक्तिगत रूप से निगरानी कर रहे हैं।

- आधिकारिक बयान के मुताबिक 3757 चिकित्सा शिविर बनाए गए हैं और राज्य सरकार के आग्रह के मुताबिक आवश्यक मात्रा में 90 तरह की दवाएं केरल भेजी गई हैं। दवाओं की पहली खेप सोमवार को पहुंच जाएगी। स्वास्थ्य मंत्रालय दूसरे राज्यों के साथ भी समन्वय कर रहा है ताकि दवाओं की आपूर्ति बढ़ाई जाए।

- केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने रविवार को कहा कि राज्य में आई विनाशकारी बाढ़ से बेघर हुए कुल 846,680 लोग 3,734 शिविरों में रह रहे हैं और बचाव अभियान का अंतिम चरण चल रहा है। विजयन ने बाढ़ के दौरान आ रही खबरों के बीच मीडिया को बताया, "हमारी पहली चिंता जिंदगियां बचाने की है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यह इच्छा पूरी होगी।"

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- ऐसी खबरें आ रही हैं कि यह बाढ़ 1924 से अब तक की सबसे विनाशकारी बाढ़ है, जिससे अब तक 370 लोगों की मौत और भारी तबाही हुई है। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि अगला लक्ष्य लोगों को जिंदगियों को सामान्य बनाना है, जिसके लिए एक योजना पर कार्य किया जा रहा है।

- मुख्यमंत्री ने कहा, "पुनर्वासन का कार्य विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है।" उन्होंने बाढ़ प्रभावित सभी शहरों व कस्बों को युद्ध स्तर पर साफ करने का संकल्प लिया।

- बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए उन लोगों ने भी हाथ बढ़ाए हैं जो खुद दया के पात्र हैं। पिछले साल निपाह वायरस से जिस नर्स की मौत हो गई थी, उसके पति ने अपनी एक माह की तनख्वाह दान कर दी है। चार साल से साइकिल खरीदने के लिए पैसे जोड़ रही एक मासूम ने 9000 रुपये का दान किया। एनडीआरएफ का एक जवान बाढ़पीड़ितों को सुरक्षित बोट में चढ़ाने के लिए खुद गहरे पानी में झुककर सीढ़ी बन गया। 600 रुपये की वृद्धा पेंशन पाने वाली 60 वर्षीया रोहिणी ने एक हजार रुपये राहत कोष में दिए।

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