Chandrayaan 2: अगर हुआ ऐसा तो अपने पैरों पर फिर खड़ा हो सकता है विक्रम लैंडर
By: Pinki Mon, 09 Sept 2019 10:58:04
चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) का पता चल गया है। कहा जा रहा है कि ऑर्बिटर (Orbiter) ने कुछ तस्वीरें भी भेजी हैं। इसरो के वैज्ञानिक उससे संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। दरहसल, विक्रम लैंडर अपने तय स्थान से करीब 500 मीटर दूर चांद की जमीन पर गिरा पड़ा है। फिलहाल लैंडर विक्रम का लोकेशन ही पता चल सका है। उससे संपर्क स्थापित करना अभी बाकी है। जो इस वक्त इसरो की सबसे बड़ी प्राथमिकता है लेकिन अगर उससे संपर्क स्थापित हो जाए तो वह वापस अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर में वह टेक्नोलॉजी है कि वह गिरने के बाद भी खुद को खड़ा कर सकता है, लेकिन उसके लिए जरूरी है कि उसके कम्युनिकेशन सिस्टम से संपर्क हो जाए और उसे कमांड रिसीव हो सके।
आइए जानते हैं कि कैसे अपने पैरों पर खड़ा होगा विक्रम लैंडर
इसरो के सूत्रों ने बताया कि विक्रम लैंडर के नीचे की तरफ पांच थ्रस्टर्स लगे हैं। जिसके जरिए इसे चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करनी थी। इसके अलावा, विक्रम लैंडर के चारों तरफ भी थ्रस्टर्स लगे हैं, जो अंतरिक्ष में यात्रा के दौरान उसकी दिशा तय करने के लिए ऑन किए जाते थे। ये थ्रस्टर्स अब भी सुरक्षित हैं। लैंडर के जिस हिस्से में कम्युनिकेशन एंटीना दबा है, उसी हिस्से में भी थ्रस्टर्स हैं। अगर पृथ्वी पर स्थित ग्राउंड स्टेशन से भेजे गए कमांड को सीधे या ऑर्बिटर के जरिए दबे हुए एंटीना ने रिसीव कर लिया तो उसके थ्रस्टर्स को ऑन किया जा सकता है। थ्रस्टर्स ऑन होने पर विक्रम एक तरफ से वापस उठकर अपने पैरों पर खड़ा हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इस मिशन से जुड़े वे सारे प्रयोग हो पाएंगे जो पहले से इसरो के वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-2 को लेकर तय किए थे।
12 दिन बचे हैं विक्रम को वापस अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए
इसरो प्रमुख के. सिवन ने रविवार को कहा था कि इसरो की टीम लैंडर विक्रम से कम्युनिकेशन स्थापित करने की लगातार कोशिश कर रही है और जल्द ही संपर्क स्थापित हो जाएगा। जिस लोकेशन पर लैंडर विक्रम से संपर्क समाप्त हुआ था, उसी लोकेशन से ऑर्बिटर आगे के 2 दिनों तक गुजरेगा। लैंडर की लोकेशन की जानकारी मिलने के बाद वो लैंडर की हाई रेजॉलूशन फोटो ले सकता है। डेटा का विश्लेषण सबसे खास है। इसरो ऑर्बिटर द्वारा भेजे गए डेटा के विश्लेषण से ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक उनके पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं। एक अनुमान के मुताबिक इसरो के पास विक्रम से संपर्क साधने के लिए 12 दिन हैं। क्योंकि अभी लूनर डे चल रहा है। एक लूनर डे धरती के 14 दिनों के बराबर होता है। इसमें से 2 दिन बीत चुके हैं। यानी अगले 12 दिनों तक चांद पर दिन रहेगा। उसके बाद चांद पर रात हो जाएगी, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है। रात में उससे संपर्क करने में दिक्कत होगी। फिर इसरो वैज्ञानिकों को इंतजार करना पड़ेगा।