NASA भी नहीं खोज पाया हमारा 'विक्रम लैंडर', वैज्ञानिक बोले- अब अगले महीने फिर करेंगे कोशिश
By: Pinki Fri, 27 Sept 2019 09:52:29
चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के विक्रम लैंडर (Vikram Lander) को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी NASA का लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) भी नहीं खोज पाया। नासा LRO के वैज्ञानिकों ने बताया है कि विक्रम लैंडर चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole) से करीब 600 किमी दूर गिरा था। 17 सितंबर को LRO ने उस इलाके के ऊपर से उड़ान भरी। लेकिन शाम का माहौल होने की वजह से उस जगह की सही तस्वीर नहीं आ पाई है। इसलिए हम विक्रम लैंडर को खोज नहीं पाए। अब हम विक्रम लैंडर को दोबारा अक्टूबर में खोजने का प्रयास करेंगे।
इधर, इसरो अध्यक्ष के सिवन (ISRO Chief K Sivan) ने कहा है कि हम इन 14 दिनों में विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं साध पाए और अब इसकी उम्मीद भी नहीं है। क्योंकि चांद पर रात के दौरान माइनस 180 डिग्री तापमान में विक्रम के उपकरणों का सही हालत में रहना संभव नहीं है। उसमें जितनी एनर्जी दी गई थी, उसकी समय सीमा भी समाप्त हो चुकी है। वहां उसे रीचार्ज करने की कोई व्यवस्था भी नहीं है। वही चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर बिल्कुल सही और अच्छा काम कर रहा है। इस ऑर्बिटर में कुल आठ उपकरण लगे हैं। हर उपकरण का अपना अलग-अलग काम निर्धारित है। ये सभी उस काम को बिल्कुल उसी तरह कर रहे हैं जैसा प्लान किया गया था।
डॉ के सिवन ने कहा विक्रम लैंडर के साथ क्या गलत हुआ, इसकी जांच राष्ट्रीय स्तर की कमेटी कर रही है। कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद हम भविष्य की योजना पर काम करेंगे। उन योजनाओं के लिए जरूरी प्रक्रियाएं और अनुमतियों की जरूरत पड़ती है। हम इसपर भी काम कर रहे हैं।
इसरो के एक अधिकारी का कहना है कि चांद पर रात के दौरान बेहद कम तापमान में चंद्रयान-2 के लैंडर और रोवर के उपकरण सक्रिय नहीं रहेंगे। हालांकि उसे सक्रिय रखा जा सकता था, अगर उसमें आइसोटोप हीटर लगा होता। लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद अगले लूनर डे पर विक्रम से एक बार फिर संपर्क की कोशिश की जाएगी। यह लूनर डे 7 से 20 अक्टूबर तक रहेगा। इसरो विक्रम से 14 अक्तूबर को संपर्क करने की कोशिश करेगा।
क्या कहा था नासा ने विक्रम लैंडर को खोजने से पहले?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट नोआ.ई.पेत्रो ने बताया था कि चांद पर शाम होने लगी है। हमारा LRO विक्रम लैंडर की तस्वीरें तो लेगा, लेकिन इस बात की गारंटी नहीं है कि तस्वीरें स्पष्ट आएंगी। क्योंकि, शाम को सूरज की रोशनी कम होती है और ऐसे में चांद की सतह पर मौजूद किसी भी वस्तु की स्पष्ट तस्वीरें लेना चुनौतीपूर्ण काम होगा। लेकिन जो भी तस्वीरें आएंगी, उन्हें हम भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो से साझा करेंगे।
करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह से टकराया था विक्रम
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO - Indian Space Reseach Organisation) के अनुसार, आंकड़ों के विश्लेषण में पता चला है कि विक्रम करीब 200 किमी की रफ्तार से चंद्रमा की सतह पर टकराया। ऑर्बिटर ने विक्रम की जो तस्वीरें भेजी हैं, उन्हें देख कर ऐसा लग रहा है कि विक्रम के दो पांव चांद की सतह में धंस गए हैं। ये भी हो सकता है कि वो पांव मुड़ गए हों। या फिर वो एक करवट गिरा पड़ा है। ऐसा तेज गति में टकराने के कारण हुआ है। माना जा रहा है कि ऑटोमेटिक लैंडिंग प्रोग्राम में गड़बड़ी के कारण ऐसा हुआ है।
लैंडर 'विक्रम' से 2.1 किमी पहले नहीं टूटा था संपर्क
इसरो के चेयरमैन के सिवन ने लैंडर 'विक्रम' को लेकर नई जानकारी दी है। उन्होंने कहा, 'हमारा लैंडर 'विक्रम' चंद्रमा की सतह से करीब 300 मीटर नजदीक तक पहुंच गया था। लैंडिंग का सबसे मुख्य और जटिल चरण पार हो चुका था। जब हम मिशन के एकदम अंत में थे, तभी संपर्क टूट गया। फिर उसके साथ (लैंडर के साथ) क्या हुआ, इसका पता हमारी नेशनल लेवल की एक कमेटी लगा रही है।'
ISRO चीफ का दावा 98% सफल रहा चंद्रयान 2, दावों पर अब उठने लगे सवाल
डॉ के सिवन ने कहा था कि चंद्रयान-2 मिशन में हमें 98% सफलता मिली। लेकिन उनके इस कथन पर अब सवाल उठने लगे हैं। कई वरिष्ठ वैज्ञानिकों का कहना है कि बिना गंभीर आत्मनिरीक्षण के ऐसा बयान देना हमें दुनिया के सामने हंसी का पात्र बनाता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 'विक्रम की सफल लैंडिंग इस मून मिशन का अहम भाग थी। लेकिन वही नहीं हो सका। चंद्रयान-2 का विक्रम लैंडर काफी तेज गति से चंद्रमा से टकराया और शायद वह हमेशा के लिए खो गया।'