Womens Day Special : 800 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय चैंपियन, भारत की पहली एथलेटिक शाइनी अब्राहम
By: Priyanka Maheshwari Mon, 05 Mar 2018 3:55:16
शाइनी अब्राहम 14 वर्षों तक 800 मीटर दौड़ में राष्ट्रीय चैंपियन रहीं । उन्होंने भारत का 75 से भी अधिक बार प्रतिनिधित्व किया । वह सम्भवत: एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जिन्होंने छह बार एशियाई खेलों में भाग लिया । बचपन से ही शाइनी का खेलों के प्रति रुझान हो गया था । वह एथलेटिक खेलों में रूचि रखती थीं | उन्होंने कोट्टायम के खेल विभाग में ट्रेनिंग लेकर अपनी प्रतिभा को निखारा | वास्तव में केरल के इसी खेल विभाग के विभिन्न शहरों के प्रसिद्ध एथलीट पी.टी. उषा और एम. डी. वालसम्मा ने ट्रेनिंग ली थी । बड़े होने पर इन सभी के कोच एन. आइ. एस. कोच पी. जे. देवेस्ला थे । उसके बाद शाइनी अब्राहम ने अपनी खेलों की शिक्षा त्रिवेन्द्रम के जी. दी. राजा स्पोर्ट्स स्कूल से ली | इसके पश्चात् वह पलाई के अल्फोसा कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने चली गईं ।
शाइनी अब्राहम का कैरियर पी. टी. उषा के समय में उनके साथ-साथ चलता रहा | 1982 में नई दिल्ली के एशियाई खेलों में शाइनी अब्राहम तथा पी.टी. उषा दोनों ने देश का प्रतिनिधित्व किया । 1981 में शाइनी 800 मीटर दौड़ में देश की राष्ट्रीय चैंपियन बन गईं, उसके अगलेँ ही वर्ष 1982 में नई दिल्ली में एशियाई खेल होने थे । इस विजय के पश्चात् शाइनी ने देश की जिस भी प्रतियोगिता में हिस्सा लिया, उसमें उसमें कोई न कोई पदक अवश्य प्राप्त किया ।
शाइनी सम्भवतः 1984 के लॉस एंजिल्स के ओलंपिक खेलों को कभी नही भुला सकेंगी जहां वह ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल तक पहुँचने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनीं ।
शाइनी ने चार ओलंपिक खेलों में भाग लिया, 1985 में जकार्ता से शुरू करने के बाद छह एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में लगातार हर बार हिस्सा लिया । शाइनी को अच्छे अनुभवों के साथ-साथ कुछ खट्टे-कड़वे अनुभव भी हुए । 1986 में सियोल में हुए एशियाई खेलों में जब वह अपने लक्ष्य के करीब पहुँचने वाली थीं, तब उन्होंने अपना ट्रैक बदलते हुए भीतरी लेन में दौड़ना शुरू कर दिया, अंतत: उन्हें खेल से ‘डिसक्वालीफाई’ कर दिया गया ।
शाइनी उस रिले टीम का भी हिस्सा रहीं जिसने एशिया का नया रिकॉर्ड बनाया था । उसके बाद रिले टीम का यह रिकॉर्ड और भी बेहतर हो गया था ।
1989 में दिल्ली में हुई एशियाई ट्रैक एंड फील्ड मीट शाइनी के लिए अत्यन्त यादगार प्रतियोगिता रही क्योंकि गर्भवती होने के बावजूद शाइनी 800 मीटर दौड़ में द्वितीय स्थान प्राप्त कर सकीं जबकि चीन की सुन सुमेई प्रथम आईं थीं । लेकिन सुमोई डोप टेस्ट में पॉजिटीव पाई गईं और शाइनी को विजेता घोषित कर दिया गया । उन दिनों शाइनी के कोच श्री रामसिंह थे, जिनके निर्देशन में वह ट्रेनिंग ले रही थीं ।
1992 का वर्ष शाइनी अब्राहम के लिए खुशियां लेकर आया । 1992 के बार्सिलोना ओलंपिक में शाइनी के लिए यह अत्यन्त गर्व की बात थी कि वह ओलंपिक खेलों में झंडा लेकर चलने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी थीं ।
शाइनी अब्राहम के लिए एक अत्यन्त महत्त्वपूर्ण उपलब्धि यह रही कि वह अपने बच्चे को जन्म देने के बाद भी प्रतियोगिता में पहले से तेज गति से दौड़ सकीं । 1995 में चेन्नई में हुए दक्षिण एशियाई फैडरेशन (सैफ) खेलों में वह अपनी बेटी शिल्पा को जन्म देने के बाद 800 मीटर दौड़ में रिकॉर्ड बनाने में कामयाब रहीं जब उन्होंने 1 : 15 : 8 समय का रिकॉर्ड बनाया । वह पहली बार 2 मिनट से कम समय में 800 मीटर की दौड़ लगाने में सफल रही थीं ।
शाइनी ने चार विश्व कप प्रतियोगिताओं में भाग लिया । वह एकमात्र ऐसी खिलाड़ी हैं जिसने छह एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में भाग लिया । उन्होंने यह सिलसिला 1985 में जकार्ता से आरम्भ किया था । इन एशियाई प्रतियोगिताओं में शाइनी ने सात स्वर्ण, दो रजत तथा दो कांस्य पदक जीते । इसके अतिरिक्त दक्षिण एशियाई फैडरेशन (सैफ) खेलों में शाइनी ने सात बार भाग लिया और 18 स्वर्ण तथा 2 रजत पदक जीते ।
उपलब्धियां
शाइनी अब्राहम 14 वर्षों तक 800 मीटर दौड़ की राष्ट्रीय चैंपियन रहीं |
उन्होंने भारत का विश्व के विभिन्न देशों में 75 से अधिक बार प्रतिनिधित्व किया |
उन्होंने छह बार एशियन ट्रैक एंड फील्ड मीट में भाग लिया । जिसमें उन्होंने सात स्वर्ण, पांच रजत तथा दो कांस्य पदक प्राप्त किए |
शाइनी ने सात बार सैफ खेलों में भाग लेकर 18 स्वर्ण तथा दो रजत पदक जीते |
1984 के लॉस एंजिल्स के ओलंपिक खेलों में वह सेमीफाइनल तक पहुंची |
वह उस रिले टीम की सदस्या थीं जिसने एशियाई रिकॉर्ड बनाया था |
1989 के एशियाई ट्रैक एंड फील्ड मीट, दिल्ली में वह गर्भवती होते हुए भी द्वितीय स्थान प्राप्त कर सकीं ।
उन्होंने अपनी संतान उत्पन्न होने के पश्चात् खेल में अपना रिकॉर्ड बेहतर कर दिखाया ।
शाइनी अब्राहम विल्सन को ‘अर्जुन पुरस्कार’ (1985) ‘बिरला पुरस्कार’ (1996) तथा ‘पद्मश्री’ पुरस्कार (1998) से सम्मानित किया गया |
उन्हें 1991 में ‘चीनी पत्रकार पुरस्कार’ प्रदान किया गया |