मोबाइल की मदद से कर सकेंगे नकली दूध की पहचान, IIT हैदराबाद ने बनाई डिवाइस

By: Priyanka Maheshwari Wed, 21 Nov 2018 11:57:51

मोबाइल की मदद से कर सकेंगे नकली दूध की पहचान, IIT हैदराबाद ने बनाई डिवाइस

मोबाइल से अब आप दूध में मिलावट की जांच भी कर सकेंगे। हैदराबाद में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) के अनुसंधानकर्ताओं ने स्मार्टफोन आधारित ऐसी प्रणाली विकसित की है। जिससे आप फोन की मदद से दूध में सोडा, बोरिक एसिड, यूरिया, पानी और शर्करा का पता लगा सकेंगे।

यह प्रणाली एक संकेतक कागज का इस्तेमाल करके दूध में अम्लता का पता लगाती है जो एसिडिटी (अम्लता) के अनुसार रंग बदलता है। उन्होंने अल्गोरिद्म भी विकसित किया है जिसे स्मार्टफोन से जोड़कर रंग में बदलाव का सही सही विश्लेषण किया जा सकता है।

अनुसंधान दल की अगुवाई कर रहे आईआईटी के प्रोफेसर शिव गोविंद सिंह ने कहा, ‘‘दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए क्रोमेटोग्राफी और स्पेक्ट्रोस्कोपी जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन इस तरह की तकनीकों के लिए सामान्य रूप से व्यापक व्यवस्था जरूरी होती है और इनमें कम कीमत की आसानी से उपयोग वाले उपकरणों का इस्तेमाल व्यावहारिक नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमें सामान्य उपकरण विकसित करने होंगे जिनका इस्तेमाल ग्राहक दूध में मिलावट का पता लगाने के लिए कर सकें। महंगे उपकरणों की जरूरत के बिना उसी समय इन सभी मानकों पर निगरानी रखके दूध में मिलावट का पता लगाने के तरीके को सुरक्षित बनाया जाना चाहिए।’’ पहले अनुसंधान दल ने पीएच स्तर को मापने के लिए एक सेंसर-चिप आधारित तरीका विकसित किया था। वैज्ञानिकों ने इस प्रक्रिया का परीक्षण तो उन्हें 99.71 फीसदी सटीक नतीजे मिले। पशु कल्याण बोर्ड के मुताबिक देश के 68 फीसदी दूध में मिलावट होती है। ऐसे में यह तकनीक लोगों के बहुत काम आ सकती है।

इस प्रक्रिया से पूरा किया शोध

शोध टीम ने सबसे पहले अम्लता के संकेतक पीएच स्तर का पता लगाने के लिए सेंसर चिप पर आधारित सिद्धांत विकसित किया। उन्होंने नैनोसाइज्ड नायलॉन फाइबर से बने कागज जैसी सामग्री का उत्पादन करने के लिए इलेक्ट्रोस्पिनिंग नामक एक प्रक्रिया का उपयोग किया, जो तीन रंगों के संयोजन से भरा हुआ था।

पेपर हेलोक्रोमिक है जो अम्लता में परिवर्तन के जवाब में रंग बदलता है। शोधकर्ताओं ने एक प्रोटोटाइप स्मार्ट फोन-आधारित एल्गोरिदम विकसित किया है, जिसमें दूध में डुबकी के बाद सेंसर स्ट्रिप्स के रंग को फोन कैमरे में कैद कर लिया जाता है और यह डेटा पीएच रेंज में बदल जाता है।

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