केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार की देर शाम यूपी के पूर्व खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति (Gayatri Prasad Prajapati) के ठिकानों पर छापेमारी दी। छापेमारी के दौरान जांच एजेंसी ईडी की टीम ने गायत्री प्रजापति और उसके परिजनों के नाम करीब 56 प्रॉपर्टी/जमीन से जुड़े दस्तावेज बरामद किए हैं। जांच एजेंसी के अधिकारियों के मुताबिक इन संपत्तियों को गलत तरीके से अर्जित किया गया है।
ईडी की टीम 30 दिसंबर की देर रात तक जब छापेमारी कर रही थी, उसी दौरान गायत्री प्रसाद प्रजापति और उसके चार्टेड एकाउंटेंट (CA) के आवास से करीब 100 से ज्यादा प्रोपर्टी-जमीन की रजिस्ट्री के दस्तावेज बरामद हुए। बरामद रजिस्ट्री के मुताबिक लखनऊ, कानपुर, सीतापुर, अमेठी में कई प्रॉपर्टी को गलत तरीके से अर्जित करके उसका रजिस्ट्रेशन करवाया गया था।
ईडी के मुताबिक मुंबई में भी 4 विला प्रॉपर्टी से संबंधित दस्तावेज भी बरामद किया गया है। इसकी जिसकी अनुमानित कीमत करीब 2.5 करोड़ प्रति विला है। हालांकि इस प्रॉपर्टी को गायत्री प्रसाद प्रजापति के परिजनों के नाम से खरीदा गया था।
इसके अलावा...
+ एमजीए हॉस्पिटैलिटी (MGA Hospitality)- 9 प्रॉपर्टी के मिले दस्तावेज, 578 लाख रूपये की अनुमानित कीमत, लोकेशन- सीतापुर और फैजाबाद
+ अनिल प्रजापति के नाम से मिली 11 प्रॉपर्टी, अनुमानित कीमत- करीब 754 लाख रूपये, लोकेशन- लखनऊ, कानपुर, अमेठी, मुंबई
+ MAGS इंटरप्राइजेज के नाम से मिली 5 प्रॉपर्टी, अनुमानित कीमत- करीब 95 लाख रूपये, लोकेशन- लखनऊ और कानपुर
+ अनुराग प्रजापति के नाम से मिलीं 8 प्रॉपर्टी, अनुमानित कीमत- करीब 360 लाख रूपये, लोकेशन- लखनऊ, अमेठी, मुंबई, रायबरेली, सुल्तानपुर
+ MGA COLONIZERS नाम की कंपनी की 2 प्रॉपर्टी के मिले दस्तावेज, अनुमानित कीमत- 79 लाख रूपये, लोकेशन- लखनऊ
+ बेनामी प्रॉपर्टी- 44 दस्तावेज, अनुमानित कीमत है करीब- 1715 लाख रूपये, लोकेशन- लखनऊ
+ शिल्पा प्रजापति के नाम एक प्रॉपर्टी, अनुमानित कीमत- करीब 210 लाख रूपये
ये है पूरा मामला
बता दें गायत्री प्रसाद प्रजापति इस वक्त जेल में है। साल 2017 में ही उनको एक महिला के साथ रेप करने के आरोप में उनको यूपी पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अवैध खनन मामले में सरकार को चूना लगाने और भ्रष्टाचार के आरोप में केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई ने सबसे पहले मामला दर्ज किया था। उसके बाद कई स्थानों पर छापेमारी की थी। उसी मामले को आधार बनाते हुए ईडी की यूपी ब्रांच की टीम ने इस केस को टेकओवर किया।