Ericsson Vs RCom : अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, 4 हफ्तों में चुकाने होंगे 453 करोड़ रुपए वरना होगी तीन महीने की जेल
By: Priyanka Maheshwari Wed, 20 Feb 2019 11:36:49
RCom बनाम एरिक्सन मामले (Ericsson Vs RCom)में अनिल अंबानी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने आर कॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी (Anil Ambani) और दो अन्य डायरेक्टर्स को अवमानना का दोषी करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कहा है कि अनिल अंबानी और अन्य दो निदेशकों को एरिक्सन इंडिया को 4 हफ्तों के अंदर 453 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा। यदि वे इस राशि का भुगतान नहीं करते हैं तो उन्हें तीन महीनों की जेल हो सकती है। कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि ये साफ है कि रुपये देने की अंडरटेकिंग देने के बावजूद कंपनी रुपये नहीं देना चाहती थी। अनिल अंबानी व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में दी अंडरटेकिंग का उल्लंघन किया है। कोर्ट ने साथ ही कहा, 'यह जानबूझकर किया गया है।' जस्टिस रोहिंटन फली नरीमन और जस्टिस विनीत सरन की बेंच ने यह फैसला सुनाया है।
Supreme Court holds Reliance Communication chairman Anil Ambani and two directors guilty of contempt of court on a contempt plea filed by Ericsson India against him over not clearing its dues of Rs 550 crore. pic.twitter.com/LKzh1Ic9ij
— ANI (@ANI) February 20, 2019
Supreme Court says Anil Ambani & 2 directors have to pay Rs 453 Cr to Ericsson India within 4 weeks & if they fail to pay the amount, three months' jail term will follow. SC also imposed a fine of Rs 1 cr each on them, if not deposited within a month, 1-month jail will be awarded https://t.co/5PG6OsD2j3
— ANI (@ANI) February 20, 2019
शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि एक महीने में राशि का भुगतान नहीं होता है तो सभी पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगेगा और उन्हें 1 महीने की जेल भी होगी। आरकॉम के अन्य दो डायरेक्टर जिन्हें अदालत की अवमानना के मामले में दोषी पाया गया है, वे रिलायंस टेलीकॉम के चेयरमैन सतीश सेठ और रिलायंस इंफ्राटेल के चेयरपर्सन छाया विरानी हैं। गौरतलब है कि रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ बकाया भुगतान नहीं करने पर टेलीकॉम उपकरण निर्माता एरिक्सन की तरफ से दायर तीन अवमानना याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और विनीत सरन की पीठ ने 13 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि एरिक्सन इंडिया ने आरोप लगाया था कि रिलायंस ग्रुप के पास राफेल विमान सौदे में निवेश के लिये रकम है लेकिन वे उसके 550 करोड़ के बकाये का भुगतान करने में असमर्थ हैं। अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी ने इस आरोप से इनकार किया था। अंबानी ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि बड़े भाई मुकेश अंबानी ने नेतृत्व वाली रिलायंस जियो के साथ संपदा की बिक्री का सौदा विफल होने के बाद उनकी कंपनी दिवालियेपन के लिये कार्यवाही कर रही है ऐसे में रकम पर उसका नियंत्रण नहीं है।
रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) ने अदालत को बताया था कि उसने एरिक्सन के बकाये का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए 'जमीन आसमान एक कर दिये' लेकिन वह रकम नहीं चुका पाया क्योंकि जियो के साथ उसका सौदा नहीं हो पाया। यह अवमानना याचिका अंबानी, रिलायंस टेलीकॉम के अध्यक्ष सतीश सेठ, रिलायंस इंफ्राटेल की अध्यक्ष छाया विरानी और एसबीआई अध्यक्ष के खिलाफ दायर की गई थी।