भारत में ई-सिगरेट पर लग सकती है रोक, अगले कुछ घंटों में मोदी कैबिनेट लेगी फैसला

By: Pinki Wed, 18 Sept 2019 3:00:40

भारत में ई-सिगरेट पर लग सकती है रोक, अगले कुछ घंटों में मोदी कैबिनेट लेगी फैसला

दुनियाभर के स्मोकिंग लवर्स के बीच ई-सिगरेट काफी लोकप्रिय है। खासतौर पर यूथ के बीच इसका क्रेज देखा जा सकता है। लेकिन सेहत पर पढ़ते इसके नकारात्मक प्रभाव को देखते हुए न्यू यॉर्क सिटी में इस पर बैन लगा दिया गया है। मंगलवार को न्यू यॉर्क ई सिगरेट पर बैन लगाने वाला दूसरा स्टेट बना गया है। वही भारत में इलेक्ट्रिक सिगरेट (e-cigarettes) के इम्पोर्ट, प्रोडक्शन और बिक्री पर बैन लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की अध्यक्षता में आज कैबिनेट (Cabinet) की अहम बैठक होने वाली है। नियम तोड़ने पर जेल की सजा का प्रावधान मुमकिन है। इस अध्यादेश में हेल्थ मिनिस्ट्री ने पहली बार नियमों के उल्लंघन पर एक साल तक की जेल और 1 लाख रुपये का जुर्माना का प्रस्ताव दिया है। वहीं एक से अधिक बार नियम तोड़ने पर मिनिस्ट्री ने 5 लाख रुपये जुर्माना और 3 साल तक जेल की सिफारिश की है। हाल ही में ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) द्वारा Prohibition of E Cigerettes Ordinance2019 को जांचा गया था। ग्रुफ ऑफ मिनिस्टर्स (GoM) ने इसमें मामूली बदलाव का सुझाव दिया था। यह अध्यादेश आज कैबिनेट के सामने रखा जाएगा। दोपहर 3 बजे वित्त मंत्री और प्रकाश जावड़ेकर कैबिनेट की प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे।

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ई-सिगरेट, हीट-नॉट-बर्न स्मोकिंग डिवाइसेस, वेप एंड ई-निकोटीन फ्लेवर्ड हुक्का जैसे वैकल्पिक धूम्रपान उपकरणों पर प्रतिबंध लगाना अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार के पहले 100 दिनों के एजेंडे की प्राथमिकताओं में था।

अगर सरकार एक अध्यादेश लाती है, तो उसे संसद के अगले सत्र में एक विधेयक के साथ प्रतिस्थापित करना होगा। एक बार जब संसद बिल को मंजूरी दे देती है, तो ऐसे उत्पादों पर प्रस्तावित प्रतिबंध को कानूनी समर्थन मिल जाएगा।

बता दे, यूनाइटेड स्टेड में मिशिगन के बाद न्यूयॉर्क सिटी दूसरा ऐसा स्टेट बन चुका है, जहां फ्लेवर्ड ई-सिगरेट पर बैन लगाया जा चुका है। बैन के निर्णय के बाद एंड्रयू क्वोमो ने कहा कि 'इस बात में कोई संदेह नहीं है कि ई-सिगरेट प्रोवाइडर कंपननियां जानबूझकर बबलगम, कैप्टन क्रंच और कॉटन कैंडी जैसे फ्लेवर का उपयोग कर रही हैं ताकि युवाओं को ई-सिगरेट की तरफ आकर्षित किया जा सके। यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट का विषय है और आज यह समाप्त होता है।'

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