सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नाराज कांग्रेस बोली - SC/ST एक्ट को मोदी सरकार कमजोर कर रही है
By: Priyanka Maheshwari Wed, 21 Mar 2018 1:58:21
मंगलवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध में सुप्रीम कोर्ट ने नए दिशा निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए कांग्रेस ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट को मोदी सरकार कमजोर कर रही है। साथ ही कांग्रेस ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर इस एक्ट पर पीएम मोदी चुप क्यों हैं। इतना ही नहीं, कांग्रेस ने इस एक्ट को कमजोर करने के लिए बीजेपी और आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया।
बीजेपी पर हमला बोलते हुए कांग्रेस ने कहा गरीब और दलित विरोधी चेहरा सामने आ गया है। कांग्रेस ने कहा कि मोदी सरकार के चलते देश में सबसे ज्यादा दलितों पर अत्याचार हो रहा है। कांग्रेस इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करेगी।
कांग्रेस ने कहा कि हर 12 मिनट में एक दलित पर अत्याचार हो रहा है। 40 हजार आठ सौ मुकदमें हुए हैं। सरकार के आंकड़े कहते हैं कि इस मामले में महज 25 फीसदी केस में ही सजा मिलती है। मोदी सरकार ने एसएसटी सबप्लान को खत्म कर दिया।
कांग्रेस ने कहा बीजेपी इस कानून को कमजोर करने की कोशिश कर रही है और इस पर फिर से विचार करने की जरूरत। रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि सरकार के समर्थन से शोषण हो रहा है। कांग्रेस ने कहा कि एससी-एसटी एक्ट पर फैसला काफी अफसोसजनक है।
कांग्रेस ने योगी के साबुन वाली घटना और येदुयेरप्पा पर भी हमला बोला और कहा कि ये लोग दलित के घर जाते हैं और फाइव स्टार होटल से खाना मंगवा कर खाते हैं। वहीं योगी लोगों से मिलने के बाद साबुन से हाथ धोते हैं।
बता दें कि मंगलवार को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 के तहत अपराध में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के मामलों में अब कोई ऑटोमैटिक गिरफ्तारी नहीं होगी। इतना ही नहीं गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है। साथ ही गिरफ्तारी से पहले बेल दी जा सकती है। सर्वोच्च न्यायालय ने इस अधिनियम के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग की बात को मानते हुए कहा कि इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि कोई आरोपी व्यक्ति सार्वजनिक कर्मचारी है, तो नियुक्ति प्राधिकारी की लिखित अनुमति के बिना, यदि व्यक्ति एक सार्वजनिक कर्मचारी नहीं है तो जिला के वरिष्ठ अधीक्षक की लिखित अनुमति के बिना गिरफ्तारी नहीं होगी। कोर्ट ने कहा कि ऐसी अनुमतियों के लिए कारण दर्ज किए जाएंगे और गिरफ्तार व्यक्ति व संबंधित अदालत में पेश किया जाना चाहिए। मजिस्ट्रेट को दर्ज कारणों पर अपना दिमाग लगाना चाहिए और आगे आरोपी को तभी हिरासत में रखा जाना चाहिए जब गिरफ्तारी के कारण वाजिब हो। यदि इन निर्देशों का उल्लंघन किया गया तो ये अनुशासानात्मक कार्रवाई के साथ साथ अवमानना कार्रवाई के तहत होगी। कोर्ट ने कहा कि संसद ने कानून बनाते वक्त ये नहीं सोचा था कि इसका दुरुपयोग किया जाएगा।