CBI vs CBI: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- जज की निगरानी में 2 हफ्ते में पूरी हो CVC जांच, नागेश्वर राव कोई नीतिकगत फैसला नहीं लेंगे

By: Pinki Fri, 26 Oct 2018 12:14:09

CBI vs CBI: सुप्रीम कोर्ट का आदेश- जज की निगरानी में 2 हफ्ते में पूरी हो CVC जांच, नागेश्वर राव कोई नीतिकगत फैसला नहीं लेंगे

आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के फैसले के खिलाफ कांग्रेस का शुक्रवार को देशभर में विरोध जताने का ऐलान किया है। दिल्ली में भी सीबीआई मुख्यालय के सामने पार्टी के कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा है। बताया जा रहा है कि इसमें राहुल गांधी भी शामिल हो सकते हैं। उधर, कांग्रेस के इस प्रदर्शन का तृणमूल कांग्रेस ने भी समर्थन किया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो CBI के निदेशक आलोक वर्मा को छुट्टी पर भेजने के मोदी सरकार के आदेश को खुद आलोक वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सीबीआई CBI vs CBI में छिड़ी जंग के बीच आज यानी शुक्रवार को सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा Alok Verma की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट Supreme Court में सुनवाई है। सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के बीच जंग जब सार्वजनिक हो गया और आरोप-प्रत्यारोप खुलकर सामने आ गये, तब आनन-फानन में केंद्र सरकार ने दोनों सीबीआई की टॉफ अफसरों को छुट्टी पर भेज दिया और एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक नियुक्त कर दिया। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के निदेशक आलोक कुमार वर्मा के अधिकार वापस लेकर उन्हें छुट्टी पर भेजे जाने के खिलाफ उनकी याचिका पर ही आज सुप्रीम कोर्ट मे सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने CVC जांच के लिए 2 हफ्ते का समय दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि अंतरिम सीबीआई डायरेक्टर कोई नीतिकगत फैसला नहीं लेंगे। वह सिर्फ रूटिन काम ही करेंगे।

सुनवाई के दौरान सीबीअाई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। इससे पहले गुरुवार को सीबीआई ने इस मामले में सफाई दी। कहा- आलोक वर्मा अभी भी सीबीआई डायरेक्टर और राकेश अस्थाना स्पेशल डायरेक्टर हैं। इन अफसरों को हटाया नहीं गया है। इन्हें सिर्फ जांच से अलग करके छुट्टी पर भेजा गया है।

सुप्रीम कोर्ट में दी गई याचिका में आलोक वर्मा की दलीलें


सीबीआई चीफ आलोक वर्मा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई होनी है। याचिका में वर्मा ने दलील दी कि उन्हें हटाना डीपीएसई एक्ट की धारा 4बी का उल्लंघन है। डायरेक्टर का कार्यकाल दो साल तय है। प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई की कमेटी ही डायरेक्टर को नियुक्त कर सकती है। वही हटा सकती है। इसलिए सरकार ने कानून से बाहर जाकर निर्णय लिया है। कोर्ट ने बार-बार कहा है कि सीबीआई को सरकार से अलग करना चाहिए। डीओपीटी का कंट्रोल एजेंसी के काम में बाधा है।

सरकार ने कहा- एजेंसी की छवि के लिए ऐसा करना जरूरी

सीबीआई विवाद में कार्रवाई को लेकर सरकार ने बुधवार को जवाब दिया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा- केंद्र ने कहा कि सीबीआई की ऐतिहासिक छवि रही है और उसकी ईमानदारी को बनाए रखने के लिए ऐसा करना जरूरी हो गया था। सीवीसी की अनुशंसा पर एक एसआईटी पूरे मामले की जांच करेगी। केंद्र ने यह भी साफ किया अगर अधिकारी निर्दोष होंगे तो उनकी वापसी हो जाएगी। सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सीवीसी की सिफारिश के बाद केंद्र ने अधिकारियों को हटाने का फैसला किया है।

सरकार ने बुधवार को अपना पक्ष रखा


सीबीआई (CBI vs CBI) में जारी घमासान के बीच सरकार ने बुधवार को अपना पक्ष रखा। सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मीडिया से कहा कि सीबीआई में जो भी हुआ वह दुर्भाग्यपूर्ण है। साथ ही आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजे जाने के फैसले की आलोचना के जवाब में सरकार ने कहा कि सीवीसी की सिफारिश के आधार पर ही उन्हें छुट्टी पर भेजा गयाय। अरुण जेटली ने कहा कि सीवीसी के पास इस सीबीआई मामले की जांच करने का अधिकार है और उसके पास सारे कागजात हैं।

माेइन कुरैशी के मामले की जांच से शुरू हुआ रिश्वतखोरी विवाद

सीबीआई में अस्थाना मीट कारोबारी मोइन कुरैशी से जुड़े मामले की जांच कर रहे थे। इस जांच के दौरान हैदराबाद का सतीश बाबू सना भी घेरे में आया। एजेंसी 50 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के मामले में उसके खिलाफ जांच कर रही थी। सना ने सीबीआई चीफ को भेजी शिकायत में कहा कि अस्थाना ने इस मामले में उसे क्लीन चिट देने के लिए 5 करोड़ रुपए मांगे थे। हालांकि, 24 अगस्त को अस्थाना ने सीवीसी को पत्र लिखकर डायरेक्टर आलोक वर्मा पर सना से दो करोड़ रुपए लेने का आरोप लगाया था।

सीबीआई कैसे पहुंचा राफेल का मामला?

अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर में दावा किया गया है कि सीबीआई चीफ अालोक वर्मा जिन मामलों को देख रहे थे, उनमें सबसे संवेदनशील केस राफेल डील से जुड़ा था। दरअसल, 4 अक्टूबर को ही वर्मा को पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण की तरफ से 132 पेज की एक शिकायत मिली थी। इसमें कहा गया था कि फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने की सरकार की डील में गड़बड़ी हुई है। आरोप था कि हर एक प्लेन पर अनिल अंबानी की कंपनी को 35% कमीशन मिलने वाला है। दावा है कि आलोक वर्मा को जब हटाया गया, तब वे इस शिकायत के सत्यापन की प्रक्रिया देख रहे थे।

कांग्रेस करेगी देशभर में विरोध प्रदर्शन


रातों रात सीबीआई चीफ आलोक वर्मा को पद से हटाकर उनकी जगह नागेश्वर राव को नियुक्त करने पर भी अब मोदी सरकार घिरती हुई नज़र आ रही है। मोदी सरकार इस फैसले के बाद विपक्ष के निशाने पर आ गई है। सभी मोदी सरकार के इस फैसले को राफेल डील से जोड़कर देख रहे हैं। और बयानबाज़ी का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस, बीएसपी, सीपीआई सभी ने मोदी सरकार के इस फैसले को संदेह के नज़रिए से देखते हुए तमाम आरोप लगाए हैं। वही अब कांग्रेस ने 26 अक्टूबर को देशभर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस 26 अक्टूबर यानि कल देश भर के सीबीआई कार्यालयों में विरोध करेगी।

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