बुराड़ी 11 मौतों की मिस्ट्री : ललित पर आती थी आत्मा, पिता के नाम पर सुनाया जाता था फैसला

By: Priyanka Maheshwari Wed, 04 July 2018 06:58:01

बुराड़ी 11 मौतों की मिस्ट्री : ललित पर आती थी आत्मा, पिता के नाम पर सुनाया जाता था फैसला

बुराड़ी हत्याकांड की जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नये खुलासे होते जा रहे है। 11 लोगों की मौत के रहस्य की जांच करते हुए पुलिस के हाथ ललित के घर से जो दो रजिस्टर व कुछ नोट्स मिले हैं। माना जा रहा है कि घर से बरामद रजिस्टरों में जिस मोक्ष की बात की जा रही है, उसमें इस बाबा ने भी मदद की है। ज्वाइंट कमिश्नर के मुताबिक, रजिस्टर में लिखा है कि तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे। पिताजी ने कहा है कि आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी। लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज कर देना, मैं तुम्हें बचा लूंगा। जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना। बंधे हाथ खोलने में भी एक दूसरे की मदद करना।

ललित के पिता की आत्मा देती थी निर्देश

मिले रजिस्टर से पता चला है कि न सिर्फ ललित के पिता उसके सपने में आते थे बल्कि उनकी आत्मा साक्षात उस पर आ जाता थी। ऐसा होने से पूर्व वह घर के सभी लोगों को एक जगह इकठ्ठा कर लेता था। इसके बाद वह पिता का फैसला सभी को सुनाता था। सभी ललित को अलौकिक और स्पेशल पावर से लैस मानते थे। वहीं पड़ोसियों का कहना है कि घर के छोटे बड़े सभी फैसले ललित ही लेता था। उसका बड़ा भाई भूपी चुपचाप ही रहता था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक 2010 में ललित व भूपी के पिता भोपाल सिंह चुंडावल की बीमारी के बाद मौत हो गई। इसके बाद उसके पिता ने उसके सपने में आना शुरू कर दिया। शुरूआत में उन्होंने सपने में दिशा निर्देश दिए। इसके बाद उनकी आत्मा उसमें आने लगी। अपने सभी छोटे-बड़े काम ललित पिता की आत्मा के आदेश पर करता। यहां उसने अपनी दुकानों को बड़ा कराने और घर को दुबारा से बनाने का काम भी पिता की आत्मा के कहने पर किया। पिछले करीब एक साल से ललित पिता के आदेश पर ही अपने घर में निर्माण कार्य करवा रहा था। ठेकेदार कुंवर पाल ने बताया कि रुक-रुककर वह मकान में काम करवा रहे थे। फिलहाल ललित को कुंवरपाल के एक लाख रुपये भी देना थे। वहीं घर से मिले रजिस्टर की छानबीन से पता चलता है, ललित व उसका परिवार पिछले काफी दिनों से मोक्ष प्राप्ति की तैयारी कर रहा था। इसके लिए सही समय का इंतजार किया जा रहा था। सूत्रों की मानें तो इसके लिए दो बार प्रेक्टिस भी की गई थी। ललित व बाकी परिवार का मानना था कि क्रिया को करने से उनकी जान नहीं जाएगी। रजिस्टर से यह भी पता चला है कि रविवार सुबह 4.38 बजे भद्रा काल लग रहा था। भद्रा काल अशुभ होता है, लिहाजा मोक्ष की प्राप्ति भद्रा काल लगने से पहले ही होगी। इसी लिए परिवार ने रात 12.00 से 1.00 बजे के बीच खुद को फंदे पर लटका लिया।ाकहीं न कहीं उन्हें खुद के बचने का यकीन था।

मरने की बात नहीं लिखी

मामले की जांच से जुड़ी पुलिस ने यह भी खुलासा किया कि रजिस्टर में लिखी बातों और मौका-ए-वारदात से ये पता चलता है कि पूरा परिवार एक अनुष्ठान कर रहा था। इसके तहत ही हाथ और मुंह पर पट्टी बांधकर लटकना इसका अंतिम चरण था लेकिन इससे मरने की बात नहीं लिखी गई थी। इस कारण इस परिवार को मरने का अंदेशा नहीं था।

एक और डायरी मिली

क्राइम ब्रांच ने मंगलवार को एक बार फिर घर की सघन तलाशी ली और रिश्तदारों से घंटों पूछताछ की। तलाशी के दौरान घर से एक और डायरी मिली है, जिसमें आध्यात्मिक बातों का जिक्र है। क्राइम ब्रांच के ज्वाइंट कमिश्नर आलोक कुमार ने बताया कि मौका-ए-वारदात का मुआयाना करने के लिए पुलिस की 20 सदस्यीय टीम पहुंची थी। करीब ढाई घंटे तक छानबीन में एक डायरी मिली है। डायरी में हालांकि सभी पन्नों पर नहीं लिखा गया है। इसमें से कुछ पन्ने ही लिखे गए हैं लेकिन लिखावट वही है। उसमें कोई बदलाव नहीं है।

इसके अलावा डायरी में वर्ष-2011 की तारीख लिखी गई है। इसमें भी वही धार्मिक आदेशात्मक बातों का जिक्र है। हालांकि उसमें नियम के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। पुलिस ने बुजुर्ग महिला की नाती की सगाई में शामिल हुए रिश्तेदारों को भी पूछताछ के लिए बुलाया है, ताकि इस परिवार के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाई जा सके।

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