देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले भगतसिंह के जीवन से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें, शायद ही जानते होंगे आप
By: Ankur Fri, 28 Sept 2018 07:50:01
28 सितम्बर 1907 को पंजाब में भगतसिंह का जन्म हुआ था। देश की आजादी के लिए मर मिटने वाले भगतसिंह के किस्से-कहानियों के बारे में सभी जानते हैं। लेकिन कुछ ऐसी अनसुनी बातें भी हैं जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। इसलिए आज भगतसिंह के जन्मदिन के मौके पर हम आपको उनसे जुडी कुछ अनसुनी बातें बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में।
* लाहौर जेल में बंद कुछ कैदियों की एक चिट्ठी जेल में ही बंद भगतसिंह के पास पहुंची, जिसमें लिखा था कि "हमने अपने भागने के लिए एक रास्ता बनाया है, लेकिन हम चाहते हैं कि हमारी जगह आप उससे निकल जाएं"। जवाब में भगतसिंह ने लिखा "धन्यवाद, मैं आपका आभारी हूं लेकिन ये आग्रह स्वीकार नहीं कर सकता अगर ऐसा किया तो मेरे जीने का मकसद ही खत्म हो जाएगा।
* भगत सिंह 12 साल के ही थे, तभी एक घटना ने उनके बाल मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डाला। 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में निहत्थे लोगों पर अंधाधुंध फायरिंग में हुई सैकड़ों मौतों ने भगत को झकझोर कर रख दिया। कहा जाता है कि बाद में वो अपने परिवार के साथ वहां पहुंचे और जलियांवाला बाग की लहूलुहान मिट्टी को एक बोतल में भरकर घर ले आए।
* भगत सिंह लाहौर के नेशनल कालेज में पढ़ते थे और वहां नाटकों और प्ले में खूब बढ़चढ़कर भाग लेते थे। महाराणा प्रताप और सम्राट चंद्रगुप्त पर बने कई प्ले में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई।
* भगत बड़े हुए तो दिल में क्रांति के बीज पलने लगे, लेकिन घरवाले इससे अंजान थे। उनकी मां विद्यावती देवी उनकी शादी के लिए लड़की तलाशने लगी। जैसे ही इसकी खबर भगत को लगी तो वह घर से फरार हो गए और कलकत्ता पहुंच गए। यहां से घरवालों को खत लिखा कि उनकी दुल्हन सिर्फ मौत बन सकती है।
* उन्हें लिखने का बहुत शौक था, जेल में रहने के दौरान उन्होंने कई कविताएं लिखीं। इस दौरान उन्होंने लेनिन और मार्क्स को भी खूब पढ़ा। इसके बाद उन्होंने जेल में ही एक पुस्तक लिखी "मैं नास्तिक क्यों हूं"।
* भगत सिंह को फिल्में देखने का भी शौक था। बताया जाता है लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए अंग्रेज अफसर जॉन सैंडर्स को मारने से पहले भी उन्होंने अंग्रेजी फिल्म अंकल टॉम्स केबिन देखी थी जो गुलामी के दिनों पर आधारित एक नॉवल पर बनी थी।
* भगत सिंह को नेशनल असेंबली में बम फेंकने के मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। खास बात ये थी कि जो बम असेंबली में फेंका गया था वो सिर्फ सबका ध्यान खींचने के लिए था किसी की जान लेने के लिए नहीं। बाद में ब्रिटिश सरकार ने भी इस बात को माना।
* 1930 में जेल जाने के दौरान भगत सिंह ने जेल में ही सत्याग्रह शुरू कर दिया। उन्होंने कैदियों के अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन किया। जिसमें उन्हें मूलभूत सुविधाएं देने की मांग की गई।