हमारी लड़ाई मस्जिद के लिए थी, हम खैरात में जमीन का एक टुकड़ा नहीं चाहते : असदुद्दीन ओवैसी
By: Pinki Wed, 13 Nov 2019 1:09:42
सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने अंतिम फैसले में अयोध्या की विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया है। वहीं, मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में पांच एकड़ जमीन अलग से देने का भी ऐलान किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिए इस ऐतिहासिक फैसले के बाद से प्रतिक्रियाओं का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा। तमाम पार्टियों ने इस पर अपने रिएक्शन दिए। वही इसी कड़ी में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने एक बार फिर अपनी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने कहा कि, हम खैरात में जमीन का एक टुकड़ा नहीं चाहते हैं। इतने वर्षों का हमारा संघर्ष और धैर्य जमीन के एक टुकड़े के लिए नहीं था।' 'हमारी लड़ाई मस्जिद के लिए थी, 5 एकड़ भूमि के लिए नहीं।' इससे पहले अयोध्या पर फैसला आने के बाद भी ओवैसी ने रिएक्शन दिया था। ओवैसी (Owaisi) ने कहा था, 'मैं कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हूं। सुप्रीम कोर्ट वैसे तो सबसे ऊपर है, लेकिन अपरिहार्य नहीं है। हमें संविधान पर पूरा भरोसा है, हम अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, हमें खैरात के रूप में 5 एकड़ जमीन नहीं चाहिए। हमें इस पांच एकड़ जमीन के प्रस्ताव को खारिज कर देना चाहिए। हम पर कृपा करने की जरूरत नहीं है।'
"We don't want a piece of land in khairaat. Our struggle and patience for all these years were not for a piece of land." - @asadowaisi pic.twitter.com/pR9OIiIlmP
— AIMIM (@aimim_national) November 12, 2019
"Our fight was for a masjid, not for a 5-acre land." - @asadowaisi pic.twitter.com/8ReSqimUT8
— AIMIM (@aimim_national) November 12, 2019
बता दे, फैसले के अनुसार सुन्नी वक्फ बोर्ड को नई मस्जिद के निर्माण के लिए पांच एकड़ ज़मीन का एक 'उपयुक्त' प्लॉट देने का का फैसला हुआ था। न्यायमूर्तियों ने कहा था कि ऐसा किया जाना ज़रूरी था, क्योंकि 'जो गलतियां की गईं, उन्हें सुधारना सुनिश्चित करना भी' कोर्ट का उत्तरदायित्व है। कोर्ट ने यह भी कहा कि 'सहिष्णुता तथा परस्पर सह-अस्तित्व हमारे देश तथा उसकी जनता की धर्मनिरपेक्ष प्रतिबद्धता को पुष्ट करते हैं...' कोर्ट ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए सरकार द्वारा तीन महीने के भीतर एक ट्रस्ट या बोर्ड का गठन किया जाना चाहिए।
वही अयोध्या मामले में प्रमुख मुद्दई रहे इकबाल अंसारी तथा कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने केंद्र सरकार से वर्ष 1991 में अधिग्रहीत की गई भूमि में से मस्जिद के लिए जमीन देन की मांग की है। विवादित ढांचे के आसपास की 67 एकड़ जमीन 1991 में केंद्र सरकार ने अधिग्रहित कर ली थी। अंसारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार अगर सरकार हमें जमीन देना चाहती है तो वह उसी 67 एकड़ हिस्से में से होनी चाहिए जिसे केंद्र ने अधिग्रहित किया था। हम तभी इसे स्वीकार करेंगे। नहीं तो हम जमीन लेने से इंकार कर देंगे।
वही मौलाना जमाल अशरफ नामक स्थानीय धर्मगुरु ने कहा कि मुसलमान मस्जिद बनाने के लिए अपने पैसे से जमीन खरीद सकते हैं और वे इसके लिए केंद्र सरकार पर निर्भर नहीं हैं। सरकार अगर हमें कुछ तसल्ली देना चाहती है तो उसे 1991 में अधिग्रहित की गई 67 एकड़ भूमि में से ही कोई जमीन देनी चाहिए। उस जमीन पर कई कब्रिस्तान और सूफी संत काजी कि़दवा समेत कई दरगाहे हैं। मामले के एक अन्य मुद्दई हाजी महबूब ने कहा कि हम झुनझुना स्वीकार नहीं करेंगे। सरकार को साफ तौर पर बताना होगा कि वह हमें कहां जमीन देने जा रही है।
जमीअत उलमा ए हिंद की अयोध्या इकाई के अध्यक्ष मौलाना बादशाह खान ने कहा कि मुसलमान बाबरी मस्जिद का मुकदमा लड़ रहे थे ना कि किसी जमीन का। हमें मस्जिद के बदले कहीं कोई जमीन नहीं चाहिए, बल्कि हम उस जमीन को भी राम मंदिर निर्माण के लिए दे देंगे।