1997 में रखी गई थी आधारशिला, आज जनता के लिए खुलेगा देश का सबसे लंबा रेल-रोड पुल 'बोगीबील', पढ़ें बड़ी बातें

By: Pinki Tue, 25 Dec 2018 09:56:00

1997 में रखी गई थी आधारशिला, आज जनता के लिए खुलेगा देश का सबसे लंबा रेल-रोड पुल 'बोगीबील', पढ़ें बड़ी बातें

21 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार ब्रह्मपुत्र नदी पर डबल डेकर रेल और रोड पुल बनकर तैयार हो गया है, जिसके जरिए दोनों राज्यों (असम और अरुणाचल प्रदेश) के बीच आवागमन आसान हो जाएगा। 4.94 किलोमीटर लंबा असम में ऊपरी ब्रह्मपुत्र नदी पर बना बोगीबील ब्रिज भारतीय सेना के लिए काफी महत्वपूर्ण है। खासकर अरुणाचल सीमा से सटे होने के कारण सामरिक दृष्टि से यह काफी महत्वपूर्ण है। यह रेल-रोड ब्रिज देश को नई ताकत देगा। पीएम मोदी, दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वर्षगांठ (25 दिसंबर) के अवसर पर इस बोगीबील पुल पर रेल आवागमन की शुरुआत करेंगे। यह दिन केंद्र सरकार द्वारा ‘सुशासन दिवस’ के रूप में भी बनाया जाता है। इसकी आधारशिला 1997 में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने रखी थी। इलाके के लोगों के लिए ये पुल एक सपना पूरा होने जैसा है।
- स्थानीय लोगों का कहना है कि हमारा सपना पूरा होने जा रहा है। ये पुल ब्रह्मपुत्र घाटी के उत्तरी और दक्षिणी सिरों को जोड़ेगा। इसका हमसे अलग-सा नाता है।

- ब्रह्मपुत्र के दो सिरों को जोड़ना अपने आप में चुनौती का काम था। ये भारी बारिश का इलाका है, ये भूकंप की आशंका वाला इलाका है, ये पुल कई मायनों में अनोखा है। ये देश में सबसे बड़ा है।

- इस डबल डेकर पुल को भारतीय रेलवे ने बनाया है। इसके नीचे के डेक पर दो रेल लाइन हैं और ऊपर के डेक पर 3 लेन की सड़क है। ये पुल उत्तर में धेमाजी को दक्षिण में डिब्रूगढ़ से जोड़ेगा।

- पहले धेमाजी से डिब्रूगढ़ की 500 किलोमीटर की दूरी तय करने में 34 घंटे लगते थे, अब ये सफर महज 100 किलोमीटर का रह जाएगा और 3 घंटे लगेंगे। इस पर 5920 करोड़ की लागत आई है। शुरू में इसकी लागत 1767 करोड़ आने का अनुमान लगाया गया था।

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- इस पुल से फौजी टैंक भी जा सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि मेडिकल इमरजेंसी की हालत में ये पुल बहुत ही मददगार साबित होगा। पहले डिब्रूगढ़ जाने के लिये हम लोग पानी के जहाज़ पर निर्भर करते थे, लेकिन अब हर काम में आसानी हो जाएगी।

- 2014 के आम चुनावों में बीजेपी का एक बड़ा वादा इस पुल को पूरा करने का भी था। इस पुल को देश का सबसे धीमा प्रोजेक्ट होने की बदनामी झेलनी पड़ी, हो सकता है कि 2019 के चुनावों ने उसकी गति बढ़ा दी हो।

- अधिकारियों के अनुसार यह पुल एशिया का दूसरा सबसे लंबा पुल है। यह पुल अगले 120 साल तक सेवा दे पाएगा।

- इस पुल के उद्घाटन के मौके पर पीएम मोदी तिनसुकिया और नहारलागुन इंटरसिटी एक्सप्रेस को भी हरी झंडी दिखाएंगे।

- इस पुल को बनाने में कुल 30 लाख सीमेंट की बोरियां लगी हैं।

- बोगीबील रेल और रोड ब्रिज़ है। इस पर दो समानांतर रेल लाइनें हैं और इन पर ट्रेनें 100 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ सकेंगी। ट्रेन के पुल के ऊपर सड़क पुल होगा। इस पर 5800 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसे बनाने में 77000 मेट्रिक टन लोहे का इस्तेमाल हुआ है। इस क्षेत्र में मार्च से अक्टूबर तक बारिश होती है। इसके चलते पुल निर्माण कार्य के लिए हर साल केवल 5 महीने का समय मिलता था।

- बोगीबील रेल और रोड ब्रिज़ है। इस पर दो समानांतर रेल लाइनें हैं और इन पर ट्रेनें 100 किलोमीटर की रफ़्तार से दौड़ सकेंगी। ट्रेन के पुल के ऊपर सड़क पुल होगा। इस पर 5800 करोड़ रुपये की लागत आई है। इसे बनाने में 77000 मेट्रिक टन लोहे का इस्तेमाल हुआ है। इस क्षेत्र में मार्च से अक्टूबर तक बारिश होती है। इसके चलते पुल निर्माण कार्य के लिए हर साल केवल 5 महीने का समय मिलता था।

- इस पुल के बनने से भारतीय सेना को भी भारत-चीन सीमा के पास पहुंचने में मदद मिलेगी। पहले सेना को भी नदी के दूसरी तरफ जाने के लिए कई घंटे का रास्ता तय करना पड़ता था।

- दिल्ली से डिब्रूगढ़ रेल यात्रा समय तीन घंटे घट कर 34 घंटे रह जाएगा। इससे पहले यह दूरी 37 घंटे में तय होती थी।

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