देश किसी भी तरह से कमजोर गठबंधन सहन नहीं कर सकता : वित्त मंत्री
By: Priyanka Maheshwari Sat, 15 Dec 2018 09:32:25
बीजेपी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन थ्योरी पर उद्योग मंडल फिक्की की सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि देश किसी भी तरह से कमजोर गठबंधन सहन नहीं कर सकता है। भारत स्थिर नीतिगत निर्णय तथा सुधारों के रास्ते में निरंतर आगे बढ़ने के लिये एक कमजोर गठबंधन सहन नहीं कर सकता।
उन्होंने आगे कहा, ‘‘...आपको एक सशक्त नेतृत्व की जरूरत है। आप एक कमजोर गठबंधन को सहन नहीं कर सकते। ऐसी सरकार में एक दिन हो सकता है कि एक भागीदार कहे कि अगर आपने मेरे राज्य को विशेष दर्जा नहीं दिया, मैं समर्थन वापस ले लूंगा। फिर दूसरे भी कहेंगे, मेरे राज्य को यह दर्जा क्यों नहीं मिलना चाहिए?...’’
जेटली ने कहा कि गठबंधन सरकार में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है जहां देश इस प्रकार के दलों पर निर्भर होकर असहाय होगा।
आयुष्मान भारत योजना, गरीब परिवार को मुक्त चिकित्सा
जेटली ने देश को बताया कि आयुष्मान भारत योजना के तहत पिछले ढाई महीने में 5 लाख गरीब परिवार को मुक्त चिकित्सा सुविधा मिली है। राजकोषीय घाटे पर बात करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार चालू वित्त वर्ष में 3.3 प्रतिशत राजकोषीय घाटे के लक्ष्य पर कायम रहेगी।
7 से 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर
उन्होंने यह भी कहा कि भारत वैश्विक चुनौतियों के बावजूद 7 से 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि दर को हासिल करेगा और दुनिया की तीव्र वृद्धि वाली बड़ी अर्थव्यवस्था का तमगा बनाये रखेगा। ‘‘हमारी 7 से 8 प्रतिशत के बीच वृद्धि हासिल करने की क्षमता बिल्कुल तय है। विभिन्न प्रतिकूल परिस्थिति के बावजूद यह बिल्कुल तय है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल भी कई चुनौतियों के बावजूद हम राजकोषीय लक्ष्य को बनाये रखने में कामयाब होंगे क्योंकि कच्चे तेल के दाम बढ़ने और डालर की मजबूती से चालू खाते का घाटा प्रभावित होता है और हमारे लिये इन दोनों घाटों के साथ चलना बहुत मुश्किल होगा... क्योंकि इसका असर काफी गंभीर होता है।’’
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 3.3 प्रतिशत रखने का लक्ष्य रखा है। यह 2017-18 के 3।5 प्रतिशत से कम है। ताजा आंकड़े के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर में राजकोषीय घाटा बजटीय अनुमान का 103.9 प्रतिशत रहा है।
जेटली ने कहा कि भारत तेल का बड़ा आयातक है, ऐसे में तेल कीमतों का सीधा प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि भारत के पास एक सीमा तक कच्चे तेल के बढ़ते दाम से निपटने की क्षमता है और जब यह सीमा को पार करता है, यह मुद्रास्फीति, मुद्रा तथा चालू खाते के घाटे को प्रभावित कर सकता है।
विदेशी मुद्रा के कुल प्रवाह और निकासी का अंतर चालू खाते का घाटा (कैड) जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी का 2.9 प्रतिशत रहा जो अप्रैल-जून में 2.4 प्रतिशत था। उन्होंने कहा, ‘‘जब वैश्विक चुनौतियां सामने आती हैं, हम चाहते हैं कि कम-से-कम हमारी आंतरिक घरेलू क्षमता इतनी मजबूत हो कि वह इसका सामना कर सके। भारतीय अर्थव्यवस्था अब इतनी बड़ी है कि हम वैश्विक चुनौतियों के बावजूद एक निश्चित सीमा तक जुझारूपन दिखा सकते हैं... हम अब भी वृद्धि के मामले में बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाले की श्रेणी में बने हुए हैं।’’
अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि कर्ज में कठिनाई की स्थिति से बाहर निकलने तथा नकदी स्थिति में सुधार की जरूरत है।
(इनपुट भाषा-एएनआई से )