हिंदी भाषा को लेकर दिए अपने बयान पर शाह की सफाई, कहा - कभी नहीं कही थोपने की बात
By: Pinki Wed, 18 Sept 2019 7:26:18
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने हिंदी भाषा को लेकर दिए अपने बयान पर उठे विवाद के बाद आज बुधवार को सफाई दी है। उन्होंने कहा, 'मैंने क्षेत्रीय भाषाओं पर हिंदी भाषा को थोपने की बात कभी नहीं कही। मैंने सिर्फ इतनी अपील की थी कि मातृभाषा के बाद दूसरी भाषा के रूप में हिंदी को सीखना चाहिए। मैं खुद गैर हिंदी भाषी राज्य गुजरात से आता हूं। अगर कुछ लोग इस पर राजनीति करना चाहते हैं, तो यह उनकी च्वॉइस है।'
आपको बता दें कि 14 सितंबर को हिंदी दिवस (Hindi Divas) के मौके पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने देश की साझी भाषा के तौर पर हिंदी को अपनाने की वकालत की थी, जिसके बाद इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हो गई थी। खासतौर से दक्षिण भाषी नेता इसे मानने को तैयार नहीं हैं। हाल ही में कमल हासन हिंदी का विरोध कर चुके हैं। अमित शाह ने कहा था कि देश को एकजुट करने का काम अगर कोई भाषा कर सकती है, तो वह हिंदी ही है। वैसे भारत कई भाषाओं का देश है और हर भाषा का अपना अलग महत्व है। हालांकि पूरे देश में एक भाषा का होना बेहद जरूरी है, जो दुनिया में उसकी पहचान बन सके।
Union Home Minister Amit Shah: I never asked for imposing Hindi over other regional languages&had only requested for learning Hindi as the 2nd language after ones mother tongue. I myself come from a non-Hindi state of Gujarat. If some people want to do politics, its their choice pic.twitter.com/JXS3VFTKUl
— ANI (@ANI) September 18, 2019
अमित शाह ने कहा था कि महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल के सपनों को साकार करने के लिए प्रतिदिन के कामों में हिंदी का इस्तेमाल बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके बाद से अमित शाह के इस बयान पर बवाल मचा हुआ है। गैर हिंदी भाषा राज्य के क्षेत्रीय दल और उनके नेता लगातार इसका विरोध कर रहे हैं।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा खुद हिंदी भाषा को थोपने के खिलाफ बयान दिया। इसके अलावा अभिनेता रजनीकांत, डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, साउथ सुपरस्टार और राजनेता कमल हासन समेत कई विपक्षी नेताओं ने इसका विरोध किया।
रजनीकांत ने कहा, 'हिंदी को थोपा नहीं जाना चाहिए। न केवल तमिलनाडु बल्कि कोई भी दक्षिण राज्य हिंदी थोपे जाने को स्वीकार नहीं करेगा। केवल हिंदी ही नहीं किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाना चाहिए। यदि एक आम भाषा होती है तो यह देश की एकता और प्रगति के लिए अच्छा होगा लेकिन किसी भाषा के जबरन थोपे जाने को स्वीकार नहीं किया जाएगा।'
उन्होंने कहा, 'विशेष रूप से, यदि आप हिंदी थोपते हैं, तो तमिलनाडु ही नहीं, बल्कि कोई भी दक्षिणी राज्य इसे स्वीकार नहीं करेगा। उत्तर भारत में भी कई राज्य यह स्वीकार नहीं करेंगे।'
16 सितंबर को कमल हासन ने एक वीडियो अपलोड कर कहा था कि एक और भाषा आंदोलन होगा, जो तमिलनाडु में जल्लीकट्टू विरोध प्रदर्शनों की तुलना में बहुत बड़ा होगा। वीडियो में कमल हासन अशोक स्तंभ और संविधान की प्रस्तावना के बगल में खड़े दिखाई दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने 1950 में लोगों से एक वादा करने के साथ गणतंत्र बन गया कि उनकी भाषा और संस्कृति की रक्षा की जाएगी। कोई भी शाह, सुल्तान या सम्राट अचानक उस वादे को नहीं तोड़ सकते।