9/11 आतंकी हमले में बाद अमेरिका का साथ देना पाकिस्तान की बड़ी भूल : इमरान खान

By: Pinki Tue, 24 Sept 2019 08:41:46

9/11 आतंकी हमले में बाद अमेरिका का साथ देना पाकिस्तान की बड़ी भूल : इमरान खान

पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) और अमेरिका (America) के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के बीच न्यूयॉर्क (NewYork) में सोमवार को मुलाकात हुई। इस मुलाकात में इमरान खान ने डोनाल्ड ट्रंप के आगे कश्मीर का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर भारत बातचीत को तैयार नहीं है, जो एक बड़े संकट की शुरुआत है। हम मामले को सुलझाने के लिए अमेरिका का साथ चाहते हैं। वही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस मसले पर भारत को अपना दोस्त बताया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि कश्मीर और अनुच्छेद 370 पर मोदी का भाषण बहुत आक्रामक था। वहां मौजूद लोग इसे अच्छे से सुन रहे थे। ट्रंप ने इमरान को आईना दिखाते हुए कहा कि मुझे पाकिस्तान पर भरोसा है, लेकिन मेरे सामने जो लोग हैं वे पाकिस्तान पर यकीन नहीं करते।

अमेरिका का साथ देना बड़ी गलती : इमरान खान

लेकिन इससे इतर इमरान खान काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन (CFR) कार्यक्रम में भारत से जुड़े सवालों का जवाब देने से पहले वे आतंक (Terrorism) को लेकर अपनी असफलताओं का ठीकरा अमेरिका (America) पर ही फोड़ते रहे। पाक को आतंक के आरोपों से बचाने के दौरान इमरान ये भी भूल गए थे कि वे खुद अमेरिका में ही बैठे हुए हैं और लगातार उसे आतंक का पोषक बता रहे हैं। इमरान ने कहा अमेरिका के कहने पर पाकिस्तान ने अलकायदा को ट्रेनिंग दी है। इमरान खान ने कहा कि 9/11 आतंकी हमले पर पाकिस्तान ने अमेरिका का विश्वास किया, उनकी मदद की लेकिन ये पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल साबित हुई। इससे पाक की अर्थव्यवस्था को 200 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के एक कमेंट का जवाब देते हुए इमरान खान ने कहा कि अमेरिका के नेता को समझना चाहिए कि पाकिस्तान कट्टरपंथी क्यों बना। उन्होंने कहा कि हमारी गलती थी कि 9/11 के बाद अफगानिस्तान के साथ लड़ाई में हमने अमेरिका का साथ दिया।

इमरान खान ने कहा कि 1980 में सोवियत संघ के वक्त अफगानिस्तान के मसले पर पाकिस्तान ने अमेरिका का साथ दिया। सोवियत के खिलाफ जिहाद करने के लिए पाकिस्तानी सेना और ISI ने आतंकियों को ट्रेनिंग दी, जो बाद में अलकायदा बना। 1989 में जब सोवियत ने अफगानिस्तान छोड़ दिया, बाद में अमेरिका ने छोड़ दिया लेकिन ये आतंकी संगठन पाकिस्तान में ही रहे। लेकिन बाद में 9/11 हुआ और एक बार फिर पाकिस्तान अमेरिका के साथ आया, यही कारण है कि हमें बार-बार झटका लगता रहा।

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने यहां जम्मू-कश्मीर के मसले पर भी बात की, उन्होंने कहा कि भारत को जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों को हटाना चाहिए। अमेरिका जैसे बड़े देश, संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठनों को इस मसले में दखल देना चाहिए, ताकि भारत पर दबाव बनाया जा सके। इमरान खान ने कहा, 'हमने अपने पड़ोसियों के साथ शांतिपूर्ण संबंध स्थापित करने की ओर बढ़े हैं। हमने करतारपुर कॉरिडोर (Kartarpur Corridor) का प्रस्ताव किया है। मैं लगातार राष्ट्रपति गनी से बात कर रहा हूं। आर्मी ने भी इन सारे ही प्रयासों का समर्थन किया है। मैंने पीएम मोदी से कहा है कि हमारे पास एक नई नीति है, हम नई शुरुआत चाहते हैं। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या आपको इसपर यकीन है? सेना को जवाब देते हुए मैंने कहा, मैंने कहा- हां'। इमरान ने कहा कि जब पीएम मोदी (PM Modi) ने आतंकवाद के बारे में बात की तो मैंने उन्हें यह आश्वासन दिया कि हम सभी आतंकी नेटवर्क को नष्ट करेंगे। समस्या विश्वास की कमी है। हमारे विदेश मंत्रियों के बीच पिछले साल ही मुलाकात होनी थी लेकिन उन्होंने इसे रद्द कर दिया। हमने सोचा कि चुनावों के बाद उनके रुख में बदलाव आएगा। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से कश्मीरी हालातों के बारे में दावा करते हुए इमरान खान ने कहा, कश्मीरियों को उनके घरों में बंद कर दिया गया है। मैं अब भारत से बात कैसे कर सकता हूं? मैं चाहता हूं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय कर्फ्यू हटाने की मांग करे।

आपको बता दें कि इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। डोनाल्ड ट्रंप ने यहां एक बार फिर इमरान खान के सामने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के मसले पर मध्यस्थता करने को तैयार हैं, अगर दोनों देश तैयार हो। हालांकि, ट्रंप ने यहां फिर साफ किया कि भारत के साथ उनके संबंध काफी बेहतर हैं।

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