राफेल पर दसॉल्ट के CEO ने कहा- हमारा कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का लंबा अनुभव है, पहली डील 1953 में नेहरू के साथ थी, बड़ी बातें
By: Priyanka Maheshwari Tue, 13 Nov 2018 12:53:53
राफेल सौदे ( Rafale Deal ) पर दसॉल्ट के CEO एरिक ट्रैपियर ( Dassault Ceo Eric Trappier ) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए विशेष साक्षात्कार में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने गांधी के राफेल सौदे को लेकर दसॉल्ट-रिलायंस ज्वाइंट वेंचर ( Dassault-Reliance Joint Venture ) को लेकर दिए गए विवरणों को गलत बताया। उन्होंने कहा है कि अंबानी को चुनना उनका फैसला था और रिलायंस ( Reliance ) के अलावा 30 ऐसी और कंपनियां भी साझीदार हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय एयरफोर्स को इन विमानों की जरूरत है इसलिए वह इस सौदे का समर्थन कर रही है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ( Rahul Gandhi ) की ओर से इस सौदे को लेकर लगाए जा रहे आरोपों पर कहा, 'मैं कभी झूठ नहीं बोलता हूं। जो सच मैंने पहले कहा था, और जो बयान मैंने दिए, वे सच हैं। मेरी छवि झूठ बोलने वाले की नहीं है। CEO के तौर पर मेरी स्थिति में रहकर आप झूठ नहीं बोलते हैं' । उन्होंने कहा, 'मेरे लिए जो अहम है, वह सच है, और सच यह है कि यह बिल्कुल साफ-सुथरा सौदा है, और भारतीय वायुसेना (IAF) इस सौदे से खुश है। दरहसल, अपनी 2 नवंबर को की गई प्रेस कांफ्रेस में राहुल ने कहा था कि दसॉल्ट ने अनिल अंबानी की घाटे में चल रही कंपनी में 284 करोड़ रुपये निवेश किए हैं। इन पैसों का इस्तेमाल नागपुर में एक जमीन खरीदने के लिए किया गया। राहुल ने कहा था, 'यह साफ है कि दसॉल्ट के सीईओ झूठ बोल रहे हैं। यदि इसकी जांच की जाए तो मोदी बच नहीं पाएंगे। इसकी गारंटी है।'
- सीईओ ने कहा, 'हमारा कांग्रेस पार्टी के साथ काम करने का लंबा अनुभव है। हमारी भारत के साथ पहली डील 1953 में नेहरू के जमाने में हुई थी। इसके बाद हमने और प्रधानमंत्रियों के साथ भी काम किया। हम भारत के साथ काम करते रहे हैं। हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे हैं। हम रणनीतिक उत्पाद जैसे कि लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना को सप्लाई करते रहे हैं। यह सबसे जरूरी है।' राफेल सौदे में हुए भ्रष्टाचार के आरोपों पर एरिक ने कहा, 'हमने अंबानी को खुद चुना। हमारे रिलायंस के अलावा 30 और साझेदार हैं। भारतीय वायुसेना इस सौदे का पक्ष इसलिए ले रही है क्योंकि उन्हें अपनी सुरक्षा के लिए लड़ाकू विमान चाहिए।'
- हम रिलायंस में कोई रकम नहीं लगा रहे हैं। रकम संयुक्त उपक्रम (JV यानी दसॉ-रिलायंस) में जा रहा है। जहां तक सौदे के औद्योगिक हिस्से का सवाल है, दसॉ के इंजीनियर और कामगार ही आगे रहते हैं।
- दसॉ़ल्ट और रिलायंस के जेवी पर सफाई देते हुए एरिक ने कहा, 'पिछले साल जब हमने जेवी बनाया तो जेवी बनाने का फैसला 2012 में किए गए सौदे का हिस्सा था लेकिन हमने कांट्रैक्ट पर हस्ताक्षर होने का इंतजार किया। हम इस कंपनी में 50:50 के तहत 800 करोड़ रुपये निवेश करने थे। जेवी में दसॉल्ट के 49 और रिलायंस के 51 प्रतिशत शेयर हैं। हम अभी तक इसमें 40 करोड़ रुपये निवेश कर चुके हैं लेकिन यह 800 करोड़ रुपये तक बढ़ेगा। जिसमें 400 करोड़ रुपये दसॉल्ट आने वाले पांच सालों में देगा।'
- 36 विमानों की कीमत बिल्कुल उतनी ही है, जितनी 18 तैयार विमानों की तय की गई थी। 36 दरअसल 18 का दोगुना होता है, सो, जहां तक मेरी बात है, कीमत भी दोगुनी होनी चाहिए थी।
- लेकिन चूंकि यह सरकार से सरकार के बीच की बातचीत थी, इसलिए कीमतें उन्होंने तय कीं, और मुझे भी कीमत को नौ फीसदी कम करना पड़ा। अम्बानी को हमने खुद चुना था। हमारे पास रिलायंस के अलावा भी 30 पार्टनर पहले से हैं। भारतीय वायुसेना सौदे का समर्थन कर रही है, क्योंकि उन्हें अपनी रक्षा प्रणाली को मज़बूत बनाए रखने के लिए लड़ाकू विमानों की ज़रूरत है
- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया में दसॉ के CEO एरिक ट्रैपियर ने कहा- मैं झूठ नहीं बोलता। जो सच मैंने पहले कहा था, और जो बयान मैंने दिए, वे सच हैं। मेरी छवि झूठ बोलने वाले की नहीं है। CEO के तौर पर मेरी स्थिति में रहकर आप झूठ नहीं बोलते हैं।
- जब हमने पि्छले साल संयुक्त उपक्रम (JV) बनाया था, JV (दसॉ-रिलायंस) बनाने का फैसला 2012 में हुए समझौते का हिस्सा था, लेकिन हमने सौदे पर दस्तखत हो जाने का इंतज़ार किया।
- ऑफसेट पूरा करने के लिए हमारे पास सात साल का समय है। पहले तीन सालों में हम यह बताने के लिए बाध्य नहीं हैं कि हम किसके साथ काम कर रहे हैं।
- 30 कंपनियों के साथ समझौता किया जा चुका है, जो सौदे के मुताबिक समूचे ऑफसेट का 40 फीसदी होगा। रिलायंस इस 40 में से 10 फीसदी है।
- सौदे के अनुसार, भारतीय वायुसेना (IAF) को (राफेल की) पहली डिलीवरी अगले साल सितंबर में की जानी है। काम बिल्कुल वक्त पर चल रहा है