आगरा हादसा : लगभग एक मिनट तक चीखें सुनाई दी, फिर सन्नाटा हो गया, बाहर निकलने के लिए शवों पर चढ़ गए लोग

By: Pinki Tue, 09 July 2019 08:16:57

आगरा हादसा : लगभग एक मिनट तक चीखें सुनाई दी, फिर सन्नाटा हो गया, बाहर निकलने के लिए शवों पर चढ़ गए लोग

"ज्यादातर लोग नींद में थे। एक जगह एक्सीडेंट से थोड़ा पहले तो ऐसा लगा जैसे बस को फुल स्पीड दे दी गई है। इससे पहले की कोई कुछ समझ पाता तेज धमाके के साथ बस नीचे गिर पड़ी। मैं भी बस में फंस गई। मेरा एक पैर किसी चीज में फंसा हुआ था। लेकिन जैसे-तैसे में बस से निकल सकी।" यह कहना है यमुना एक्सप्रेसवे पर हुई बस दुर्घटना में बची 52 वर्षीय मंजू वर्मा का। बता दे, आगरा के थाना एताम्दपुर क्षेत्र के पास यमुना एक्सप्रेसवे पर सोमवार सुबह के साढ़े चार बजे एक भीषण सड़क हादसा हुआ। 53 यात्रियों को ले जा रही एक जनरथ बस एक्सप्रेसवे की रेलिंग तोड़ते हुए 50 फीट गहरे नाले में जा गिरी। इस हादसे में लगभग 30 लोग मारे गए है। जबकि 23 यात्री घायल हैं।

वही इस हादसे में बचे ऋषि यादव का कहना है कि ''हम सभी गहरी नींद में थे जब नाले में गिरने से पहले बस में दो बार भयानक झटके लगे। लगभग एक मिनट तक चीखें सुनी गईं, उसके बाद वहां सन्नाटा हो गया। कुछ यात्री बस से बाहर निकलने के लिए शवों पर चढ़ गए।''

ड्राइवर को एक झपकी आई, बस वही काल बन गई

वही बस के कंडक्टर असनीस मिश्रा का कहना है कि उसे ये तो सही-सही याद नहीं कि बस की वास्तविक रफ्तार कितनी थी, लेकिन उन्हें इतना जरूर पता है कि बस एक तेज झटके के साथ पुल की रेलिंग पर चढ़ गई। कोई कुछ समझ पाता इससे पहले ही तेज रफ्तार बस करीब 60 मीटर रेलिंग पर चल पड़ी। बस में एक और तेज झटका लगा कुछ सेंकेंड के लिए बस रेंलिंग से उतरी और वापस चढ़ गई। बस ड्राइवर कुछ नहीं कर पाया।और बस रेलिंग तोड़ती हुई 40 फीट नीचे नाले में गिर गई। बस कंडक्टर असनीस मिश्रा के मुताबिक तीन से चार मिनट के भीतर सब कुछ बदल गया और हमारे वश में कुछ नहीं रहा। हादसा कितना भयंकर था इसका अंदाजा इसी बात से लग सकता है कि बस नाले में गिरने से पहले ही उसे पहिए उखड़कर अलग हो चुके थे। बस कंडक्टर असनीस मिश्रा ने बताया कि घटना से करीब दो-तीन घंटे पहले ही बस कन्नौज में रुकी थी। उस वक्त ड्राइवर बिल्कुल ठीक था, लेकिन घटना से ठीक पहले ड्राइवर को एक झपकी आई थी। बस वही काल बन गई।

100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा रहा था

पुलिस ने कहा कि सड़क पर कोई निशान नहीं था। हादसे में बचे लोगों ने भी कहा कि बस को लगभग 100 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा रहा था। हादसे का असर ऐसा था कि उसका एक टायर बस के नाले में गिरने के बाद फट गया। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 यात्रियों को बचा लिया गया था और शेष लोगों को भी बचाने की कोशिश की गई थी। 30 मृतकों में से 19 की पहचान हो चुकी है। घायलों को विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। घायलों में से दो कोमा में हैं और उनकी पहचान नहीं की जा सकी है। आगरा के एसएसपी बबलू कुमार ने कहा, ‘हम सभी पीड़ितों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं। जब हमारे पास सभी विवरण होंगे, हम उसे सार्वजनिक करेंगे।’

दिल को दहला देने वाला था मुर्दाघर के बाहर का दृश्य

अरीबा खान के परिवार ने अपना अकेला कमाने वाला खो दिया। मुर्दाघर से रोते हुए बाहर निकाली अरीबा की मां ने बताया कि, 'वह नवी मुंबई में काम करती थी और सरप्राइज देने की शौकीन थी। 10 जून को उसके पिता के दिल का दौरा पड़ने के बाद वह घर आ गई थी।' मुर्दाघर के बाहर का दृश्य दिल को दहला देने वाला था। रिश्तेदार और परिवार के सदस्य रोते हुए चित्र दिखाकर अपने प्रियजनों का पता लगाने की कोशिश कर रहे थे। अज्ञात रिश्तेदारों की तस्वीरों के साथ इधर-उधर भागते और मोबाइल फोन पर बात करते पुलिस अधिकारी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि क्या उनके रिश्तेदार आ गए हैं।

ग्रेटर नोएडा में क्लर्क के रूप में काम करने वाले अविनाश अवस्थी लखनऊ के रहने वाले हैं। उनके रिश्तेदार ने बताया कि, 'वे अपने घर के गृह-प्रवेश के लिए 4 जुलाई को लखनऊ आए थे और सोमवार को वापस अपने कार्यालय जा रहे थे। उसे उसके माता-पिता और भाई द्वारा बचा लिया गया है।'

घायलों की सूची

प्रकाश (19 वर्ष आजमगढ़), दिलीप (35 वर्ष, लखनऊ), सुनीता (35 साल, रायबरेली), अशोक कुमार (34 साल, हापुड़), सोनी (39 साल, मिर्जापुर), साहब (28 साल, कानपुर), ऋषि यादव (20 साल, बाराबंकी), प्रवेश कुमार (31 साल, आजमगढ़, संजीत कुमार (44 साल, सुलतानपुर), मनीष कुमार (33 साल, बाराबंकी), मंजू शर्मा (57 साल, गाजियाबाद), गौरव (31साल, लखनऊ), जुनैद आलम (27 साल, मुरादाबाद), प्रतीक अर्पित (24 साल, प्रयागराज), मोहम्मद अदीब (33 साल, लखनऊ) और प्रियांशी (23 साल, लखनऊ)।

इनकी हुई शिनाख्त

मरने वालों में सिद्धार्थ दुबे पुत्र रजनेश निवासी जगन्नाथपुर तिवारीगंज, चिनहट, लखनऊ, सत्य प्रकाश शर्मा पुत्र स्व मेवाराम शर्मा निवासी चिरंजीव विहार गाजियाबाद, धीरज पांडेय पुत्र प्रेम प्रकाश निवासी गोमतीनगर लखनऊ, अवनेश अवस्थी पुत्र अंशुमान निवासी तालकटोरा लखनऊ, सत्यप्रकाश तिवारी पुत्र उमेश चंद्र गोंडा, आदित्य कश्यप पुत्र मनीष गुप्ता गोरखपुर, प्रेमचंद्र पुत्र रामकुमार कुरुक्षेत्र हरियाणा, विजय बहादुर सिंह पुत्र सुरेंद्र बहादुर रायबरेली, हुजूर आलम पुत्र मंसूर अली नार्थ वेस्ट दिल्ली, प्रयागू मिश्रा, दीपक सिंह पुत्र महावीर प्रसाद निवासी राजाजीपुरम लखनऊ, धीरेंद्र प्रताप सिंह पुत्र पारसनाथ सिंह निवासी पुणे, अंकुर श्रीवास्तव पुत्र सुर्चवंश लाल निवासी गांधीनगर बस्ती, आकाश श्रीवास्तव पुत्र सतीश चंद्र इंदिरानगर लखनऊ, इफ्तखाब अहमद पुत्र आफताब अहमद इंदिरानगर लखनऊ, अमित कुमार पुत्र रामेश्वर गोरखपुर, दीपक कुमार पांडेय पुत्र सीताराम पांडेय भोजपुर बिहार के रहने वाले हैं। अभी तक 12 मृतकों की शिनाख्त नहीं हो सकी है।

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