जम्मू-कश्मीर : इस साल मारे गए 223 आतंकी, 80 जवान हुए शहीद
By: Priyanka Maheshwari Sun, 09 Dec 2018 08:49:15
जम्मू और कश्मीर में इस साल सुरक्षा बलों ने 223 आतंकियों को ढेर किया है। सेना के उत्तरी कमान के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने बताया कि घाटी के स्थानीय लोग सेना की मदद कर रहे हैं। इसी का नतीजा है कि हमारे जवान बड़ी संख्या में आतंकियों को मार गिराने में कामयाब हुए हैं। यह पिछले 8 सालों सूबे में मारे जाने वाले आतंकियों का सबसे बड़ा आंकड़ा है। सरकार ने पिछले सत्र में संसद में बताया था कि 2017 में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में 213 आतंकी मारे गए थे। आतंक के खिलाफ लड़ाई में राज्य पुलिस और सेना के 80 जवान शहीद भी हुए। जबकि, इस दौरान 40 आम नागरिक मारे गए। वहीं, 2016 में कुल 150 आतंकी ढेर हुए थे। गृह मंत्रालय के आकंड़ों के मुताबिक, सूबे में इस साल आतंकी गतिविधियों में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल जहां आतंक से संबंधित 342 घटनाएं हुईं, वहीं इस साल अबतक 429 घटनाएं हो चुकी हैं। पिछले साल जहां 40 सिविलियन मारे गए थे, वहीं इस साल 77 सिविलियन मारे गए हैं। इस साल सुरक्षा बलों के 80 जवान शहीद हुए हैं। पिछले साल भी 80 जवान शहीद हुए थे।
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने दिलाया भरोसा
लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने कहा- हम भरोसा दिलाना चाहते हैं कि जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता बनी रहेगी। सेना स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ में शामिल नहीं होने देगी। पिछले कुछ महीनों से स्थानीय युवाओं के आतंकी बनने की संख्या में भी कमी हुई है। यहां कट्टरता में भी काफी कमी हुई है, यही वजह है कि घाटी में स्थिति काबू में है।
पाकिस्तानी आतंकियों को मिल रहा लोकल सपॉर्ट
घाटी में इस साल पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा किए गए आतंकी हमलों में इजाफा हुआ है। पाकिस्तानी आतंकियों को घाटी में उनके लोकल काडर का साथ मिल रहा है। यह हाल तब है जब सेना ने मुठभेड़ की जगहों पर पत्थरबाजी करने वालों को सख्त चेतावनी दी थी कि उन्हें आतंकियों के ओवर-ग्राउंड सपॉर्टर के तौर पर देखा जाएगा।
पिछले साल मारे गए थे 213 आतंकी
जम्मू-कश्मीर में इस साल आतंकियों के मारे जाने का आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है, क्योंकि अभी साल को खत्म होने में 3 हफ्ते से ज्यादा समय है। इस साल मारे जाने वाले आतंकियों की तादाद पहले ही पिछले साल के 213 के आंकड़े को पार चुका है।
इस साल जो 223 आतंकी मारे गए, उनमें 93 विदेशी थे। 15 सितंबर को सूबे में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के ऐलान के बाद से 80 दिनों में ही 81 आतंकी मारे जा चुके हैं। वहीं 25 जून से लेकर 14 सितंबर के बीच 51 आतंकी ढेर किए गए।
8 सिविलियन की भी हुई मौत
15 सितंबर से 5 दिसंबर के बीच 2 सिविलियन भी मारे गए। वहीं, इस दौरान पत्थरबाजी की घटनाओं में 170 लोग जख्मी हुए। इसी तरह, 25 जून से 14 सितंबर के बीच 8 सिविलियन मारे गए और पत्थरबाजी की वजह से 216 घायल हुए। पत्थरबाजी की ये घटनाएं ज्यादातर उन जगहों पर हुईं, जहां सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ चल रहे थे।
राज्यपाल शासन के दौरान ज्यादा मारे गए आतंकी
जम्मू-कश्मीर में 19 जून को राज्यपाल शासन लागू होने के बाद पहले के मुकाबले ज्यादा आतंकी ढेर हुए हैं। इस दौरान सुरक्षा बलों ने घाटी में कई शीर्ष आतंकी कमांडरों को भी ढेर किया। इनमें लश्कर कमांडर नवीद जट, जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर का भतीजा स्नाइपर उस्मान हैदर और हिज्बुल मुजाहिदीन कमांडर अल्ताफ अहमद डार भी शामिल हैं।
इस समय घाटी में सक्रिय हैं 250-300 आतंकी
पिछले साल के मुकाबले ज्यादा सिविलियन की मौत के साथ-साथ सुरक्षा बलों के लिए जो एक और बड़ी चिंता की बात है, वह है स्थानीय आतंकियों की भर्ती में इजाफा। हिज्बुल मुजाहिदीन और पाकिस्तानी आतंकी संगठन स्थानीय कश्मीरियों को भर्ती कर रहे हैं। एक इंटिलिजेंस अधिकारी ने हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, 'हालांकि, हाल के महीनों में आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती के मामलों में कई आई है।' इस समय घाटी में 250 से 300 आतंकियों के सक्रिय होने का अनुमान है।
स्थानीय चुनाव में बाधा पहुंचाने के लिए आतंकी हुए पहले से ज्यादा सक्रिय
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आतंकी घटनाओं में इजाफा की मुख्य वजह यह रही कि इस साल आतंकी पहले से ज्यादा सक्रिय थे। पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने शहरी निकाय और पंचायत चुनावों में बाधा पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश की। अलगाववादियों ने भी चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए बहिष्कार की अपील की और बार-बार बंद का भी आह्वान किया।