1984 सिख विरोधी दंगे: क्‍या सज्‍जन को सरेंडर करने के लिए दिल्‍ली हाईकोर्ट देगी और वक्‍त!, सुनवाई आज

By: Priyanka Maheshwari Fri, 21 Dec 2018 08:17:18

1984 सिख विरोधी दंगे: क्‍या सज्‍जन को सरेंडर करने के लिए दिल्‍ली हाईकोर्ट देगी और वक्‍त!, सुनवाई आज

1984 सिख दंगा मामले में दोषी सज्जन कुमार ने सरेंडर के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से 30 दिन का समय मांगा है जिसकी सुनवाई आज (शुक्रवार को) दिल्ली हाईकोर्ट में होगी। दरअसल, 34 साल के बाद 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को पलटते कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को दोषी ठहराया था और 31 दिसंबर तक सज्जन कुमार को सरेंडर करने को कहा था. सज्जन कुमार को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. इसके अलावा उनपर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इसके अलावा बाकी 5 दोषियों को जुर्माने के तौर पर एक-एक लाख रुपये देने होंगे जिनमें बलवान खोखर, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल को उम्रकैद, जबकि महेंद्रयादव और किशन खोखर की सजा 3 से 10 साल बढ़ा दी थी।

दिल्ली हाईकोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलटते हुए सज्जन कुमार को दिल्ली कैंट इलाके में 5 लोगों की हत्या के मामले में आपराधिक साजिश और भीड़ को उकसाने का दोषी पाया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, 'साल 1947 के विभाजन के दौरान सैंकड़ो लोगों का नरसंहार हुआ था, 37 साल बाद दिल्ली में वैसा ही मंजर दिखा। आरोपी राजनीतिक संरक्षण के चलते ट्रायल से बचते रहे।' भारत सरकार की ऑफिशियल रिपोर्ट के मुताबिक पूरे भारत में इन दंगों में कुल 2800 लोगों की मौत हुई थी। जिनमें से 2100 मौतें केवल दिल्ली में हुई थीं। CBI जांच के दौरान सरकार के कुछ कर्मचारियों का हाथ भी 1984 में भड़के इन दंगों में सामने आया था। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके बेटे राजीव गांधी प्रधानमंत्री बने थे।

ये मामला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक नवंबर 1984 का है। दिल्ली कैंट इलाके के राजपुर में 1 नवंबर 1984 को हज़ारों लोगों की भीड़ ने दिल्ली केंट इलाके में सिख समुदाय के लोगों पर हमला कर दिया था। इस हमले में एक परिवार के तीन भाइयों नरेंद्र पाल सिंह ,कुलदीप और राघवेंद्र सिंह की हत्या कर दी गयी। वहीं एक दूसरे परिवार के गुरप्रीत और उनके बेटे केहर सिंह की मौत हो गयी थी। दिल्ली पुलिस ने 1994 में ये केस बंद कर दिया था, लेकिन नानावटी कमीशन की रिपोर्ट के आधार पर 2005 में इस मामले में केस दर्ज किया गया। मई 2013 में निचली अदालत ने इस मामलें में पूर्व कांग्रेस पार्षद बलवान खोखर,रिटायर्ड नौसेना के अधिकारी कैप्टन भागमल,गिरधारी लाल और अन्य 2 लोगों को दोषी करार दिया, लेकिन कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। इसके बाद पीड़ित पक्ष और दोषी हाइकोर्ट गए।

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