मां और बेटी के बीच दूरियों की वजह बनती हैं ये 5 गलतियां, जानें और करें सुधार

By: Ankur Tue, 22 Dec 2020 3:11:42

मां और बेटी के बीच दूरियों की वजह बनती हैं ये 5 गलतियां, जानें और करें सुधार

आपने सुना और देखा भी होगा कि कोई भी बेटी अपने मां से सबसे ज्यादा करीब होती हैं जो कि एक दोस्ती जैसा रिश्ता भी होता हैं। लेकिन कई बार इस रिश्ते में खटास भी देखी जाती हैं और बेटियां अपनी मां से दूरी बना लेती है। यह मां-बेटी के बीच का भावनात्मक रिश्ता हैं जिसमें कुछ गलतियों की वजह से परेशानियां भी आती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ सामान्य कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कि मां और बेटी के बीच दूरियों की वजह बनते हैं।

उम्र के पहले जिम्मेदारियों का अहसास करवाना

बेटियों को हमेशा उनके बचपन में ही जिम्मेदारियों का अहसास करवा दिया जाता है और उन्हें बोला जाता है कि पराये घर जाना है ये काम करो या वो काम करो। कई बार इन जिम्मेदारियों के अहसास की वजह से बेटियाँ अपना बचपन खो देती हैं। और इसी वजह से वे अपनी माँ से दूरियाँ बना लेती हैं।

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रोक टोक

बेटियों को रोकना टोकना हर घर की बात है। और इसी रोक टोक की वजह से कई बार बेटियाँ अपनी माँ से दूर होती जाती हैं। बेटियों की मन की बात अगर माँ ही न समझ पाए तो ये दूरियाँ जायज है। इसलिए अत्यधिक रोक टोक पर बेटियाँ अपनी माँ से थोड़ी दूरी बना लेती हैं।

बेटी पर विश्वास न करना

कई बार घर वाले बेटियों पर विश्वास नहीं करते लेकिन जब माँ अपनी बेटी पर विश्वास नहीं करती तो बेटियाँ दूरी बना ही लेती हैं। बेटियाँ भी चाहती हैं कि घर के लोग उन पर भरोसा करें और सबसे ज्यादा माँ उन पर भरोसा करें लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो बेटियों का मनोबल टूट जाता है। और ये एक बहुत अहम् वजह है कि बेटियाँ अपनी माँ से दूर हो जाती हैं।

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बात-बात पर कमियाँ निकालना

कई जगह अपने देखा होगा कि बेटी के हर काम पर उसकी कमियाँ गिनवाई जाती हैं या दूसरों से उसकी तुलना की जाती है। यही व्यवहार बार-बार दोहराने से बेटियों का मन ख़राब हो जाता है और बेटी के मन में माँ के लिए और परिजनों के लिए नफरत जगह लेने लगती है। इस दौरान माँ और बेटी के बीच की दूरियाँ बढ़ जाती है।

बेटी और बेटे के बीच तुलना करना

ये अधिकतर घर की कहानी होती है कि बेटे और बेटियों के बीच में तुलना की जाती है और बेटियों को बेटों से कम माना जाता है। और इसी के चलते बेटी के मन में हीनभावना जन्म लेने लगती है। ये वो दौर होता है जब बेटी के मन में अपनी माँ के लिए प्यार नहीं बचता क्योंकि माँ भी इस तुलनात्मक प्रक्रिया में अपनी बेटी का साथ नहीं देती।

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