इन रातों में स्त्री - पुरूष का सम्भोग बनेगा दुखदाई, जानें क्यों
By: Priyanka Maheshwari Sat, 19 Aug 2017 5:36:19
पारस्कर गृहसूत्र के अनुसार स्त्री के रजोकाल के चार दिन, अष्टमी तिथि, चतुर्दशी, अमावस्या, पूर्णिमा और संक्रांति तिथि के दिन सहवास से बचना चाहिए। इनके अतिरिक्त महारात्रियों जैसे शिवरात्रि, दीपावली, होली, नवरात्रि के दिनों में भी इनसे बचना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी बताया है। तो आइए देखें, इनके पीछे क्या वैज्ञानिक कारण माने जाते हैं।
# विज्ञान के अनुसार पूर्णिमा, अमावस्या तथा चतुर्दशी के दिन चन्द्रमा, सूर्य और पृथ्वी एक ही सीधी रेखा में होते हैं। इसलिए इनका सम्मिलित आकर्षण अन्य दिनों से ज्यादा होता है।
इसका प्रभाव मानव शरीर पर पड़ता है। इससे शरीर में जलतत्व रूप में मौजूद रक्त, रस और प्राण अपने स्वाभाविक गति में नहीं होते हैं।
इसी प्रकार अष्टमी तिथि को भी सूर्य और चन्द्र समकोण की स्थिति में होते हैं। इससे चन्द्रमा की आकर्षण शक्ति स्वाभाविक स्तर से कम हो जाती हैं। इन स्थितियों में सहवास से गर्भधारण होने पर पैदा हुई संतान दुर्बल और अल्पायु तक हो सकती है।
इसकी वजह यह है कि शरीर में पंचतत्वों में जलतत्व की मात्रा सबसे अधिक होने से चन्द्रमा का प्रभाव भी शरीर पर अधिक होता है जो मन, बुद्धि और गर्भ को भी प्रभावित करता है।