आपकी लड़ाई का बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर, जानें नुकसान

By: Priyanka Mon, 27 Jan 2020 4:59:37

आपकी लड़ाई का बच्चों पर पड़ रहा बुरा असर, जानें नुकसान

छोटी सी बात पर लड़ना-झगड़ना, विवाद बढ़कर मारपीट तक पहुंचना और फिर तलाक। कहने को तो यह पति- पत्नी के बीच का मामला है, लेकिन इससे बच्चों की जिंदगी बिखर जाती है। अपने बच्चों के सामने लड़ाई-झगड़ा करना उन सबसे बुरी चीजों में है जो हम एक पैरेंट्स के रूप में कर सकते हैं। इसका नतीजा बच्चों में असुरक्षा की भावना होती है। इसलिये हमें यह समझना बहुत जरूरी है कि हम कर क्या रहे हैं। पैरेंट्स का झगड़ा बच्चों पर इतना गहरा प्रभाव डालता है कि उनका शारीरिक, मानसिक विकास नहीं हो पाता। ऐसे बच्चे जीवन की सही दिशा से भटक कर बिगड़ रहे हैं। जो बच्चे हाथा-पाई और वाद-विवाद होते देखते हैं, उन्हें एंग्जायटी का अनुभव करते हैं, जो बाद में गुस्सा, उदासी या डर में बदल जाती है। अगर उस समय वे ज्यादा छोटे हैं, तो मनोवैज्ञानिक असर और भी ज्यादा बुरे होते हैं। आईये जानते है कि माता-पिता के झगड़े का बच्चों पर क्या असर पड़ता है।

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बच्चों में डर

नवजात शिशु अपने आसपास के लोगों के हाव-भाव को अवचेतन रूप से अपने दिमाग में दर्ज करने में सक्षम होते हैं, इनमें लोगों की आवाजें और इशारे भी शामिल होते हैं। ठीक वैसे ही जैसे वे अपने आसपास उनके प्यार को महसूस करते हैं। जब स्थिति तनावपूर्ण होती है, अगर आपकी आवाज़ में गुस्सा होता है और अगर आपका चेहरा आक्रामक है तो वे उसे भी महसूस कर सकते हैं।

आत्म-विश्वास में कमी

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि झगड़ा कितना “मामूली” है, एक तनावपूर्ण पारिवारिक माहौल में पलने-बढ़ने से बच्चे में गहरे भावनात्मक जख्म पैदा हो सकते हैं। क्योंकि ऐसे माहौल में चिंता और आत्म-विश्वास में कमी जैसी समस्याओं को बढ़ावा मिलता है। एक शांत माहौल, जहां बड़ों के झगड़ों में बच्चे शामिल नहीं होते हैं, उनके अच्छे विकास में मदद करता है।

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खुद को दोषी मानना

प्रीस्कूल चरण में बच्चे अभी इन झगड़ों की वजह नहीं समझ पाते हैं। उनकी ईगोसेन्ट्रिक सोच की वजह से उन्हें लगता है, वे ही लड़ाई की जड़ हैं। नतीजा यह होता है कि वे अपने मम्मी-पापा के आपसी झगड़े के लिए खुद को दोषी मानने लगते हैं।

असुरक्षा की भावना

हर बच्चे के रिएक्शन अलग-अलग होते हैं। कुछ ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे कोई समस्या ही नहीं है। लेकिन कुछ इतनी बुरी तरह सहम जाते हैं जैसे कुछ डरावना हो रहा है। जब तक उन्हें सुरक्षा का अहसास नहीं होता तब तक वे खुद को दुनिया से अलग-थलग कर लेते हैं।

जरूरतें छिपाने लगते हैं

आम तौर पर इस तरह की लड़ाई एक अस्थिर परिवार माहौल पैदा करती है। इस तरह के माहौल में बच्चा समझने लगता है कि छोटी-छोटी चीजें बहुत बड़ी मुसीबत पैदा कर सकती है। इस कारण बच्चे को लग सकता है कि उसे ही स्थिति को काबू में करना पड़ेगा। इतना ही नहीं, कोई समस्या न हो इसके लिए वे अपनी असली जरूरतें छिपाने लगते हैं।

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