पहाडियों से घिरा है प्रसिद्ध तीर्थस्थल अमरकंटक, जानें इसके बारे में
By: Anuj Wed, 08 Jan 2020 4:00:45
पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए हमेशा से ही मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) का अमरकंटक (Amarkanatak) एक पसंदीदा स्थल रहा है। समुद्र तल से 1065 मीटर ऊंचे इस स्थान पर ही मध्य भारत के विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों का मेल होता है। अमरकंटक नर्मदा नदी, सोन नदी और जोहिला नदी का उदगम स्थान है। मरकंटक आयुर्वेदिक वनस्पतियों के लिए भी प्रसिद्ध है जिन्हें संजीवनी गुणों से भरपूर माना जाता है। आईये जानते हैं अमरकंटक के बारे में-
नर्मदाकुंड और मंदिर-नर्मदाकुंड नर्मदा नदी का उद्गम स्थल है। इसके चारों ओर अनेक मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों में नर्मदा और शिव मंदिर, कार्तिकेय मंदिर, श्रीराम जानकी मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर, गुरु गोरखनाथ मंदिर, श्री सूर्यनारायण मंदिर, महादेव मंदिर, दुर्गा मंदिर, शिव परिवार आदि प्रमुख हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव और उनकी पुत्री नर्मदा यहां निवास करते थे। माना जाता है कि नर्मदा उदगम की उत्पत्ति शिव की जटाओं से हुई है, इसीलिए शिव को जटाशंकर कहा जाता है।
सोनमुदा (Sonmuda)
सोनमुदा स्थल सोन नदी का उद्गम है यह नर्मदाकुंड से कुछ दूर मैकाल पहाडि़यों के किनारे पर स्थित है। सोन नदी झरने के रूप में यहां से बहती है। नदी की रेत चमक से युक्त सुनहरी लगती है इस वजह से ही इस नदी को सोन नदी के नाम जाना जाता है।
दूधधारा (Doodh Dhara)
अमरकंटक में दूधधारा नाम का यह झरना काफी लोकप्रिय है। ऊंचाई से गिरते इस झरने का जल दूध के समान प्रतीत होता है इसीलिए इसे दूधधारा के नाम से जाना जाता है। यह शहडोल जिले में है।
मां की बगिया
मां की बगिया देवी नर्मदा को समर्पित है मान्यता है कि इस बगिया से मां नर्मदा पुष्पों को चुनती थी। यहां से घाटी व जंगल से ढ़की पहाडियों के सुंदर दृश्य देखे जा सकते हैं। इस स्थान पर बहुत से फलों के पेड़ हैं तथा गुलाब के सुंदर फूल यहां की सुंदरता में चार-चांद लगा देते हैं।
कलचुरी काल के मंदिर
नर्मदाकुंड के दक्षिण में कलचुरी काल के प्राचीन मंदिर बने हुए हैं। इन मंदिरों को कलचुरी महाराजा कर्णदेव ने 1041-1073 ई। के दौरान बनवाया था। मछेन्द्रथान और पातालेश्वर मंदिर इस काल के मंदिर निर्माण कला के बेहतरीन उदाहरण हैं।