भारतीय मुद्रा पर बनी हैं ये इमारतें, जानें इनका ऐतिहासिक महत्व
By: Anuj Mon, 09 Dec 2019 6:20:35
भारत अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है।भारत के हर ऐतिहासिक भवन के पीछे कई कहानियां एवं समृद्ध विरासत जुड़ी हुई है।भारत की भवन निर्माण शैली राजपूत व मुग़ल शैलियों का मिश्रण कही जाती है। भारत की रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए जाने वाले करेंसी नोटो पर भी कई ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को दिखाया गया है।आइये जानते है उन जगहों के बारे में जो भारत की करेंसी पर चित्रित हैं।
कोणार्क सूर्य मंदिर
रिजर्व बैंक द्वारा जारी दस रुपये के नोट पर कोणार्क का सूर्य मंदिर चित्रित किया गया है।ओडिशा के स्वर्णिम त्रिभुज में आने वाला यह सूर्य मंदिर तेरहवीं सदी में नरसिंहराव प्रथम के काल में बनाया गया।सूर्य मंदिर का पहिया इस नोट में दिखाया गया है।कहा जाता है कि सूर्य के रथ में सात घोडे सप्ताह के सात दिन हैं।पहियें में बारह जोड़े आरे हैं जो साल के महीने हैं तथा चौबीस आरे दिन के घंटे हैं।कोणार्क के साथ पुरी और भुवनेश्वर मिलाकर स्वर्णिम त्रिभुज पूरा करते हैं।
हम्पी का रथ
पचास रुपये के नोट पर हम्पी के गरूड रथ को दिखाया गया है।हम्पी कर्नाटक में तुंगभद्रा नदी के किनारे बसा हुआ है।यह द्रविड़ शैली का विशाल मंदिर है।इन मंदिरों को चौदहवीं से सोलहवीं सदी में विजयनगर साम्राज्य द्वारा बनवाया गया था।
रानी की वाव
रिजर्व बैंक द्वारा जारी किये गये सौ रूपये के नये नोट पर रानी की वाव को देखा जा सकता है।वाव गुजराती में बावडी को कहा जाता है।यह रानी की वाव गुजरात के पाटन में स्थित है जिसे ग्यारहवॉं सदी में वहां की रानी उदयमति द्वारा अपने पति भीमदेव प्रथम की स्मृति में बनवाया गया था।यहां भगवान विष्णु और पार्वती की भी कई कलात्मक मूर्तियां बनायी गयीं हैं।
सांची का स्तूप
हाल ही में रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किए गए दो सौ रुपये के नोट पर सांची के स्तूप का चित्र बनाया गया है जो की 1-2 बीसी का एक बौद्ध स्तूप है।मध्य प्रदेश में स्थित इस स्तूप को सम्राट अशोक ने बनवाया था।इस स्तूप के चार द्वार हैं जिन्हें तोरण द्वार कहा जाता है।इन द्वारों पर भगवान बुद्ध से सैम सम्बंधित कथाएं चित्रित की गई हैं। इस स्तूप को यूनेस्को विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
लाल किला
नए 500 और 2000 रुपये के नोट पर आप लाल किला देख सकते हैं।लगभग दो सौ सालों तक मुग़लों का निवास रहे इस किले को किला - ए-मुबारक भी कहा जाता था। लाल किला भारत के इतिहास की कई ।महत्वपूर्ण घटनाओं का साक्षी रहा है।सत्रहवीं सदी में बने इस किले से ही देश के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति राष्ट्रीय पर्वों पर झंडारोहण करते हैं और देश को संबोधित करते हैं।