शायद ही जानते होंगे आप इन 3 गुमनाम पर्यटन स्थलों के बारे में

By: Ankur Fri, 30 Aug 2019 1:37:55

शायद ही जानते होंगे आप इन 3 गुमनाम पर्यटन स्थलों के बारे में

घूमने-फिरने का शौक सभी को होता हैं और अक्सर देखा गया हैं कि इसके लिए लोग किसी स्पेशल जगह जाना पसंद करते हैं। जैसे कि भारत में जब भी कभी कोई घूमने का प्लान करता हैं तो वे शिमला, जयपुर, मंसूरी आदि प्रचलित जगह पर घूमने के लिए जाते हैं। लेकिन कई ऐसी जगहें भी हैं जो उतनी प्रचलित नहीं है लेकिन घूमने के लिए बहुत उचित हैं। आज हम आपको कुछ ऐसी ही गुमनाम जगहों की जानकारी देने जा रहे हैं जो पर्यटन के लिहाज से बहुत अच्छे हैं।

लेप्चागत (पश्चिम बंगाल)
दार्जीलिंग से करीब 18 किलोमीटर दूर और विश्व के सबसे ऊँचे रेलवे स्टेशन घूम से करीब 8 किलोमीटर है ये जगह। दैविक शांति और खुबसूरत नज़रों से भरपूर। दार्जीलिंग जैसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थल के इतना पास होकर भी ये लगभग अनछुआ स्थान है। अधिकतर पर्यटक दार्जीलिंग से सिक्किम या नेपाल का रुख कर लेते है और नैसर्गिक सौन्दर्य से भरपूर इस छोटे से गाँव को बिना देखे ही चले जाते है। अगर आपको शांति की तलाश है या फिर बिताने है कुछ दिन अपने किसी खास के साथ तो इस से बेहतर जगह शायद ही कोई होगी। इस बार पश्चिम बंगाल में घुमने का कार्यक्रम बनाये तो लेप्चाग्त जाना ना भूले।

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चुरू (राजस्थान)
राजस्थान एक बहुत प्रसिद्ध राज्य है देश और विदेश के पर्यटकों को रिझाने वाला। अधिकतर पर्यटक यहाँ जयपुर, उदयपुर, जोधपुर और जैसलमेर आते है घूमने के लिए। इन सब प्रसिद्ध जगहों के अलावा भी राजस्थान में कुछ ऐसे शहर है जिनमें बहुत कुछ है देखने को। ऐसा ही एक छोटा सा शहर है राजस्थान के पश्चिमी हिस्से में बसा चुरू। जो बात चुरू को पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण बनती है वो है यहाँ की खूबसूरत हवेलियाँ। इस शहर और इसके आस पास के इलाके को देश की ओपन आर्ट गैलरी कहा जाता है। बस निकल जाइये किसी गली में और देखते रहिये पुरानी हवेलियों और उन पर बनी कलाकृतियों को। इसके अलावा इस शहर में विश्व प्रसिद्ध काले हिरनों का अभ्यारण्य भी है।

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धनुषकोटि (तमिलनाडु )
श्रीलंका से मात्र 18 किलोमीटर पहले है तमिलनाडु का ये छोटा सा गाँव। भारत के बॉर्डर पर स्थित गाँव में आपको मिलेंगे शांत खूबसूरत बीच, पुरानी इमारतें और रामायण के ज़माने के कहे जाने वाले राम सेतु के अवशेष। इस खूबूसरत गाँव ने बहुत सी त्रासदियां भी झेली है। 1964 का चक्रवाती तूफ़ान जिसमे पूरी ट्रेन बह गयी थी। जिस स्टेशन के अवशेष आज भी उस दुर्घटना की कहानी कहते है। इस गाँव में सडक के एक और बंगाल की खाड़ी तो दूसरी और अरब सागर है। प्राकृतिक छटा से भरपूर ये गाँव खाली खाली सा ही रहता है, एक अजीब से सन्नाटे की गोद में। इसीलिए इसे घोस्ट टाउन भी कहते है।

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