Janmashtami Special : कृष्ण क्यों कहलाए रणछोड़, जिसका प्रतीक है ये मंदिर, आइये जानें

By: Ankur Sun, 02 Sept 2018 07:43:28

Janmashtami Special : कृष्ण क्यों कहलाए रणछोड़, जिसका प्रतीक है ये मंदिर, आइये जानें

कृष्ण जन्माष्टमी Janmashtami इस बार 3 सितम्बर को मनाई जा रही हैं। इस दिन सभी मंदिरों में कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती हैं। आज हम आपको जन्माष्टमी के उपलक्ष्य पर कृष्ण के एक प्रसीद मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं जो उनके नाम पर पड़ा हैं। हम बात कर रहे हैं द्वारका में स्थित श्री कृष्ण के भव्य मंदिर, रणछोड़ जी महाराज के मंदिर के बारे में। पौराणिक कथाओं की माने तो जरासंध से युद्घ को टाल कर श्री कृष्ण भागकर इसी स्थान पर पहुंचे थे और मैदान छोड़ने के कारण उन्हें रणछोड़ कहा गया। तो आइये जानते हैं इस मंदिर के बारे में।

रणछोड़जी का मन्दिर द्वारका का सबसे बड़ा और सबसे सुंदर मन्दिर माना जाता है। रण का मैदान छोड़ने के कारण यहां भगवान कृष्ण को रणछोड़जी कहते हैं। मंदिर में प्रवेश करने पर सामने ही कृष्ण जी की चार फुट ऊंची भव्य मूर्ति है, जो चांदी के सिंहासन पर विराजमान है। यह मूर्ति काले पत्थर से निर्मित है जिसमें हीरे-मोती से भगवान की आंखे बनी हैं और पूरा श्रंगार किया गया है। मूर्ति ने सोने की ग्यारह मालाएं गले में पहनी हुर्इ हैं और भगवान को कीमती पीले वस्त्र पहनाये गए है। इसके चार हाथ है, जिनमें से एक में शंख, दूसरे में सुदर्शन चक्र, तीसरे में गदा और चौथे में कमल का फूल शोभायमान है। मुर्ति में रणछोड़ जी के सिर पर सोने का मुकुट सजा है। मंदिर में आने वाले भगवान की परिक्रमा करते है और उन पर फूल और तुलसी दल अर्पित करते हैं। मंदिर की चौखटों पर चांदी के पत्तर मढ़े हुए है, और छत से कीमती झाड़-फानूस लटक रहे हैं। एक तरफ ऊपर की मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियां है। सात मंजिल के इस मंदिर की पहली मंजिल पर अम्बादेवी की मूर्ति स्थापित है। कुल मिलाकर यह मन्दिर एक सौ चालीस फुट ऊंचा है।

raanchod temple,shri krishna,janmashtami ,रणछोड़जी का मन्दिर, कृष्ण जन्माष्टमी,कृष्ण

रणछोड़जी के दर्शन के बाद मन्दिर की परिक्रमा की जाती है। मान्यता है कि बिना इसके भगवान के दर्शन का पूरा फल प्राप्त नहीं होता। ये मन्दिर दोहरी दीवारों से बना है। दोनों दीवारों के बीच एक पतला सा रास्ता या गलियारा छोड़ा गया है। इसी रास्ते से परिक्रमा की जाती है। रणछोड़जी के मन्दिर के सामने एक बहुत लम्बा-चौड़ा 100 फुट ऊंचा जगमोहन है, जिसकी पांच मंजिलें है और उसमें 60 खम्बे हैं। इसकी भी दो दीवारों के बीच गलियारा है जहां से रणछोड़जी के बाद इसकी परिक्रमा की जाती है।

raanchod temple,shri krishna,janmashtami ,रणछोड़जी का मन्दिर, कृष्ण जन्माष्टमी,कृष्ण

अब आपको बताते हें कि यहां कृष्ण का एक नाम है रणछोड़ क्यों है। आप सुनकर हैरान होंगे कि हर प्रकार से सक्षम भगवान कृष्ण अपने शत्रु का मुकाबला ना कर मैदान छोड़ कर भाग गए। दरसल जब मगध के शासक जरासंध ने कृष्ण को युद्ध के लिए ललकारा तो कृष्ण जानते थे कि मथुरा में उसका मुकाबला करने में समझदारी नहीं है! इसीलिए उन्होंने ना सिर्फ स्वयं बल्कि भाई बलराम और समस्त प्रजाजनों सहित उसे छोड़ देने का निर्णय किया। इसके बाद वे सब द्वारका की ओर बढ़ने लगे। मैदान से भागते हुए कृष्ण को देख कर जरासंध ने उन्हें रणछोड़ नाम दिया, जो रण यानि युद्ध का मैदान छोड़कर भाग रहे हैं। बहुत दूर तक चलने के बाद कृष्ण और बलराम आराम करने के लिए प्रवर्शत पर्वत, जिसपर हमेशा वर्षा होती रहती थी, पर रुक गए। जरासंध ने तब अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे इस पर्वत को आग लगा दें। तब 44 फुट ऊंचे स्थान से कूद कर भगवान ने द्वारका में प्रवेश कर नर्इ नगरी बनार्इ और उसी के पहले का उनका स्थान रणछोड़ जी महाराज के स्थान के नाम से जाना गया जहां इस मंदिर का निर्माण हुआ।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com