गर्मी और मॉनसून तो बीत गए अब ठंड में कितना कहर ढाएगा कोरोना वायरस?
By: Priyanka Maheshwari Mon, 12 Oct 2020 7:01:47
कोरोना वायरस के कहर के साथ गर्मी और मॉनसून तो बीत गया लेकिन अब लोगों की चिंता बढ़ा रही है ठंड। एक्सपर्ट इस बात पर सहमत हैं कि ठंड के मौसम में मौसमी वायरस ज्यादा सक्रिय हो जाते हैं। ऐसे में कोरोना के मामले बढ़ सकते है। सर्दियों के मौसम में वायरस संबंधी बीमारियां और सांस संबंधी दिक्कत भी बढ़ जाती है। पूरी दुनिया में ठंड के मौसम में फ्लू वायरस से सबसे ज्यादा मौत होती है। ऐसा कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण सर्दियों के मौसम में और बढ़ सकता है लेकिन एक्सपर्ट ने अभी तक मौसम और भौगोलिक क्षेत्रों के बीच किसी तरह का संबंध नहीं पाया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि भारत में सर्दियों के मौसम में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ सकती है। पिछले कुछ महीनों में चरणबद्ध तरीके से लॉकडाउन खोले गए हैं। इसकी वजह से सर्दियों के मौसम में संक्रमण फैल सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि मास्क लगाने से मामलों में कमी लाई जा सकती है।
दुनिया के कई हिस्सों में, सर्दियों के मौसम में इन्फ्लूएंजा होता है जबकि भारत में मॉनसून और सर्दियों के मौसम में इन्फ्लुएंजा फ्लू फैलता है। हालांकि एक्सपर्ट अभी निश्चित रूप से ये नहीं कह रहे हैं कि इसका कोरोना वायरस से कोई सीधा संबंध है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस गलतफहमी से दूर रहने की चेतावनी दी है कि ठंड के मौसम में कोरोना वायरस मर सकता है, क्योंकि कोरोना वायरस पर तापमान कोई खास प्रभाव नहीं पड़ता है।
WHO के उप निदेशक प्रोफेसर इयान बर्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'Covid-19 और मौसम के बीच अभी तक वैसा मजबूत संबंध नहीं पाया गया है, जैसा कि इन्फ्लुएंजा और सांस जैसी अन्य बीमारियों के साथ देखने को मिलता है।
प्रोफेसर इयान ने कहा, हालांकि, भारत जैसी जगह में इन्फ्लुएंजा के कई मौसम हैं। सर्दियों की तुलना में यहां इन्फ्लुएंजा मॉनसून के मौसम में पीक पर होता है। मुझे नहीं लगता कि यह कोरोना वायरस के लिए मायने रखता है। सर्दी या बरसात के मौसम में सांस से जुड़ी अन्य बीमारियां भी होने लगती है हैं हालांकि कोरोना वायरस अब तक इस पैटर्न पर फिट नहीं हो पाया है।
सर्दियों में क्यों बढ़ता है संक्रमण
पश्चिमी देशों में ठंड बहुत अधिक पड़ती है और लोग घरों में ही रहते हैं। ऐसे में घर में अगर एक बार वायरस घुस गया तो एक साथ रहने वाले सभी लोगों के संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। हालांकि एक्सपर्ट्स के अनुसार, ये बात भारतीय संदर्भ में सही नहीं है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के पूर्व उप निदेशक डॉक्टर एम एस चड्ढा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, 'भारत में लोग हमेशा घर के अंदर नहीं रहते हैं, वो धूप की तालाश में बाहर आते हैं जिससे घर में वेंटिलेशन बेहतर रहता है।'
अन्य देशों में कोरोना वायरस की स्थिति
इन्फ्लुएंजा एक सर्दियों की बीमारी है। ऐसी संभावना जताई जा रही थी कि दक्षिणी गोलार्ध के देशों में मई-जुलाई में सर्दियों के मौसम में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यहां तक कि इस बार यहां इन्फ्लुएंजा के मामलों में भी वृद्धि नहीं हुई। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि लोग कोरोना वायरस से बचने के लिए भी पहले से ही सोशल डिस्टेंसिंग रख रहे थे जिसकी वजह से फ्लू के मामलों में भी कमी देखी गई।
आपको बता दे, दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.77 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 83 लाख से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 10.81 लाख के पार हो चुका है। वहीं, भारत की बात करे तो अब तक 71 लाख 17 हजार 958 लोग संक्रमित हो चुके हैं। राहत की बात है कि इनमें 61 लाख 45 हजार 58 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि 8 लाख 62 हजार 662 मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। अब तक संक्रमण के चलते 1 लाख 9 हजार 163 मरीजों की मौत हो चुकी है।