वात, कफ, पित्त, हार्ट ब्लाँकेज जैसी बिमारियों से आपको दूर रखता है यह प्राणायाम
By: Ankur Mon, 30 Oct 2017 3:33:32
अनुलोम विलोम प्राणायाम एक बहुत ही महत्वपूर्ण योगासन है जो शरीर के लिए बहुत ही लाभकारी है। इस योगासन को आप जितना करेंगे उतना यह शरीर के लिए अच्छा है। आप चाहें तो दिन में 3-4 बार भी अनुलोम विलोम कर सकते हैं। अनुलोम विलोम प्राणायाम बहुत ही आसान योगासन है और यह सभी उम्र के लोग कर सकते हैं। इससे साँस लेने की क्रिया में सुधार आता है। इस प्राणायाम को शांत जगहों जैसे नदी किनारे, बागीचे या खुले मैदान में करना चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा ऑक्सीजन मिल सके। इस प्राणायाम में सांस लेने की क्रिया को बार बार किया जाता है| अनुलोम का मतलब होता है सीधा और विलोम का मतलब होता है उल्टा। इस प्राणायाम याने की अनुलोम विलोम में नाक के दाएं छिद्र से सांस को खींचते हैं, और बायीं नाक के छिद्र से सांस को बाहर निकालते है। इसको नियमित रूप से 10 मिनट करने पर भी स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते है। आइये जानते हैं उन लाभों के बारे में...
* हार्ट ब्लाँकेज में फायदेमंद :
इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हार्ट की ब्लाँकेज से राहत मिलती है। हार्ट ब्लॉकेज दिल की धड़कन से संबंधित समस्या है। कई बार बच्चों में यह समस्या जन्मजात होती है, जबकि कुछ लोगों में यह समस्या बड़े होने के बाद शुरू होती है।
* शक्तिशाली शरीर :
इससे शरीर में वात, कफ, पित्त आदि के विकार दूर होते हैं। रोजाना अनुलोम-विलोम करने से फेफड़े शक्तिशाली बनते हैं। इससे नाडियां शुद्ध होती हैं जिससे शरीर स्वस्थ, कांतिमय एवं शक्तिशाली बनता है। इस प्रणायाम को रोज करने से शरीर में कॉलेस्ट्रोल का स्तर कम होता है।
* एलर्जी और चर्म रोग :
अनुलोम विलोम प्राणायाम को करने से एलर्जी और सभी प्रकार की चर्म समस्याए खत्म हो जाती है।
* सकारात्मक सोच बढाने हेतु :
इस प्राणायाम के नियमित अभ्यास से हम अपनी स्मरणशक्ति व् सकारात्मक सोच बढ़ा सकते हैं। जब हमारी सोच सकारात्मक बन जाती है तो उसके परिणाम भी सकारात्मक आने लगते है ।और इसके साथ-साथ ही इसके अभ्यास से मन और मस्तिष्क को शांति मिलती हैं।
* पोषित शरीर :
अनुलोम-विलोम करने से सर्दी, जुकाम व दमा की शिकायतों में काफी आराम मिलता है। अनुलोम-विलोम से हृदय को शक्ति मिलती है। इस प्राणायाम के दौरान जब हम गहरी सांस लेते हैं तो शुद्ध वायु हमारे खून के दूषित तत्वों को बाहर निकाल देती है। शुद्ध रक्त शरीर के सभी अंगों में जाकर उन्हें पोषण प्रदान करता है।
* स्मरण शक्ति बढती है :
इसके नियमित अभ्यास से स्मरण शक्ति बढती है ।स्मरण शक्ति हमेशा ध्यान और मन की एकाग्रता पर ही निर्भर होती हैं। हम जिस तरफ जितना अधिक ध्यान केन्द्रित करेंगे उस तरफ हमारी विचार शक्ति उतनी ही अधिक तीव्र हो जायेगी।