परिवृत्त पार्श्वकोणासन की विधि और फायदे

By: Ankur Thu, 21 June 2018 12:39:13

परिवृत्त पार्श्वकोणासन की विधि और फायदे

योग हमारे जीवन में उस ज्योति की तरह हैं जो होती तो छोटी चीज हैं लेकिन उसका महत्व बहुत बड़ा होता हैं। योग भी उसी तरह काम समय में की जाने वाली क्रिया है, लेकिन इसके फायदे इंसान को रोगमुक्त रखते हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं परिवृत्त पार्श्वकोणासन। तो चलिए जानते हैं परिवृत्त पार्श्वकोणासन की विधि और फायदे के बारे में।

* परिवृत्त पार्श्वकोणासन करने की विधि

ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और 3 से 4 फीट पैर खोल लें। अपने बायें पैर को 45 से 60 दर्जे अंदर को मोड़ें, और दाहिने पैर को 90 दर्जे बहार को मोड़ें। बाईं एड़ी के साथ दाहिनी एड़ी संरेखित करें। अपने बाईं एड़ी को मज़बूती से ज़मीन पर टिकाए रखें और दाहिने घुटने को मोड़ें जब तक की घुटना सीधा टखने की ऊपर ना आ जाए। अगर आप में इतना लचीलापन हो तो अपनी जाँघ को ज़मीन से समांतर कर लें। धीरे से अपने धड़ को दाहिनी ओर 90 दर्जे तक मोड़ें। ऐसा करने के बाद धड़ को आगे की तरफ झुकाएं। ध्यान रहे की आप कूल्हे के जोड़ों से झुकें ना कि पीठ के जोड़ों से। अब श्वास अन्दर भरते हुए बाएं हाथ को सामने से लेते हुए दाए पंजे की बाहरी तरफ भूमि पर टिका दें। अगर आपके लिए यह संभव ना हो तो पंजे को एड़ी के पास लगायें। अपने बाएँ हाथ को छत की और आगे तरफ बढ़ायें। अंत में आपके बाएँ हाथ और पैर एक सीध में होने चाहिए। अब अपने सिर को उपर की तरफ उठाएँ ताकि आप अपने बाएँ हाथ की उंगलियों को देख सकें। कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें। जब 5 बार साँस लेने के बाद आप आसान से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए सिर को सीधा कर लें, दाए हाथ को नीचे कर लें, बाएं हाथ को उठा लें, और फिर धड़ को भी उठा लें, धड़ को वापिस सीधा कर लें और पैरों को वापिस अंदर ले आयें। ख़तम ताड़ासन में करें। दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।

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* परिवृत्त पार्श्वकोणासन करने के फायदे

- टाँगों, घुटनों और टख़नों में खिचाव लाता है और उन्हे मज़बूत बनाता है।

- कूल्हों, छाती और फेफड़ों, कंधों, ग्राय्न और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है।

- पेट के अंगों को उत्तेजित करता है।

- आपके शारीरिक संतुलन को बढ़ाता है।

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