Article 15: जाने आखिर क्यों जरुरी है भारत के लिए 'आर्टिकल 15'
By: Priyanka Maheshwari Fri, 28 June 2019 1:51:38
काफी वक्त से सुर्खियों में रहने वाली आयुष्मान खुराना (Ayushmann Khurrana) की फिल्म ‘आर्टिकल 15 (Article 15)’ आज देशभर के सिनेमा घरों में रिलीज हो गई है। अनुभव सिन्हा के निर्देशन में बनी यह फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित बताई जा रही है। पहली बार आयुष्मान खुराना इस फिल्म में आईपीएस अधिकारी के रूप में नजर आएंगे। इस फिल्म को लेकर मेकर्स पर आरोप है कि वह ब्राह्मण लोगों की नकारात्मक छवि प्रस्तुत कर रहे हैं। आयुष्मान खुराना का कहना है कि फिल्म बनाने का प्रमुख कारण है कि हम ग्रामीण भारत तक पहुंचना चाहते हैं, उन जगहों तक पहुंचना चाहते हैं जहां अभी भी जाति के आधार पर भेदभाव होता है। अगर हम एक आर्ट हाउस फिल्म बनाते हैं और अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों में जाते हैं तो हम सिर्फ उन्हीं दर्शकों तक पहुंच पाएंगे जो पहले से ही भेदभाव के बारे में जानते हैं। लेकिन अगर हम ग्रामीण लोगों तक पहुंचते हैं तो हम उनकी सोच में बदलाव ला सकते हैं। फिल्म में आयुष्मान एक पुलिस अधिकारी की भूमिका में हैं जो दो दलित लड़कियों के दुष्कर्म व हत्या मामले की जांच करने के लिए एक गांव में जाता है।
फिल्म को आप संभवत: यह यकीन ही नहीं हो सकेगा कि आज 21वीं सदी के भारत में ऐसा भी कुछ होता है। आज भी लोग जाति और धर्म के आधार पर भेदभाव करते हैं। भले ही, भारत का संविधान देश के नागरिक को किसी भी प्रकार का भेदभाव करने से रोकता है, लेकिन कुछ विशेष जाति या धर्म से संबंधित लोगों के साथ अब भी भेदभाव किया जाता है और उन्हें समाज द्वारा कमतर माना जाता है। आर्टिकल 15 में भी इसी बात का उल्लेख है। फिल्म में भारतीय संविधान के आर्टिकल 15 पर प्रकाश डाला गया है और लोगों को इस बारे में जागरुक करने की कोशिश की गई है। देश के बहुत से नागरिकों को इस आर्टिकल के बारे में मालूम ही नहीं है। जानिये क्या है आर्टिकल 15 और दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रित देश के लिये यह जरूरी क्यों है।
- आर्टिकल 15 बताता है कि किसी भी भारतीय नागरिक से धर्म, नस्ल, जाति, लिंग, जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है।
- आर्टिकल 15 यह बताता है कि किसी भी नागरिक को दुकानें, सार्वजनिक रेस्तरां, होटल और सार्वजनिक मनोरंजन के स्थानों पर जाने से वंचित नहीं किया जा सकता।
- आर्टिकल 15 यह बताता है कि कोई भी नागरिक किसी भी विकलांगता, दायित्व, प्रतिबंध या शर्त के अधीन नहीं होगा। सरकारी फंड से तैयार कुंआ, टैंक, स्नान घाट, सड़क, सार्वजनिक स्थल के स्थान पर इन्हें रोका नहीं जा सकता।
वही फिल्म की बात करे तो मूवी को सेलेब्स ने अच्छा रिस्पॉन्स दिया। सोशल मीडिया पर भी फिल्म की तारीफ की जा रही है। आयुष्मान खुराना के काम का सराहा जा रहा है। अनुभव सिन्हा के डायरेक्शन को भी पसंद किया जा रहा है। लोग फिल्म को 3.5 या उससे ज्यादा स्टार दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा- अनुभव सिन्हा ने एक ऐसी फिल्म ऑफर की है जो पावर, पैसे, माइंड सेट के खेल के साथ लड़ती है। शानदार तरीके से महत्वपूर्ण सोशल बुराईयों को हैंडल करता है। हमारे जातिवादी समाज के बहरे कानों के लिए लाउड बैंग फिल्म। (Well-crafted & Watchable) रेटिंग 3.5/5।
वहीं कुछ लोग फिल्म के कंटेंट से खुश नहीं हैं। एक यूजर ने लिखा- आर्टिकल 15 ये फिल्म स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति नहीं है, बल्कि निर्माता की उदासीन सोच है। इस फिल्म ने हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए सारी हदें पार कर दीं। सरकार को इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। एकजुट होकर अपनी सनातन संस्कृति के लिए लड़ो।
In all, Dir @AnubhavSinha offers a film that fights the game of power, money, mind-sets & tackles an important social evil in the finest way. A subtle film with a LOUD BANG on the deaf ears of our casteist society. Rating: 3.5/5⭐⭐⭐⚡(Well-crafted & Watchable) #Article15Review pic.twitter.com/E4BZPRIyQQ
— NJ 🌟💥 (@Nilzrav) June 28, 2019
#Article15Review this movie is not the expression of freedom but it is sadist thinking of producer..! This movie has crossed all the limits to defame Hinduism at any cost..! Government should ban this movie .!
— Priyanka (@Priyankagaur121) June 27, 2019
Come unite and fight for your sanatan culture..!🙏🏻