सिंदूर खेला में पति संग नजर आई नुसरत जहां, कहा - 'मैं हर त्योहार को धूमधाम से मनाती हूं'
By: Priyanka Maheshwari Fri, 11 Oct 2019 3:47:07
टीएमसी सांसद और बंगाली अभिनेत्री नुसरत जहां (Nusrat Jahan) नवरात्रा के दौरान अष्टमी के दिन कोलकाता के दुर्गा पूजा पंडाल में नजर आई थी जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी वही अब नुसरत जहां (Nusrat Jahan) की सिंदूर खेला की तस्वीरें सामने आई है। तस्वीरों में नुसरत जहां पति निखिल जैन के साथ नजर आ रही हैं। इन तस्वीरों में निखिल नुसरत को सिंदूर लगा रहे हैं। सिंदूर खेला दशमी के दिन मनाया जाता है।
सिंदूर खेला की तस्वीरों में नुसरत जहां बला की खूबसूरत लग रही हैं। इस खास मौके पर नुसरत ने सफेद और लाल रंग के कॉम्बिनेशन की साड़ी पहनी हुई है। गले में गोल्डन ज्वेलरी और माथे पर सिंदूर लगा हुआ है। इसके साथ ही उनके चेहरे पर सिंदूर लगा हुआ है। इसके अलावा नुसरत ने इंस्टाग्राम पर भी एक तस्वीर साझा की है।
नुसरत जहां की इन तस्वीरों को न्यूज एजेंसी एएनआई ने साझा किया है। पति निखिल जैन के साथ नुसरत कोलकाता के चलता बागान दुर्गा पूजा पंडाल में गई थीं। यहीं पर नुसरत ने सिंदूर खेला की रस्म निभाई। तस्वीरें खिंचवाने के बाद नुसरत ने मीडिया से बात भी की। नुसरत ने कहा- 'मैं भगवान की विशेष संतान हूं। मैं हर त्योहार को धूमधाम से मनाती हूं। मैं इंसानियत और प्यार की सबसे ज्यादा इज्जत करती हूं। मैं बहुत खुश हूं। विवाद मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते।'
बता दे, नुसरत जहां के दुर्गा पूजा में शामिल होने के बाद देवबंद उलेमा ने इसे गैर इस्लामिक बताया। उलेमा ने नुसरत जहां (Nusrat Jahan) को अपना नाम बदलने की नसीहत दी है। उलेमा का कहना है कि नुसरत जहां मुसलमानों और इस्लाम को बदनाम कर रही हैं। नुसरत जहां से नाराज देवबंदी उलेमा ने कहा कि वह क्यों गैर मजहबी काम कर रही हैं? इस्लाम में अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत करना हराम है। अगर नुसरत जहां को गैर मजहबी काम करने हैं, तो क्यों नहीं अपना नाम बदल लेती हैं। इस तरह के काम करके नुसरत जहां इस्लाम और मुसलमानों की क्यों तौहीन कर रही हैं। इत्तेहाद उलेमा ए हिंद के उपाध्यक्ष मुफ्ती असद कासमी ने कहा, 'नुसरत जहां ने इस तरह कोई पहली बार पूजा नहीं की है, इससे पहले भी वो पूजा करती रही हैं। इसी अमल को दोहराते हुए उन्होंने इस बार भी नव दुर्गा की पूजा की है। मैं समझता हूं कि इस तरह का अमल इस्लाम के अंदर बिल्कुल जायज नहीं है। इस्लाम इस चीज की इजाजत नहीं देता है कि अल्लाह के सिवा किसी और की इबादत की जाए किसी और की पूजा की जाए। यह इस्लाम के अंदर हराम है।'
मुफ्ती असद कासमी ने कहा, 'देखिए मैं तो उनको यही मशवरा देता हूं कि जब वह इस्लाम को नहीं मानती हैं। इस्लाम के ऊपर अमल नहीं कर रही हैं। सारे काम गैरमजहबी कर रही हैं, उन्होंने शादी भी की तो गैर मजहब में। मैं उनको मशवरा देता हूं कि वह अपना नाम भी बदल लें, क्यों इस्लाम को बदनाम करती हैं। इस तरीके के नाम रखकर मुसलमानों की और इस्लाम की तौहीन क्यों कर रही हैं।'