सावन में शिव के साथ राम की पूजा नहीं की तो कल जरूर कर ले, जानिए क्यों
By: Ankur Tue, 21 Aug 2018 2:01:57
सावन का महीना अब समाप्ति की और हैं और सभी भक्तगण चाहते हैं कि इन बचे हुए दिनों में जितना हो सकें उतना शिव को खुश किया जाए। अगर आप भगवान शिव को खुश करना चाहते हैं तो आपको सावन के इस पवित्र महीने में भगवान राम की भी पूजा करनी चाहिए। जी हाँ, भगवान शिव और राम दोनों एक दूसरे के इष्ट हैं। और सावन के इन दिनों में भगवान राम की पूजा से भी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं। आइये जानते हैं ऐसा क्यों।
श्रावण मास में शिव का प्रिय मंत्र 'ॐ नमः शिवाय' एवं 'श्रीराम जय राम जय जय राम' मंत्र का उच्चारण कर शिव को जल चढ़ाने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं।
भगवान राम ने स्वयं कहा है "शिव द्रोही मम दास कहावा सो नर मोहि सपनेहु नहि पावा।" अर्थात् जो शिव का द्रोह कर के मुझे प्राप्त करना चाहता है वह सपने में भी मुझे प्राप्त नहीं कर सकता। इसीलिए श्रावण मास में शिव आराधना के साथ श्रीरामचरितमानस पाठ का बहुत महत्व होता है।
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान जब जाबालि ऋषि से मिलने गुप्त प्रवास पर नर्मदा तट पर आए। उस समय यह पर्वतों से घिरा था। रास्ते में भगवान शंकर भी उनसे मिलने को आतुर थे, लेकिन भगवान और भक्त के बीच वे नहीं आ रहे थे। भगवान राम के पैरों को कंकर न चुभें इसीलिए शंकरजी ने छोटे-छोटे कंकरों को गोलाकार कर दिया। इसलिए कंकर-कंकर में शंकर बोला जाता है।
जब प्रभु श्रीराम रेवा तट पर पहुंचे तो गुफा से नर्मदा जल बह रहा था। श्रीराम यहीं रुके और बालू एकत्र कर एक माह तक उस बालू का नर्मदा जल से अभिषेक करने लगे। आखिरी दिन शंकरजी वहां स्वयं विराजित हो गए और भगवान राम-शंकर का मिलन हुआ।