मन्त्रों के जाप के समय रखे इन चीजों का विशेष ध्यान वरना नहीं मिलेगा पूर्ण लाभ
By: Ankur Sun, 05 Aug 2018 00:02:32
हमारे शास्त्रों में कही गई हर बात व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत उपयोगी साबित होती हैं। व्यक्ति को जीवन के सभी कामों में सफलता प्राप्ति हो इसके लिए भी शास्त्रों में कई उपाय बताए गए हैं, जिसमें से एक हैं मन्त्रों का जाप। मन्त्रों का जाप व्यक्ति के मन को शांत करते हुए उनकी इन्द्रियों पर काबू रखता हैं। यहाँ तक कि मन्त्रों के जाप से ही भगवान को पाने का मार्ग प्रशस्त होता हैं। तभी तो सभी साधू-संत हर समय मन्त्रों के उच्चारण में लगे रहते हैं। लेकिन यह तभी संभव होता हैं जब मन्त्रों से जुड़े नियम और तरीकों को अपनाया जाए। इसलिए आज हम आपको मन्त्रों के जाप के समय ध्यान में रखे जाने वाले नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं।
* मंत्रों का पूरा लाभ पाने के लिए जप के दौरान सही मुद्रा या आसन में बैठना भी बहुत जरूरी है। इसके लिए पद्मासन मंत्र जप के लिए श्रेष्ठ होता है। इसके बाद वीरासन और सिद्धासन या वज्रासन को प्रभावी माना जाता है।
* मंत्र जप के लिए सही वक्त भी बहुत जरूरी है। इसके लिए ब्रह्ममूर्हुत यानी तकरीबन 4 से 5 बजे या सूर्योदय से पहले का समय श्रेष्ठ माना जाता है। प्रदोष काल यानी दिन का ढलना और रात्रि के आगमन का समय भी मंत्र जप के लिए उचित माना गया है।
* अगर यह वक्त भी साध न पाएं तो सोने से पहले का समय भी चुना जा सकता है।
* मंत्र जप प्रतिदिन नियत समय पर ही करें।
* एक बार मंत्र जप शुरु करने के बाद बार-बार स्थान न बदलें। एक स्थान नियत कर लें।
* मंत्र जप में तुलसी, रुद्राक्ष, चंदन या स्फटिक की 108 दानों की माला का उपयोग करें। यह प्रभावकारी मानी गई है।
* किसी विशेष जप के संकल्प लेने के बाद निरंतर उसी मंत्र का जप करना चाहिए।
* मंत्र जप के लिए कच्ची जमीन, लकड़ी की चौकी, सूती या चटाई अथवा चटाई के आसन पर बैठना श्रेष्ठ है। सिंथेटिक आसन पर बैठकर मंत्र जप से बचें।
* मंत्र जप दिन में करें तो अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें और अगर रात्रि में कर रहे हैं तो मुंह उत्तर दिशा में रखें।
* मंत्र जप के लिए एकांत और शांत स्थान चुनें। जैसे- कोई मंदिर या घर का देवालय।