साल का अंतिम सूर्य ग्रहण आज, पढ़ें इससे जुड़ी खास बातें

By: Pinki Thu, 26 Dec 2019 07:11:12

साल का अंतिम सूर्य ग्रहण आज, पढ़ें इससे जुड़ी खास बातें

आज यानी 26 दिसंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण Solar Eclipse 2019 लगने वाला है। इस बार चंद्रमा की छाया सूर्य का पूरा भाग नहीं ढक पाएगी। इसलिए यह पूर्ण सूर्य ग्रहण नहीं होगा। यह सूर्य ग्रहण इस साल का तीसरा सूर्य ग्रहण होगा। इससे पहले 6 जनवरी और 2 जुलाई को सूर्य ग्रहण लगा था। इस साल के तीसरे सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिकों ने वलयाकार ग्रहण बताया है। वलयाकार ग्रहण में सूर्य पर पूरी तरह से ग्रहण नहीं लगता है। इस ग्रहण में सिर्फ सूरज का मध्य भाग ही छाया के क्षेत्र में आता है जबकि सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित रहता है। इस सूर्य ग्रहण को वैज्ञानिक ‘रिंग ऑफ फायर’ का नाम दे रहे हैं क्योकि यह ग्रहण एक आग की अंगूठी की तरह नजर आने वाला है। सूर्यग्रहण भारत में दिखाई देगा खासतौर पर दक्षिण भारत में बेहतर तरीके से देखा जा सकेगा। ग्रहण 26 दिसंबर को सुबह लगभग 8 से शुरू हो जाएगा जो 10 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण 1 बजकर 36 मिनट तक खत्म हो जाएगा। आइए जानते हैं ग्रहण की खास बातें...

- सूर्यग्रहण का असर भारत, सऊदी अरब, कतर, इंडोनेशिया, श्रीलंका, सुमात्रा, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और गुआम में नजर आएगा। इसके अलावा एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के अन्य हिस्सों में ये आंशिक ग्रहण की तरह दिखेगा। पोर्ट ब्लेयर में सबसे लंबे समय यानी 3:36 घंटे तक सूर्यग्रहण देखा जा सकेगा।

- भारत में सबसे ज्यादा असर केरल समेत दक्षिण भारत के कई राज्यों में दिखाई देगा। बैंगलोर में लगभग 89.4% सूर्य ढका हुआ दिखाई देगा। जबकि चेन्नई में 84.6% सूर्य का हिस्सा ढका हुआ होगा। अहमदाबाद में सूर्य का करीब 66% हिस्सा छिपा रहेगा। जबकि दिल्ली में इसका सिर्फ 55.5% हिस्सा ही नजर आएगा।

- ग्रहण की शुरुआत भारत में सुबह 8 बजकर 4 मिनट पर होगी जबकि वलयाकार सूर्यग्रहण की अवस्था सुबह 9:06 बजे शुरू होगी। सूर्य ग्रहण की वलयाकार अवस्था दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त होगी जबकि ग्रहण की आंशिक अवस्था दोपहर एक बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी।

-जब सूर्य ग्रहण चरम पर होता है, तब पृथ्वी पर चंद्रमा की एक गोलाकार छवि बनती है। सूर्यग्रहण के वक्त पृथ्वी के ध्रुवों पर चंद्रमा की परछाईं 5000 मील प्रति घंटा की रफ्तार से चलती है। पृथ्वी पर पड़ने वाली परछाईं की अधिकतम चौड़ाई 167 मील हो सकती है, इससे अधिक नहीं हो सकती।

-सूर्यग्रहण के वक्त पृथ्वी पर चंद्रमा की परछाईं पड़ती है, जो 1100 मील प्रति घंटा की रफ्तार से इक्वेटर पर चलती है।

- माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के समय सूर्य से कुछ हानिकारक किरणें निकलती हैं इसलिए लोगों को इस दौरान कुछ सावधानियां बरतने की सलाह दी जाती है। सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखना सही नहीं माना जाता है। वैज्ञानिक भी इसे विकिरण से बचाने वाले सनग्लासेस पहनकर देखने की राय देते हैं।

- चंद्र ग्रहण के समय 9 घंटे पहले और सूर्य ग्रहण के समय 12 घंटे पहले सूतक काल लगने का पौराणिक विधान है। इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। कपाट बंद करने से पहले आरती और पूजा-पाठ किया जाता है। क्योंकि सूतक काल के पूजा पाठ और मूर्ति स्पर्श नहीं किया जाता।

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