Shradh 2019 : पुत्र के अलावा जाने और कौन कर सकता है पिंडदान, भोजन ग्रहण करने आए ब्राह्मण के लिए ये हैं खास नियम

By: Pinki Wed, 18 Sept 2019 7:59:03

Shradh 2019 : पुत्र के अलावा जाने और कौन कर सकता है पिंडदान, भोजन ग्रहण करने आए ब्राह्मण के लिए ये हैं खास नियम

हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष या श्राद्ध (Shradh 2019) आने पर अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और तृप्ति के लिए लोग श्राद्ध करते हैं। श्राद्ध में तर्पण, पिंड दान और ब्राह्मण भोजन का विशेष महत्व बताया जाता है। ऐसा करने से पितरों को शांति मिलती है और वह अपने परिवार को खुश रहने का आर्शीवाद देते हैं। किन आप ये सोच कर यदि पिंडदान नहीं करते कि आपके पास पुत्र नहीं तो आपको अपनी सोच को बदलने की जरूरत है। पिंडदान का हक हर किसी को है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। शास्त्रों में विस्तार से इस बारे में जानकारी दी गई है कि पिंडदान का हक किस-किस को हो है।

जानें कौन-कौन हैं श्राद्ध करने के अधिकारी

- पति की मृत्यु के बाद उसके पिंडदान का हक उसकी पत्नी को भी है। पत्नी के अलावा सगा भाई भी पिंडदान कर सकता है।

- पिता को पुत्र पिंडदान देता है, यदि पुत्र नहीं है तो ये हक पुत्री को भी प्राप्त है। पुत्री अपने पुत्र से भी पिता का पिंडदान करा सकती है।

- यदि किसी को एक से अधिक पुत्र हों तो पिंडदान का अधिकार बड़े पुत्र को होता है यदि बड़ा न कर पाए तो ये हक छोटे पुत्र को होता है।

- पुत्र के न होने पर पौत्र या प्रपौत्र भी श्राद्ध का अधिकार होता है। पुत्र या पुत्री के अलावा ये भी पिंडदान के अधकारी होते हैं।

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- यदि पत्नी का श्राद्ध करने के लिए पुत्र नहीं तो ये हक पति को भी होता है। पति अपनी पत्नी का पिंडदान कर सकता है।

- पुत्र, पौत्र या पुत्री यदि किसी की नहीं तो पिंडदान का हक उसके भतीजे को भी होता है। यदि गोद लिया या दत्तक पुत्र या पुत्री हो तो वह भी पिंडदान कर सकते हैं।

- पुत्र के न होने पर पिंडदान का हक बहु को भी होता है। सीता जी ने राजा दशरथ का पिंडदान फल्गु नदी के किनारे किया था।

- पितृपक्ष में पूर्वज धरती पर पिंडदान की आस में आते हैं यदि उनके परिजन उनका श्राद्ध नहीं करते तो वह दुखी हो जाते हैं और परिजनों को श्राप देकर वह मृत्युलोक में वापस लौट जाते हैं।

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श्राद्ध पर भोजन ग्रहण करने आए ब्राह्मण के लिए ये हैं 5 खास नियम

-श्राद्ध पर भोजन ग्रहण करने वाले ब्राह्मण को हमेशा मौन रहकर भोजन करना चाहिए। जरुरत पड़ने पर सिर्फ हाथों से संकेत देने चाहिए।

-श्राद्ध भोज करते समय किसी भी ब्राह्मण को वहां परोसे गए भोजन की निंदा या प्रशंसा नहीं करनी चाहिए।

-श्राद्ध में भोजन ग्रहण करने के लिए बुलाए गए ब्राह्मण को सिर्फ चांदी, कांसे या पलाश के पत्तों पर ही खाना परोसना चाहिए। ध्यान रखें कभी भी श्राद्ध में किसी ब्राह्मण को लोहे या मिट्टी के बर्तनों में खाना नहीं परोसना चाहिए। हिंदू धर्म में ऐसा करना निषेध बताया गया है।

-श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने आए ब्राह्मण से कभी भी भोजन कैसा बना है, यह सवाल नहीं पूछना चाहिए।

- श्राद्ध का भोजन ग्रहण करने के लिए बुलाए गए ब्राह्मण को कभी भी श्राद्ध के दिन दान नहीं देना चाहिए। इसके अलावा ब्राह्मण को भी ध्यान रखना चाहिए कि वो एक ही दिन में दो से तीन जगह श्राद्ध भोज ग्रहण करने न जाए।

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