आखिर क्यों आता हैं मंगल ग्रह को इतना क्रोध, जानें इनकी उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा

By: Ankur Tue, 17 Dec 2019 08:04:44

आखिर क्यों आता हैं मंगल ग्रह को इतना क्रोध, जानें इनकी उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा

आज मंगलवार हैं जो कि मंगल ग्रह को समर्पित माना जाता हैं। आज लोगों द्वारा मंगल को शांत करने के लिए उपाय किए जाते हैं क्योंकि मंगल एक क्रूर ग्रह है जो कि मेष और वृश्चिक राशि का स्वामी है। इस कारण से माना जाता हैं कि मेष और वृश्चिक राशि के जातकों को भी गुस्सा बहुत आता हैं। हांलाकि वैदिक ज्योतिष में इसे जोश, उत्साह, ऊर्जा, क्रोध, भूमि, रक्त, लाल रंग, सैन्य शक्ति, खेलकूद आदि का कारक माना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर मंगल ग्रह की उत्पत्ति कैसे हुई और इन्हें इतना क्रोध क्यों आता हैं। तो आइये जानते हैं इसके बारे में।

मंगल देव की उत्पत्ति से जुड़ी पौराणिक कथा

स्कंद पुराण के अनुसार, एक समय उज्जयिनी पुरी में अंधक नाम से प्रसिद्ध दैत्य राज्य करता था। उसके महापराक्रमी पुत्र का नाम कनक था। कहते हैं एकबार कनक दानव ने युद्ध के लिए इन्द्र को ललकारा तब इन्द्र ने युद्ध में उसका वध कर दिया। उधर, अंधकासुर अपने पुत्र के वध की खबर को सुनकर अपना आपा खो बैठा, उसने इंद्र को मारने का मन बना लिया। अंधकासुर बहुत ही शक्तिशाली था। इंद्र उसकी शक्ति के आगे कुछ नहीं थे। इसलिए इंद्र ने अपनी प्राण की रक्षा करने के लिए भगवान शिव की शरण में पहुँचे।

भगवान शिव के अंश हैं मंगल देव

उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा, हे भगवन ! मुझे अंधकासुर से अभय दीजिए। इन्द्र का वचन सुनकर शरणागत वत्सल शिव ने इंद्र को अभय प्रदान किया और अंधकासुर को युद्ध के लिए ललकारा, युद्ध अत्यंत घमासान हुआ, और उस समय लड़ते-लड़ते भगवान शिव के मस्तक से पसीने की एक बूंद पृथ्वी पर गिरी, उससे अंगार के समान लाल अंग वाले भूमिपुत्र मंगल का जन्म हुआ। इसलिए मंग्रह का स्वभाव क्रूर है। उन्हें गुस्सा शीघ्र ही आ जाता है।

उज्जैन में हुआ था मंगल देव का जन्म

अंगारक, रक्ताक्ष और महादेव पुत्र, इन नामों से स्तुति कर ब्राह्मणों ने उन्हें ग्रहों के मध्य प्रतिष्ठित किया, इसके बाद उसी स्थान पर ब्रह्मा जी ने मंगलेश्वर नामक उत्तम शिवलिंग की स्थापना की। वर्तमान में यह स्थान मंगलनाथ मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है, जो उज्जैन में स्थित है। मंगल ग्रह की शांति के लिए यहां उनकी पूजा आराधना की जाती है।

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