Ganesh Chaturthi 2019: महाभारत से जुड़ा है गणेश जी के एकदंत का राज, जानें इसके बारे में
By: Ankur Mon, 02 Sept 2019 09:33:03
आज भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि हैं जिसे गणेश चतुर्थी के पावन पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। यह दिन गणपति जी को समर्पित होता हैं और इस दिन गणेश जी की पूजा की जाती हैं। जैसा कि आप सभी जानते हैं कि गणेश जी को एकदंत के नाम से भी जान जाता हैं क्योंकि उनका एक दांत टूट गया था। लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं कि आखिर कैसे गणेश जी का दांत टूट गया था। तो आइये जानते हैं इस पौराणिक कथा के बारे में।
जब महर्षि वेदव्यास महाभारत लिखने के लिए बैठे, तो उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो उनके मुख से निकले हुए महाभारत की कहानी को लिखे। इस कार्य के लिए उन्होंने श्री गणेश जी को चुना। गणेश जी भी इस बात के लिए मान गए पर उनकी एक शर्त थी कि पूरा महाभारत लेखन को एक पल ले लिए भी बिना रुके पूरा करना होगा। गणेश जी बोले – अगर आप एक बार भी रुकेंगे तो मैं लिखना बंद कर दूंगा।
महर्षि वेदव्यास नें गणेश जी की इस शर्त को मान लिया। लेकिन वेदव्यास ने गणेश जी के सामने भी एक शर्त रखा और कहा – गणेश आप जो भी लिखोगे समझ कर ही लिखोगे। गणेश जी भी उनकी शर्त मान गए। दोनों महाभारत के महाकाव्य को लिखने के लिए बैठ गए। वेदव्यास जी महाकाव्य को अपने मुहँ से बोलने लगे और गणेश जी समझ-समझ कर जल्दी-जल्दी लिखने लगे। कुछ देर लिखने के बाद अचानक से गणेश जी का कलम टूट गया। कलम महर्षि के बोलने की तेजी को संभाल ना सका।
गणेश जी समझ गए की उन्हें थोडा से गर्व हो गया था और उन्होंने महर्षि के शक्ति और ज्ञान को ना समझा। उसके बाद उन्होंने धीरे से अपने एक दांत को तोड़ दिया और स्याही में डूबा कर दोबारा महाभारत की कथा लिखने लगे। जब भी वेदव्यास को थकान महसूस होता वे एक मुश्किल सा छंद बोलते, जिसको समझने और लिखने के लिए गणेश जी को ज्यादा समय लग जाता था और महर्षि को आराम करने का समय भी मिल जाता था।
महर्षि वेदव्यास जी और गणेश जी को महाभारत लिखने में 3 वर्ष लग गए। वैसे तो कहा जाता है महाभारत के कुछ छंद गुम हो गए हैं परन्तु आज भी इस कविता में 100000 छंद हैं।