महाशिवरात्रि पर चढ़ने वाले पंचामृत का अध्यात्मिक महत्व

By: Kratika Tue, 13 Feb 2018 3:27:22

महाशिवरात्रि पर चढ़ने वाले पंचामृत का अध्यात्मिक महत्व

महाशिवरात्रि को भगवान शिव के पूजन का दिन माना जाता हैं। इस दिन शिवलिंग कि पूजा की जाती हैं। बिल्व पत्र और पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता हैं। प्रसाद के रूप में पंचामृत काम में लिया जाता हैं। पंचामृत को दूध, दही, शहद, घी और मिश्री की पत्तियों से मिलाकर तैयार किया जाता है। पंचामृत में डालने वाले इन सभी तत्वों का अपना आध्यात्मिक महत्व हैं। तो आइये जानते हैं महाशिवरात्रि पर चढ़ने वाले पंचामृत का अध्यात्मिक महत्व के बारे में।

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* दूध : दूध को पवित्र माना जाता है। इसलिये देवताओं का स्नान तक दूध से करवाया जाता है। साथ ही दूध को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है। हमारी बोलचाल की भाषा में भी हम किसी की शुद्धता के लिये दूध का धुला का इस्तेमाल करते हैं। दूध के महत्व को देखते हुए ही इसे शास्त्रों में एक प्रकार का अमृत कहा जाता है। लेकिन यह दूध भी गाय का दूध होता है जिसे अमृत के समान कहा जाता है।

* दही : दही दूध से बना ही पदार्थ है और दही को भी काफी शुभ माना जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य के लिये घर से बाहर जाते समय दही का सेवन किया जाता है। इस तरह दही को भी अमृत के समान माना जाता है और पंचामृत में एक अमृत रूप दही का भी शामिल होता है।

* घी : दूध और दही के पश्चात दूध से ही घी भी बनाया जाता है गाय के दूध से बना हर पदार्थ अमृत के समान माना जाता है। देवी देवताओं की पूजा के लिये आम तौर पर शुद्ध घी का दिया जलाने को ही प्राथमिकता दी जाती है। इस तरह घी भी पंचामृत में एक अमृत के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

* शहद : शहद भी अमृत के समान होता है। औषधि के तौर पर तो कभी से शहद का इस्तेमाल होता है। खांसी सर्दी आदि से लेकर मोटापा कम करने तक अनेक चीजों में शहद का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार शहद को भी अमृत माना जाता है और पंचामृत में इसे मिलाया जाता है।

* मिश्री : मिश्री को मिठास, मधुरता, खुशी और सद्भावना का प्रतीक माना गया है। इस तरह इसे भी अमृत माना जाता है।

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