गुरु पूर्णिमा गुरुओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने का दिन, जाने इसके पीछे का महत्व
By: Ankur Fri, 27 July 2018 11:55:27
गुरु पूर्णिमा गुरुओं के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करने का दिन हैं। हांलाकि गुरुओं का सम्मान तो हमेशा ही करना चाहिए लेकिन आषाढ़ पूर्णिमा को आदि गुरु वेद व्यास का जन्म हुआ था। महर्षि वेद व्यास प्रथम विद्वान थे, जिन्होंने सनातन धर्म (हिन्दू धर्म) के चारों वेदों की व्याख्या की थी। और उनके सम्मान में ही आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा 27 जुलाई को हैं। आज हम आपको गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे में जानेंगे।
गुरु, पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह हैं जो पूर्ण प्रकाशमान हैं और शिष्य आषाढ़ के बादलों की तरह। आषाढ़ में चंद्रमा बादलों से घिरा रहता है जैसे बादल रूपी शिष्यों से गुरु घिरे हों। शिष्य सब तरह के हो सकते हैं, जन्मों के अंधेरे को लेकर आ छाए हैं। वे अंधेरे बादल की तरह ही हैं। उसमें भी गुरु चांद की तरह चमक सके, उस अंधेरे से घिरे वातावरण में भी प्रकाश जगा सके, तो ही गुरु पद की श्रेष्ठता है। इसलिए आषाढ़ की पूर्णिमा का महत्व है! इसमें गुरु की तरफ भी इशारा है और शिष्य की तरफ भी। यह इशारा तो है ही कि दोनों का मिलन जहां हो, वहीं कोई सार्थकता है।
जीवन में गुरु और शिक्षक के महत्व को आने वाली पीढ़ी को बताने के लिए यह पर्व आदर्श है। व्यास पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा अंधविश्वास के आधार पर नहीं बल्कि श्रद्धाभाव से मनाना चाहिए। गुरु का आशीर्वाद सबके लिए कल्याणकारी व ज्ञानवर्द्धक होता है, इसलिए इस दिन गुरु पूजन के उपरांत गुरु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए।
सिख धर्म केवल एक ईश्वर और अपने दस गुरुओं की वाणी को ही जीवन का वास्तविक सत्य मानता है। सिख धर्म में इस पर्व का महत्व अधिक इस कारण है क्योंकि सिख इतिहास में उनके दस गुरुओं का बेहद महत्व रहा है।