मकर संक्रांति 2019- आखिर क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौंहार, पुराणों में बताया गया है इसका महत्व

By: Ankur Tue, 08 Jan 2019 4:57:45

मकर संक्रांति 2019- आखिर क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का त्यौंहार, पुराणों में बताया गया है इसका महत्व

सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रांति के पर्व के रूप में मनाया जाता हैं। यह साल का सबसे पहला त्यौंहार हैं और देश के विभिन्न हिस्सों में विविध रूप से मनाया जाता हैं। इस दिन दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों का भी विशेष महत्व माना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर मकर संक्रांति का इतना महत्व क्यों हैं। अगर नहीं, तो आज हम आपको पुराणों में बताई गई मकर संक्रांति से जुडी कुछ बातें बताने जा रहे हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं। तो आइये जानते हैं मकर संक्रांति के महत्व के बारे में।

* विष्णु धर्मसूत्र के अनुसार मकर संक्रांति में पितरों की आत्मा की शांति के लिए और सर्वकल्याण के लिए तिल के 6 प्रयोग पुण्यदायक होते हैं। इनमें सुबह तिल जल से स्नान करें, तिल का दान करें, तिल से बना भोजन खाएं, जल में तिल अर्पण करें, तिल से आहुति दें, और तिल का उबटन लगाएं।

importance of makar sankranti,makar sankranti 2019 ,ज्योतिष टिप्स, मकर संक्रांति 2019, मकर संक्रांति विशेष, मकर संक्रांति महत्व, ज्योतिषीय महत्व

* राजा भगीरथ सूर्यवंशी थे, जिन्होंने तपकर मां गंगा को धरती पर लाकर कपिल मुनि के शाप से अपने 60 हजार पूर्वजों को मोक्ष प्रदान करवाया था। राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों का गंगाजल, अक्षत, तिल से श्राद्ध तर्पण किया था। तब से माघ मकर संक्रांति में स्नान और तिल का महत्व आजतक चला आ रहा है।

* कपिल मुनि के आश्रम पर जिस दिन मां गंगा आई थीं, वह मकर संक्रांति का ही दिन था। मां गंगा के जल से राजा भगीरथ के पूर्वजों को स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। कपिल मुनि ने मां गंगा को आशीर्वाद देते हुए कहा था, ‘हे मां गंगे त्रिकाल तक जन-जन का पाप हरण करेंगी और सभी भक्तजनों की पीढ़ियों को मुक्ति एवं मोक्ष प्रदान करेंगी।

* महाभारत काल में भीष्म पितामह ने सूर्य के उत्तरायण होने पर ही स्वेच्छा से अपने शरीर का त्याग किया था। उनका श्राद्ध संस्कार भी सूर्य की उत्तरायण गति में हुआ था। उत्तरायण में शरीर त्यागने वाले व्यक्ति की आत्मा को मोक्ष मिलता है। वह जन्म-मृत्यु के बंधन से अलग हो जाता है।

* मां दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए मकर संक्रांति के दिन धरती पर कदम रखा था।

* भगवान विष्णु ने मकर संक्रांति के दिन ही मधु कैटभ से युद्ध की घोषणा की समाप्ति की थी। भगवान ने मधु के कंधों पर मंदार नाम का पर्वत रख कर उसे दबा दिया था इसलिए भगवान विष्ण इस दिन से मधुसूदन के नाम से जाने गए। यही मात्र एक त्योहार है जो हर साल एक ही तारीख को आता है क्योंकि यह त्योहार सोलर कैलेंडर को फॉलो करता है और दूसरे त्योहारों की गणना चंद्र कैलेंडर के आधार पर होती है।

हम WhatsApp पर हैं। नवीनतम समाचार अपडेट पाने के लिए हमारे चैनल से जुड़ें... https://whatsapp.com/channel/0029Va4Cm0aEquiJSIeUiN2i

Home | About | Contact | Disclaimer| Privacy Policy

| | |

Copyright © 2024 lifeberrys.com