Hartalika Teej 2018: अत्‍यंत कठिन माना जाता है हरतालिका तीज का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

By: Pinki Wed, 12 Sept 2018 08:17:04

Hartalika Teej 2018: अत्‍यंत कठिन माना जाता है हरतालिका तीज का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्‍व

देशभर में आज हरतालिका तीज Hartalika Teej 2018 का त्योहार मनाया जा रहा है। हिन्‍दू धर्म को मानने वाली महिलाओं में हरताल‍िका तीज (Hartalika Teej) का विशेष महत्‍व है। हरतालिका तीज के दिन देवों के देव महादेव और माता गौरी की पूजा का विधान है। मान्‍यता है कि हरतालिका तीज का व्रत करने से सुहागिन महिला के पति की उम्र लंबी होती है जबकि कुंवारी लड़कियों को मनचाहा वर मिलता है। हिन्‍दू पंचाग के मुताबिक, हर साल हरतालिका तीज भाद्रपद यानि की भादो माह की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह व्रत 12 सितंबर को मनाया जाएगा। यह त्‍योहार मुख्‍य रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्‍थान और मध्‍य प्रदेश में मनाया जाता है। कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस व्रत को गौरी हब्‍बा के नाम से जाना जाता है।

तिथि और शुभ मुहूर्त

12 सितंबर की सुबह हरतालिका तीज का शुभ मूहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 8 बजे तक रहेगा। वहीं, जो महिलाएं शाम को हरतालिका तीज का पूजन करती हैं वह शाम 7 से 8 बजे के बीच पूजन कर सकती हैं।

कहीं हरतालिका तीज तो कहीं गौरी हब्बा

भारत के उत्तरी हिस्से राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में तीज को हरतालिका तीज के नाम से पुकारा जाता है। वहीं दक्षिण राज्य जैसे कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में इस त्योहार को गौरी हब्बा के नाम से पुकारा जाता है।

क्या है हरतालिका तीज का महत्व

हरतालिका तीज की पूजा को करना जितना कठिन है, उतना ही कठिन है इसका व्रत रखना। पौराणिक मान्यका के मुताबिक, इस व्रत के दौरान महिलाएं बिना पानी के 24 घंटे तक व्रत रखती हैं। कुछ एक स्थिति में अगर तृतीया का समय 24 घंटे से ज्यादा का रहता है तो इस व्रत की अवधि बढ़ती है।

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हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?

हरतालिका तीज का व्रत अत्‍यंत कठिन माना जाता है। यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है। व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान करने के बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लिया जाता है। महिलाएं और युवतियां भगवान शिव को गंगाजल, दही, दूध और शहद से स्नान कराकर उन्हें फल चढ़ाती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं।

हरतालिका तीज की पूजन विधि

हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय। हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है:
- संध्‍या के समय फिर से स्‍नान कर साफ और सुंदर वस्‍त्र धारण करें। इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं।
- इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं।
- दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं।
- सुहाग की सामग्री को अच्‍छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें।
- शिवजी को वस्‍त्र अर्पित करें।
- अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें।
- इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें।
- अब भगवान की परिक्रमा करें।
- रात को जागरण करें। सुबह स्‍नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्‍हें सिंदूर चढ़ाएं।
- फिर ककड़ी और हल्‍वे का भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें।
- सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।

पूजा की थाली में अवश्य रखनी चाहिए ये चीज...

हरतालिका तीज पर पूजन के लिए - गीली काली मिट्टी या बालू रेत, बेलपत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल एवं फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनैव, नाडा, वस्त्र, सभी प्रकार के फल एवं फूल, फुलहरा (प्राकृतिक फूलों से सजा), मां पार्वती के लिए सुहाग सामग्री - मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, बाजार में उपलब्ध सुहाग पुड़ा आदि, श्रीफल, कलश, अबीर, चन्दन, घी-तेल, कपूर, कुमकुम, दीपक, घी, दही, शक्कर, दूध, शहद पंचामृत के लिए आदि।

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