Ganga Dussehra 2020 : गंगा स्नान का महत्व

By: Pinki Mon, 01 June 2020 10:47:06

Ganga Dussehra 2020 : गंगा स्नान का महत्व

हर साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2020) का पावन पर्व मनाया जाता हैं क्योंकि इसी दिन मां गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। इस साल यह पर्व 1 जून 2020, सोमवार को पड़ रहा हैं। इस दिन गंगा स्नान का बड़ा महत्व माना जाता हैं जो सभी पाप को हरने वाला होता हैं।

यह तो हम सभी जानते है कि भारत देश नदियों और मान्यताओं का देश है। यहां नदियों को विशेष सम्मान दिया गया है। गंगा नदी यहां के निवासियों के लिए माता का रुप है। यही वजह है, कि गंगा को माता के नाम से सम्बोधित किया जाता है। इस कारण हिंदुओं के लिए गंगा स्नान बहुत महत्व रखता है।

गंगा जीवन और मृत्यु दोनों से जुडी़ हुई है इसके बिना अनेक संस्कार अधूरे हैं। गंगा नदी में स्नान करने से व्यक्ति अपने जीवन के सभी पापों से मुक्ति पाता है। गंगा नदी जिस स्थान से अपनी यात्रा प्रारम्भ करती है, उस स्थान को गंगोत्री कहा जाता है।

गंगा नदी के भूमि पर आने के विषय में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार राजा भगीरथ माता गंगा को अपनी प्रजा के सुख हेतू धरती पर लाना चाहता था। इसी उद्देश्य से उन्होनें वर्षों तक कठोर तपस्या की और तपस्या से प्रसन्न होकर, गंगा सात धाराओं के रुप में भूमि पर अवतरित हुईं। इन सात धाराओं का नाम ह्रादिनी, पावनी, नलिनी, सुचक्षु, सीता और महानदी सिन्धु नदी है। स्कन्दपुराण, वाल्मीकि रामायण आदि ग्रंथों में गंगा जन्म की कथा वर्णित है।

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गंगा मुक्ति का मार्ग

गंगा जी में स्नान करने से सात्त्विकता और पुण्यलाभ प्राप्त होता है। भारत की अनेक धार्मिक अवधारणाओं में गंगा नदी को देवी के रूप में दर्शाया गया है। अनेक पवित्र तीर्थस्थल गंगा नदी के किनारे पर बसे हुये हैं। गंगा नदी को भारत की पवित्र नदियों में सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजा जाता है।

मान्यता अनुसार गंगा में स्नान करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है। लोग गंगा के किनारे ही प्राण विसर्जन या अंतिम संस्कार की इच्छा रखते हैं तथा मृत्यु पश्चात गंगा में अपनी राख विसर्जित करना मोक्ष प्राप्ति के लिये आवश्यक समझते हैं। लोग गंगा घाटों पर पूजा अर्चना करते हैं और ध्यान लगाते हैं।

गंगाजल को पवित्र समझा जाता है तथा समस्त संस्कारों में उसका होना आवश्यक माना गया है। गंगाजल को अमृत समान माना गया है। अनेक पर्वों और उत्सवों का गंगा से सीधा संबंध है मकर संक्राति, कुंभ और गंगा दशहरा के समय गंगा में स्नान, दान एवं दर्शन करना महत्त्वपूर्ण समझा माना गया है।

गंगा तीर्थ स्थल सम्पूर्ण भारत में सांस्कृतिक एकता स्थापित करता है गंगा जी के अनेक भक्ति ग्रंथ लिखे गए हैं जिनमें श्रीगंगासहस्रनामस्तोत्रम एवं गंगा आरती बहुत लोकप्रिय हैं।

गंगा पूजन एवं स्नान से रिद्धि-सिद्धि, यश-सम्मान की प्राप्ति होती है तथा समस्त पापों का क्षय होता है। मान्यता है कि गंगा पूजन से मांगलिक दोष से ग्रसित जातकों को विशेष लाभ प्राप्त होता है। विधिविधान से गंगा पूजन करना अमोघ फलदायक होता है।

गंगा स्नान करने से अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त होता है। अमावस्या दिन गंगा स्नान और पितरों के निमित तर्पण व पिंडदान करने से सदगती प्राप्त होती है और यही शास्त्रीय विधान भी है।

पुराणों में एक अन्य कथा अनुसार गंगा जी भगवान विष्णु के अँगूठे से निकली हैं, जिसका पृथ्वी पर अवतरण भगीरथ के प्रयास से कपिल मुनि के शाप द्वारा भस्मीकृत हुए राजा सगर के पुत्रों की अस्थियों का उद्धार करने के लिए हुआ था। इसी कारण गंगा का दूसरा नाम भागीरथी पड़ा।

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भगवन शिव ने भी गाई गंगा की महिमा

स्कन्द पुराण के अनुसार गंगाजी की महिमा का गुणगान करते हुए भगवान शिव श्री विष्णु से कहते हैं - हे हरि ! ब्राह्मण के श्राप से भारी दुर्गति में पड़े हुए जीवों को गंगा के सिवा दूसरा कौन स्वर्गलोक में पहुंचा सकता है, क्योंकि माँ गंगा शुद्ध, विद्यास्वरूपा, इच्छाज्ञान एवं क्रियारूप, दैहिक, दैविक तथा भौतिक तापों को शमन करने वाली, धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष चारों पुरूषार्थों को देने वाली शक्ति स्वरूपा हैं। इसलिए इन आनंदमयी, धर्मस्वरूपणी, जगत्धात्री, ब्रह्मस्वरूपणी गंगा को मैं अखिल विश्व की रक्षा करने के लिए लीलापूर्वक अपने मस्तक पर धारण करता हूँ।

हे विष्णो! जो गंगाजी का सेवन करता है, उसने सब तीर्थों मैं स्नान कर लिया, सब यज्ञों की दीक्षा ले ली और सम्पूर्ण व्रतों का अनुष्ठान पूरा कर लिया। कलियुग में काम, क्रोध, मद, लोभ, मत्सर, ईर्ष्या आदि अनेकों विकारों का समूल नाश करने में गंगा के समान और कोई नहीं है।

विधिहीन, धर्महीन, आचरणहीन मनुष्यों को भी यदि माँ गंगा का सानिध्य मिल जाए तो वे भी मोह एवं अज्ञान के संसार सागर से पार हो जाते हैं। जैसे मन्त्रों मैं ॐ कार, धर्मों मैं अहिंसा और कमनीय वस्तुओं मैं लक्ष्मी श्रेष्ठ हैं और जिस प्रकार विद्याओं मैं आत्मविद्या और स्त्रियों मैं गौरीदेवी उत्तम हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण तीर्थों में गंगा तीर्थ विशेष माना गया है।

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