बुध प्रदोष व्रत का उद्यापन दिलाता हैं आरोग्य लाभ, जानें इसकी पूर्ण विधि

By: Ankur Wed, 22 Jan 2020 07:22:53

बुध प्रदोष व्रत का उद्यापन दिलाता हैं आरोग्य लाभ, जानें इसकी पूर्ण विधि

माघ महीने के कृष्ण पक्ष की तेरस हैं जो कि प्रदोष व्रत के रूप में जानी जाती हैं और जो प्रदोष व्रत बुधवार के दिन पड़ता है वो बुध प्रदोष व्रत या सौम्यवारा प्रदोष व्रत कहलाता है। शिवभक्त इस दिन आस्था से व्रत रखते हैं जिससे उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। व्रत के बाद उद्यापन का भी बड़ा महत्व होता हैं जो आरोग्य लाभ दिलाता हैं। बुध प्रदोष व्रत का उद्यापन करने से व्रती पुत्र-पौत्रादि से युक्त होता है और इसके अतिरिक्त वह अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है एवं सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर शिवधाम को पाता है। आज हम आपको बुध (सौम्यवारा) प्रदोष व्रत की उद्यापन विधि के बारे में बताने जा रहे हैं। तो आइये जानते हैं।

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स्कंद पुराणके अनुसार व्रती को कम-से-कम 11 अथवा 26 त्रयोदशी व्रत के बाद उद्यापन करना चाहिये। उद्यापन के एक दिन पहले( यानी द्वादशी तिथि को) श्री गणेश भगवान का विधिवत षोडशोपचार विधि से पूजन करें तथा पूरी रात शिव-पार्वती और श्री गणेश जी के भजनों के साथ जागरण करें। उद्यापन के दिन प्रात:काल उठकर नित्य क्रमों से निवृत हो जायें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा गृह को शुद्ध कर लें। पूजा स्थल पर रंगीन वस्त्रों और रंगोली से मंडप बनायें। मण्डप में एक चौकी अथवा पटरे पर शिव-पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। अब शिव-पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। भोग लगायें। बुध (सौम्यवारा) प्रदोष व्रत की कथा सुने अथवा सुनायें।

अब हवन के लिये सवा किलो (1.25 किलोग्राम) आम की लकड़ी को हवन कुंड में सजायें। हवन के लिये गाय के दूध में खीर बनायें। हवन कुंड का पूजन करें। दोनों हाथ जोड़कर हवन कुण्ड को प्रणाम करें। अब अग्नि प्रज्वलित करें। तदंतर शिव-पार्वती के उद्देश्य से खीर से ‘ऊँ उमा सहित शिवाय नम:’ मंत्र का उच्चारण करते हुए 108 बार आहुति दें। हवन पूर्ण होने के पश्चात् शिव जी की आरती करें। ब्राह्मणों को सामर्थ्यानुसार दान दें एवं भोजन करायें। आप अपने इच्छानुसार एक या दो या पाँच ब्राह्मणों को भोजन एवं दान करा सकते हैं। यदि भोजन कराना सम्भव ना हो तो किसी मंदिर में यथाशक्ति दान करें। इसके बाद बंधु बांधवों सहित प्रसाद ग्रहण करें एवं भोजन करें।

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