Bhai Dooj 2019: भैया दूज पर टीका लगाने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मान्‍यताएं

By: Pinki Tue, 29 Oct 2019 09:05:59

Bhai Dooj 2019: भैया दूज पर टीका लगाने का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मान्‍यताएं

रक्षाबंधन की ही तरह भाई दूज (Bhai Dooj) या भैया दूज (Bhaiya Dooj) के पर्व को भी महत्‍ता दी गई। दीपावली के दो दिन बाद यानि कि कार्तिक शुक्‍ल पक्ष की द्वितीय तिथ‍ि को मनाए जाने वाला ये त्‍योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्‍हें तिलक लगाकर भोजन कराती हैं। वहीं, एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं। बहनें जहां इस दिन अपने भाईयों की लंबी उम्र की कामना से पूजा करती हैं। वहीं भाई अपनी बहनों को उनका साथ निभाने का न सिर्फ वचन देते हैं बल्कि तोहफे देकर उनके चेहरों पर भी मुस्‍कान बिखरते हैं। इसका यह आशय होता है कि उनकी बहनों का जीवन सदैव सुख-समृद्धि से भरा रहे और वह हमेशा हंसती- मुस्‍कुराती रहें। इस बार यह व्रत 29 अक्‍टूबर यानि आज मनाया जा रहा है। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इसी वजह से इस पर्व पर यम देव की पूजा की जाती है। मान्यता के अनुसार जो यम देव की उपासना करता है, उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।

भैया दूज की तिथि और शुभ मुहूर्त

भैयादूज / यम द्वितीया की तिथि: 29 अक्‍टूबर 2019

द्वितीया तिथि प्रारंभ: 29 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 06:13 मिनट से

द्व‍ितीया तिथि समाप्‍त: 30 अक्‍टूबर 2019 को सुबह 03:48 मिनट तक

भाई दूज अपराह्न समय: दोपहर 01:11 मिनट से दोपहर 03:23 मिनट तक

कुल अवधि: 02 घंटे 12 मिनट

ऐसे करें भाई को टीका

भाई दूज की पूजा हमेशा मुहूर्त देखकर ही करनी चाहिए। सबसे पहले भाई को किसी चौकी या पटरी पर बिठाएं फिर भाई को रोली और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद भाई को कलावा बांधें फिर भाई को मिठाई खिलाएं। ऐसा करने के बाद यम देवता से प्रार्थना करें कि वह आपके भाई को लंबी उम्र दे। साथ ही आप दोनों के रिश्‍ते में एक-दूसरे के प्रति ढेर सारा आदर, प्‍यार और सम्‍मान बनाए रखे। इसके बाद भाईयों को अपनी बहन को शगुन देना चाहिए।

भैया दूज पर क्‍या करें?

- भैया दूज के दिन सबसे पहले नहा-धोकर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें। इस दिन बहनें नए कपड़े पहने

- इसके बाद चावल, कुमकुम और रोली से आठ दल वाला कमल का फूल बनाएं

- अब भाई की लंबी उम्र और कल्‍याण की कामना के साथ व्रत का संल्‍प लें

- अब विधि-विधान के साथ यम की पूजा करें

- यम की पूजा के बाद यमुना, चित्रगुप्‍त और यमदूतों की पूजा करें

- अब भाई को तिलक लगाकर उनकी आरती उतारें

- इस मौके पर भाई को यथाशक्ति अपनी बहन को उपहारा या भेंट देनी चाहिए

- पूजा होने तक भाई-बहन दोनों को ही व्रत करना होता है

- पूजा संपन्‍न होने के बाद भाई-बहन साथ में मिलकर भोजन करें

क्‍यों मनाया जाता है भैया दूज?

पौराणिक कथा के अनुसार, सूर्य भगवान की पत्नी का नाम छाया था। उनकी कोख से यमराज और यमुना का जन्म हुआ था। यमुना अपने भाई यमराज से बड़ा स्नेह करती थी। वह उससे बराबर निवेदन करती कि इष्ट मित्रों सहित उसके घर आकर भोजन करो। अपने कार्य में व्यस्त यमराज बात को टालते रहे। फिर कार्तिक शुक्ला का दिन आया। यमुना ने उस दिन फिर यमराज को भोजन के लिए निमंत्रण देकर, उसे अपने घर आने के लिए वचनबद्ध कर लिया।

यमराज ने सोचा, 'मैं तो प्राणों को हरने वाला हूं। मुझे कोई भी अपने घर नहीं बुलाना चाहता। बहन जिस सद्भावना से मुझे बुला रही है, उसका पालन करना मेरा धर्म है।' बहन के घर आते समय यमराज ने नरक निवास करने वाले जीवों को मुक्त कर दिया। यमराज को अपने घर आया देखकर यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसने स्नान कर पूजन करके व्यंजन परोसकर भोजन कराया। यमुना के आतिथ्य से यमराज ने प्रसन्न होकर बहन से वर मांगने के लिए कहा।

यमुना ने कहा, 'भद्र! आप प्रति वर्ष इसी दिन मेरे घर आया करो। मेरी तरह जो बहन इस दिन अपने भाई को आदर सत्कार करके टीका करे, उसे तुम्हारा भय न रहे।'

यमराज ने तथास्तु कहकर यमुना को अमूल्य वस्त्राभूषण देकर विदा ली। तभी से भैया दूज की परंपरा शुरू हुई। ऐसी मान्यता है कि जो भाई इस दिन आतिथ्य स्वीकार करते हैं, उन्हें यम का भय नहीं रहता। इसी वजह से भैया दूज के दिन यमराज और यमुना का पूजन किया जाता है।

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