
नई दिल्ली/अयोध्या: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा दिल्ली की एक मस्जिद में अपने सांसदों के साथ की गई बैठक पर धार्मिक जगत से तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। अयोध्या के साधु-संतों ने इसे न केवल अनुचित बताया, बल्कि अखिलेश की विचारधारा पर भी सवाल खड़े किए हैं।
धार्मिक स्थलों की गरिमा का ध्यान रखें: संत समाज
अयोध्या के निर्मोही अखाड़ा के महंत सीताराम दास महाराज ने इस मस्जिद बैठक पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यह बेहद खेदजनक है। इसमें कोई दो राय नहीं कि अखिलेश यादव के डीएनए में ही कोई दोष है।" उनका मानना है कि इस प्रकार की गतिविधियां धार्मिक स्थलों की गरिमा को ठेस पहुंचाती हैं।
हनुमानगढ़ी के साधुओं की तीखी नाराजगी
हनुमानगढ़ी पीठाधीश्वर देवेशाचार्य महाराज ने भी समाजवादी पार्टी पर हमला बोलते हुए कहा, "धार्मिक स्थलों पर राजनीतिक गतिविधियाँ निंदनीय हैं। मस्जिद में बैठक करना पूरी तरह अनुचित है और समाजवादी पार्टी को इससे बचना चाहिए था।"
इसी क्रम में, श्री हनुमानगढ़ी मंदिर के पुजारी महंत राजू दास ने इसे राष्ट्र-विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया। उन्होंने कहा, "समाजवादी पार्टी की सोच हमेशा से ही धर्म और राष्ट्र के खिलाफ रही है। यह बैठक उसी विचारधारा की झलक है।"
संसद सत्र के दौरान मस्जिद में जुटे सपा नेता
यह बैठक उस समय हुई जब संसद का मानसून सत्र जारी था। मंगलवार को हंगामे के चलते लोकसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद अखिलेश यादव और अन्य सपा सांसदों ने संसद परिसर के समीप स्थित एक मस्जिद में बैठक की। इस मस्जिद में रामपुर से सांसद मोहिबुल्लाह मदनी रहते हैं, जहाँ यह मुलाकात हुई।
इस बैठक में डिंपल यादव (मैनपुरी), अक्षय यादव (फिरोजाबाद), आदित्य यादव (बदायूं), धर्मेंद्र यादव (आजमगढ़), जियाउर्रहमान बर्क (संभल), इकरा हसन (कैराना) और अन्य वरिष्ठ सपा नेता मौजूद रहे।
बीजेपी ने साधा निशाना, अखिलेश ने दिया जवाब
जैसे ही बैठक की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर आए, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने समाजवादी पार्टी पर 'तुष्टिकरण की राजनीति' का आरोप लगाया। जवाब में अखिलेश यादव ने स्पष्ट किया, "हम आस्था को जोड़ने का काम करते हैं, और यही बात बीजेपी को खटकती है।"














