
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा है कि जनता और विधायकों से दूरी अब किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं होगी। मुख्यमंत्री ने बीजेपी विधायक दल की बैठक में उपस्थित सभी मंत्रियों को कठोर शब्दों में निर्देश दिए कि जनसुनवाई और नियमित मिल-बैठक उनके कार्यकाल की अनिवार्य जिम्मेदारी है—इसे टालने की कोई गुंजाइश नहीं है।
बैठक के दौरान सीएम ने साफ कहा कि वे स्वयं लगातार जनता से संवाद स्थापित करते हैं, फीडबैक लेते हैं और काम को समयबद्ध तरीके से करवाते हैं। ऐसे में उनका सवाल सीधे-सीधे मंत्रियों से था—“अगर मेरे पास जनता से मिलने का समय है, तो फिर आप किस चीज में इतने उलझे हैं कि कार्यकर्ताओं तक से मुलाकात के लिए समय नहीं निकाल पा रहे?”
लगातार शिकायतों के बाद सीएम का कड़ा रुख
काफी समय से पार्टी विधायकों और कार्यकर्ताओं द्वारा यह शिकायतें उठाई जा रही थीं कि कई मंत्री क्षेत्र के लोगों, कार्यकर्ताओं और उनके प्रतिनिधियों को समय ही नहीं देते। इन शिकायतों के बढ़ने के बाद मुख्यमंत्री ने निर्णायक रवैया अपनाते हुए मंत्रियों को सख्ती से चेताया।
मुख्यमंत्री निवास पर हुई महत्वपूर्ण बैठक में प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़, डिप्टी सीएम दिया कुमारी और प्रेमचंद बैरवा, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग समेत पूरा मंत्रिमंडल मौजूद था। बैठक में माहौल गंभीर था, और सीएम के निर्देशों में स्पष्ट चेतावनी झलक रही थी—जनता और विधायकों की उपेक्षा अब नहीं चलेगी।
“जनसेवा प्राथमिक कर्तव्य है… लापरवाही नहीं चलेगी”
सीएम भजनलाल ने कहा कि जनता से जुड़ा रहना हर मंत्री और हर जनप्रतिनिधि का प्रथम दायित्व है। उन्होंने दृढ़ स्वर में स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र में कोई ढिलाई अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
उन्होंने दोहराया— “मैं जनता में जाता हूँ, विधायकों को सुनता हूँ, काम समय पर करता हूँ। फिर मंत्रियों की व्यस्तता किस बात की है कि वे अपने ही कार्यकर्ताओं और जनता से नहीं मिल पा रहे?”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने दोनों बजटों में ‘सबका साथ-सबका विकास’ के सिद्धांत के तहत 200 विधानसभा क्षेत्रों में समान रूप से धनराशि आवंटित की है। अब आवश्यक है कि जनप्रतिनिधि अपने-अपने क्षेत्रों में अधिक समय बिताएँ, योजनाओं की निगरानी करें और यह सुनिश्चित करें कि लाभ सही लोगों तक पहुँच रहा है।
आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए कड़े निर्देश
सीएम शर्मा ने मंत्रियों और विधायकों से स्पष्ट कहा कि अब जनसंवाद, क्षेत्रीय दौरे और फील्ड विजिट अनिवार्य होंगे। साथ ही, संगठन को नए लोगों से जोड़ने और आगामी निकाय व पंचायत चुनावों की तैयारियों को मजबूती देने के निर्देश भी दिए गए।
यह चेतावनी ऐसे समय आई है जब सरकार अपने दो वर्ष पूरे होने पर बड़े कार्यक्रमों की रूपरेखा बना रही है और चुनावी मोर्चे पर भी दबाव बढ़ रहा है। सीएम चाहते हैं कि सरकारी योजनाओं का असर जमीनी स्तर पर साफ दिखाई दे और जनता तक सरकार की सक्रियता का मजबूत संदेश जाए।
अब नज़रें मंत्रियों की गंभीरता पर
मुख्यमंत्री की इस सख्त और बेबाक बातों के बाद अब सवाल यह है कि मंत्री और विधायक अपनी कार्यशैली में कितने बदलाव लाते हैं। क्या वे जनता से जुड़ने, उनकी समस्याएँ सुनने और समय पर समाधान करने की दिशा में वास्तविक सुधार दिखाएँगे?
सरकार के प्रदर्शन का अगला चरण अब इसी संवाद, संवेदनशीलता और जिम्मेदारी पर निर्भर करेगा कि जनता तक पहुँचने और उनके काम करने में कौन-सा मंत्री कितना सफल होता है।














