
बारां: अंता उपचुनाव में जनसंपर्क अभियान के तहत दो दिवसीय दौरे पर पहुंचे भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने वाले बयान को आड़े हाथों लिया। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि खरगे “मुंगेरीलाल के हसीन सपने” देख रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि “खरगे जी को पहले अपने घर की व्यवस्था संभालनी चाहिए, देश की सबसे अनुशासित संस्था पर उंगली उठाना उनके लिए शोभनीय नहीं है।”
मीडिया से बातचीत में राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस ने इससे पहले भी कई बार आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने की नाकाम कोशिशें की हैं। उन्होंने याद दिलाया कि “1948 में एक बार प्रतिबंध लगाया गया, लेकिन जल्द ही हटाना पड़ा। फिर 1971 में भी यही गलती दोहराई गई और अंततः कांग्रेस को पीछे हटना पड़ा।” राठौड़ ने सवाल उठाया कि जो पार्टी बार-बार लोकतंत्र की दुहाई देती है, वही संस्था विशेष को दबाने की बातें कैसे कर सकती है?
उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश के नैतिक और सामाजिक निर्माण में अहम भूमिका निभा रहा है। “संघ देश की एकता, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति की भावना को मजबूत कर रहा है,” उन्होंने कहा। उनके अनुसार, कांग्रेस का आरएसएस पर प्रतिबंध लगाने का विचार केवल “राजनीतिक नौटंकी” है, जिसका कोई वास्तविक आधार नहीं है।
राठौड़ ने साफ कहा कि आरएसएस पर प्रतिबंध की कोई संभावना नहीं है क्योंकि संगठन समाजसेवा और राष्ट्रनिर्माण में अभूतपूर्व योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा, “संघ ने हमेशा यही सिखाया है कि चाहे कोई भी पूजा पद्धति अपनाए, यदि उसके भीतर राष्ट्रप्रेम की भावना है, तो वह आरएसएस की विचारधारा से जुड़ा हुआ है।”
खरगे पर निशाना साधते हुए राठौड़ ने कहा, “जो व्यक्ति अपनी पार्टी में ही अनुशासन और राष्ट्रभावना कायम नहीं रख पा रहा, वह संघ जैसे संगठन पर सवाल उठा रहा है। पहले अपने नेताओं में देशभक्ति का भाव जगाएं, फिर दूसरों को नसीहत दें।” उन्होंने आगे कहा कि खरगे वही व्यक्ति हैं जिन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक और ऑपरेशन सिंधूर जैसी भारतीय सेना की उपलब्धियों पर भी संदेह जताया था।
राठौड़ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस दोनों ही देशहित में कार्यरत हैं और जनता ऐसे भ्रामक बयानों से गुमराह नहीं होगी। “खरगे जैसे नेता चाहे जितने बयान दें, संघ की स्वीकार्यता और प्रभाव को कोई कम नहीं कर सकता,” उन्होंने दृढ़ स्वर में कहा।














